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    दिल्ली में पहली बार धारा 356 का प्रयोग, आखिर किन मामलों पुलिस करती है इसका इस्तेमाल?

    Updated: Mon, 24 Nov 2025 06:10 PM (IST)

    दिल्ली पुलिस ने पहली बार भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 356 (BNSS Section 356) का इस्तेमाल किया है। यह धारा फरार आरोपियों की गैरमौजूदगी में मुकदमा चलाने की अनुमति देती है। यह धारा जितेंद्र महतो पर लगाई गई है, जो रमेश भारद्वाज की हत्या के बाद से फरार है। पुलिस ने महतो के बेटे की मदद से भारद्वाज का शव बरामद किया। अदालत ने महतो को भगोड़ा घोषित कर दिया था।

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    दिल्ली पुलिस ने पहली बार भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 356 का प्रयोग किया।

    पीटीआई, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने पहली बार भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita) की धारा 356 का प्रयोग किया है। यह धारा पुलिस को आरोप तय करने और अदालत को गंभीर मामलों में फरार आरोपियों की अनुपस्थिति में मुकदमा चलाने की अनुमति देती है। यह जितेंद्र महतो के खिलाफ आरोप तय किए गए हैं, जो अपने पूर्व नियोक्ता रमेश भारद्वाज (68) की हत्या के बाद महीनों से फरार था। दोनों दिल्ली के निवासी हैं।

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    पुलिस उपायुक्त (आउटर नॉर्थ) हरेश्वर स्वामी के अनुसार, इस वर्ष 29 जनवरी को भारद्वाज की बेटी द्वारा शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद गुमशुदगी का मामला दर्ज किया गया था, जिसमें कहा गया था कि एक दिन पहले स्कूटर से नरेला के लिए निकलने के बाद से रमेश भारद्वाज घर नहीं लौटे हैं। पुलिस को गड़बड़ी का संदेह हुआ और उन्होंने तुरंत भारद्वाज के पुराने नौकर महतो की तलाश शुरू की, जो उसी दिन गायब हो गया था।

    पुलिस को पता चला कि भारद्वाज को उस समय एक प्लॉट की बिक्री के लिए आंशिक भुगतान के तौर पर 4.5 लाख रुपये मिले थे और उसे आखिरी बार महतो के साथ देखा गया था। अधिकारी ने बताया कि प्रत्यक्षदर्शियों ने यह भी पुष्टि की कि भारद्वाज अक्सर उसके किराए के मकान पर जाता था।

    आजादपुर, मुकुंदपुर, नरेला और रोहिणी समेत कई इलाकों में आरोपी की तलाश में व्यापक अभियान चलाया गया। हालांकि, कॉल डिटेल रिकॉर्ड, गतिविधियों के पैटर्न और लोकेशन डेटा के विश्लेषण से संदिग्ध का कोई पता नहीं चल पाया

    पारंपरिक सुराग न मिलने पर, जांचकर्ताओं ने डिजिटल निगरानी का सहारा लिया। 12 फरवरी को पुलिस ने महतो के बेटे अभिषेक उर्फ विशाल का पता उसकी इंस्टाग्राम गतिविधियों के जरिए लगाया।

    पूछताछ के दौरान, 19 वर्षीय अभिषेक ने कथित तौर पर कबूल किया कि उसके पिता ने 28 जनवरी को भारद्वाज की हत्या की और उसकी मदद से शव को ठिकाने लगा दिया। अभिषेक ने दावा किया कि मृतक का बेटा लव भारद्वाज, जिसका अपने पिता के साथ लंबे समय से विवाद चल रहा था, भी इस अपराध में शामिल था। अभिषेक के खुलासे के बाद पुलिस ने शहर के एक नाले से भारद्वाज का सड़ी-गली हालत में शव एक बोरे में भरकर बरामद किया।

    हालांकि, कई तलाशी अभियानों के बावजूद महतो गिरफ्तारी से बचता रहा।25 मार्च को उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था। अदालत ने 11 जुलाई को उसे भगोड़ा घोषित कर दिया। पुलिस ने 25 अगस्त को आरोपपत्र दाखिल किया और आरोपी की अनुपस्थिति में मुकदमा शुरू करने की अनुमति मांगी।

    इसके बाद अदालत ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 356 लागू की, जो एक नया प्रावधान है जो गंभीर मामलों में फरार घोषित अपराधियों के खिलाफ पूछताछ, आरोप तय करने और मुकदमा चलाने का अधिकार देता है। भारतीय न्याय संहिता की संबंधित धाराओं के तहत भी आरोप तय किए गए। 18 नवंबर को पारित यह आदेश दिल्ली में बीएनएसएस प्रावधान का पहला प्रयोग है।