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    बदला जाएगा दिल्ली का नाम, वापस मिलेगी 'इंद्रप्रस्थ नगरी' की ऐतिहासिक पहचान!

    Updated: Sun, 19 Oct 2025 10:55 AM (IST)

    दिल्ली का नाम बदलकर 'इंद्रप्रस्थ' करने का प्रस्ताव है, जिसका उद्देश्य शहर की ऐतिहासिक पहचान को पुनर्जीवित करना है। इस कदम से दिल्ली को उसकी प्राचीन सांस्कृतिक विरासत वापस मिलने की संभावना है। सरकार इस प्रस्ताव पर विचार कर रही है, जिससे शहर को 'इंद्रप्रस्थ नगरी' के रूप में नई पहचान मिल सकती है।

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    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। सबकुछ ठीक रहा तो दिल्ली का नाम बदल जाएगा। इसकी ऐतिहासिक पहचान इंद्रप्रस्थ इसको वापस मिल जाएगी इसे लेकर मसौदा तैयार किया गया है। चांदनी चौक से भाजपा सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि शीघ्र ही शाहजहांनाबाद पुनर्विकास निगम का नाम बदलकर ‘इंद्रप्रस्थ पुनर्विकास निगम’ किया जाएगा।
    इसी तरह आने वाले समय में हम ‘दिल्ली सरकार’ नहीं बल्कि ‘इंद्रप्रस्थ सरकार’ सुनेंगे-यही हमारा लक्ष्य है।

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    कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित ऐतिहासिक सभा में प्राचीन इंद्रप्रस्थ के गौरव को पुनः प्रतिष्ठित करने का संकल्प दोहराया गया। यह आयोजन इंद्रप्रस्थ योगक्षेम न्यास के तत्वावधान में सम्पन्न हुआ, जिसमें दिल्ली के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक पुनर्जागरण को लेकर कई महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए।

    Delhi Khabar (45)

    कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते सांसद प्रवीन खंडेलवाल व मौजूद लोग। जागरण

    इंद्रप्रस्थ पुनर्जागरण के संकल्प में दिल्ली का नाम 'इंद्रप्रस्थ' रखने का प्रस्ताव

    कांस्टीट्यूशन क्लब में प्राचीन इंद्रप्रस्थ के गौरव को पुनः प्रतिष्ठित करने के संकल्प को लेकर इंद्रप्रस्थ योगक्षेम न्यास की तरह से सम्मेलन का आयोजन हुआ। जिसमें विहिप के केंद्रीय संगठन महामंत्री विनायक राव व महामंत्री बजरंग बागड़ा के साथ ही प्रांत मंत्री सुरेंद्र गुप्ता ने विचार और प्रस्ताव रखें। सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने उसे आगे बढ़ाया।

    सुरेन्द्र कुमार गुप्ता ने कहा, “नाम केवल इसलिए नहीं बदलने चाहिए कि वे किसी आक्रांता के नाम पर हैं, बल्कि इसलिए भी कि किसी नाम का स्मरण हमारे ऐतिहासिक दृष्टिकोण को कितनी दूर तक ले जाता है। जब हम ‘दिल्ली’ कहते हैं तो हमारी दृष्टि केवल दो हजार वर्ष तक जाती है, पर जब हम ‘इंद्रप्रस्थ’ कहते हैं तो हम पांच हजार वर्षों के गौरवशाली इतिहास से जुड़ते हैं। अतः दिल्ली का नाम बदलकर पुनः इंद्रप्रस्थ किया जाना चाहिए।” उन्होंने इस मौके पर कई प्रस्ताव रखें, जिसमें

    1. पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर “इंद्रप्रस्थ रेलवे स्टेशन” किया जाए।
    2. इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम बदलकर “इंद्रप्रस्थ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा” किया जाए।
    3. “शाहजहांनाबाद पुनर्विकास निगम” का नाम बदलकर “इंद्रप्रस्थ पुनर्विकास निगम” किया जाए।
    4. दिल्ली की हेरीटेज वाक में हिंदू राजाओं के स्मारकों को शामिल किया जाए।
    5. जहां मुस्लिम आक्रांताओं के स्मारक हैं, वहीं समीपस्थ क्षेत्रों में हिंदू वीरों और पांडवकालीन इतिहास को दर्शाने वाले स्मारक निर्मित किए जाएं।

     

    मुख्य वक्त विनायक राव ने दिल्ली के वीर हिंदू सम्राट राजा हेमचंद्र विक्रमादित्य के जीवन और योगदान पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “विदेशी आक्रमणों के साढ़े तीन सौ वर्षों के बाद एक हिंदू राजा ने दिल्ली पर पुनः शासन स्थापित किया। यद्यपि यह शासन मात्र 29 दिन चला, परंतु यह भारतीय शौर्य, आत्मगौरव और अस्मिता का प्रतीक बन गया।”

    उन्होंने दिल्ली का नाम पुनः “इंद्रप्रस्थ” घोषित करने की मांग की। कहा कि दिल्ली में राजा हेमचंद्र विक्रमादित्य का भव्य स्मारक बनाया जाए। दिल्ली के शिक्षा पाठ्यक्रम में हेमचंद्र विक्रमादित्य के जीवन को शामिल किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने “राजा हेमचंद्र विक्रमादित्य सैनिक विद्यालय” की स्थापना की जाए।

    सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि“इंद्रप्रस्थ की चर्चा पांडवों के बिना अधूरी है। शीघ्र ही इंद्रप्रस्थ क्षेत्र में पांचों पांडवों की भव्य प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी। यह मांग केवल कुछ व्यक्तियों की नहीं, बल्कि हर हिंदू के हृदय की आवाज है। विश्व हिंदू परिषद के महामंत्री बजरंग बांगड़ा ने कहा कि “अरावली क्षेत्र में एक लोहे की खूंटी (किल्ली) से जुड़ी प्राचीन कथा के अनुसार कहा गया कि यदि यह किल्ली ढीली पड़ी तो दिल्ली का राज भी ढीला पड़ेगा। जब वह किल्ली वास्तव में ढीली हुई तो ‘ढिल्ली’ शब्द प्रचलित हुआ जो कालांतर में ‘दिल्ली’ बन गया।

    कार्यक्रम का समापन इंद्रप्रस्थ योगक्षेम सेवा न्यास के अध्यक्ष सुभाष अग्रवाल द्वारा सभी अतिथियों, सहयोगियों और उपस्थित जनसमूह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस अवसर पर पूर्व सांसद बंगाल लाकेट चटर्जी, बजरंग दल के केंद्रीय संयोजक नीरज दानोरिया, महंत वैभव शर्मा, श्रवण गोयल, रामनिवास सेठ, श्री रमेश शर्मा सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।