कर्मचारियों की भारी कमी से जूझ रहा दिल्ली का पुलिस विभाग, कामकाज हो रहा प्रभावित
दिल्ली पुलिस कर्मचारियों की भारी कमी से जूझ रही है, जिससे कामकाज प्रभावित हो रहा है। स्वीकृत पदों में से 9,248 पद खाली हैं, खासकर एसीपी के पद। जनसंख्य ...और पढ़ें
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दिल्ली पुलिस मुख्यालय। (फाइल फोटो)
राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली। देश की सबसे पेशेवर मानी जाने वाली दिल्ली पुलिस वर्षों से कर्मचारियों की भारी कमी से जूझ रही है, जिससे दिल्ली पुलिस के दैनिक कामकाज पर बुरा असर पड़ रहा है। दिल्ली पुलिस में कई दशक पुराने स्वीकृत पदों की संख्या 92,044 हैं, जिनमें पुलिस आयुक्त से लेकर सिपाही रैंक के कर्मी शामिल हैं, उनके मुकाबले भी वर्तमान में दिल्ली पुलिस में 9,248 पद खाली पड़े हैं। यानी करीब 10 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं।
दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो मौजूदा समय में दिल्ली की जनसंख्या दो करोड़ से अधिक हो चुकी है, जिसे देखते हुए नए सिरे से और अधिक पद स्वीकृृत किए जाने चाहिए, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। जाहिर तौर पर कर्मचारियों की भारी कमी के कारण दिल्ली पुलिस राजधानी वासियाें को बेहतर कानून-व्यवस्था नहीं दे पा रही है। राजधानी में अपराध का ग्राफ साल दर साल बढ़ रहा है, इसके साथ ही जांच अधिकारियों पर मुकदमों का बोझ भी बढ़ रहा है।
कर्मचारियों को 12 से 18 घंटे तक ड्यूटी करनी पड़ रही है, जिससे उन्हें अवकाश लेने में समस्या आती है। अक्सर डबल ड्यूटी करने से उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है, उनमें चिड़चिड़ापन की समस्या आ रही है, जो खुदकुशी करने का एक वजह माना जा रहा है।
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने पिछले हफ्ते राज्यसभा में दिल्ली पुलिस में कर्मचारियों की भारी कमी का यह आंकड़ा पेश कर चिंता जाहिर की। उन्होंने बताया कि सबसे अधिक एसीपी के करीब 36 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। पुराने स्वीकृत आंकड़ों के मुताबिक, एसीपी के 346 पद स्वीकृत हैं, जिनमें 125 पद रिक्त पड़े हैं। इसको लेकर पुलिस अधिकारी का कहना है कि गृह मंत्रालय ने ही एसीपी को लेकर समय सीमा कर रखा है।
50 प्रतिशत दानिप्स काडर के एसीपी बनाए जाएंगे और 50 प्रतिशत इंस्पेक्टर को पदोन्नत कर एसीपी बनाए जाएंगे। हर साल इंस्पेक्टर को पदोन्नत कर एसीपी तो बनाया जा रहा है, लेकिन दानिप्स काडर की भर्ती स्वीकृत मापदंड के अनुरूप नहीं हो रही है।
पदोन्नत देकर जितने एसीपी हर साल बनाए जाते हैं उससे अधिक हर साल सेवानिवृत्त भी हो जाते हैं, जिससे एसीपी की पर्याप्त संख्या नहीं हो पा रही है। स्पेशल सेल, क्राइम ब्रांच, साइबर सेल, आर्थिक अपराध शाखा जैसे स्पेशलाइज्ड व महत्वपूर्ण यूनिटों में भी एसीपी की कमी है। एक एसीपी के पास कई-कई जिम्मेदारियां हैं। इससे वे बेहतर तरीके से सुपरविजन नहीं कर पा रहे हैं।
पुलिस अधिकारी का कहना है कि करीब 15 साल पहले दिल्ली पुलिस ने मुंबई की तर्ज पर दिल्ली पुलिस में कानून एवं व्यवस्था व जांच को दो भागों में बांटने का निर्णय लिया था। इसको लेकर डीसीपी रैंक के एक अधिकारी को मुंबई भेजकर पहले वहां की पुलिसिंग के बारे में सर्वे कराया गया था। उसके बाद दिल्ली में करीब दो से तीन बार तत्कालीन पुलिस आयुक्त ने कुछ जिलों के कुछ थानों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर इसे लागू भी किया।
उन थानों के आधे कर्मचारियों को मुकदमों की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई और आधे कर्मचारियों को इलाके की कानून व्यवस्था संभालने में लगाया गया। लेकिन यह प्रयोग इसलिए सफल नहीं हो पाया क्योंकि हर थाने में कर्मचारियों की काफी कमी है। राजधानी में आए दिन किसी न किसी वीआइपी अरेंजमेंट व किसी न किसी मसले पर कानून व्यवस्था की समस्या आने पर थानों व जिले के अधिकतर कर्मचारियों को इलाके की कानून व्यवस्था संभालने में लगाया जाता है। इसलिए राजधानी में अब तक यह प्रयोग सफल नहीं हो पाया।
पुलिस अधिकारी का कहना है कि राजधानी के हर थाने में कर्मचारियों की संख्या 150-150 होनी चाहिए, लेकिन बहुत कम थाने में 100 या 115 पुलिसकर्मी तैनात हैं। यही हाल साइबर थानों का है। चार साल पहले सभी 15 जिलों में एक-एक साइबर सेल थाने खोल दिए गए। उन थानों में 106-106 कर्मचारियों की संख्या होने का मापदंड तय किया गया, लेकिन इक्के दुक्के साइबर सेल थाने में 50 से 60 कर्मचारी हैं। हर साइबर सेल थाने में चार-चार इंस्पेक्टरों की तैनाती करने की बात थी, लेकिन बहुुत कम थाने में दो इंस्पेक्टर की भी तैनाती है।
पुलिस अधिकारी का कहना है कि दिल्ली की जनसंख्या जिस तेजी से बढ़ रही है उस हिसाब से बीते वर्षों में कई पुलिस आयुक्त ने जिले मेें भी कई नए थाने बनाए, साइबर सेल थाने खोले लेकिन उसके लिए गृह मंत्रालय से अतिरिक्त पद ही स्वीकृत नहीं किया गया। जिससे बेहतर पुलिसिंग में समस्या आ रही है।
-एडिशनल डीसीपी के स्वीकृत पद 54 में 15 खाली हैं
-डीसीपी व एडिशनल पुलिस कमिश्नर के स्वीकृत पद 60 में 13 रिक्त हैं
-इंस्पेक्टर के स्वीकृत पद 1,453 में 108 रिक्त हैं
-सब इंस्पेक्टर के स्वीकृत पद 8,087 में 1,039 रिक्त हैं
-हवलदार के स्वीकृृत पद 23,724 में 3,057 रिक्त हैं
-सिपाही के स्वीकृत पद 50,946 में 4,591 पद रिक्त हैं

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