Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बेटे ने अक्‍टूबर में भी की थी जान देने की कोशिश, कालकाजी में मां समेत दो बेटों की सामूहिक आत्महत्या की वजह आई सामने

    Updated: Sat, 13 Dec 2025 08:58 PM (IST)

    दिल्ली के कालकाजी में मां और दो बेटों की आत्महत्या का मामला सामने आया है। जांच में पता चला कि बेटे ने अक्टूबर में भी जान देने की कोशिश की थी। पुलिस आत ...और पढ़ें

    Hero Image

    प्रतीकात्मक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली। कालकाजी में मां के साथ दो बेटों की सामूहिक आत्महत्या मामले की परतें अब खुलने लगी हैं। पिता की असमय मृत्यु, दिनों-दिन बढ़ता कर्ज का बोझ और नौकरी न मिल पाना अवसाद का कारण बन गया था। तंग आकर बड़े बेटे आशीष कपूर ने अक्टूबर में भी आत्महत्या की कोशिश की थी। उस समय मां घर के बाहर थी। उसे अस्पताल ले जाया गया, तब मां अनुराधा कपूर ने उसे समझाया था। पर जब किराए का फ्लैट खाली करने की नौबत आयी तो सभी एकदम से टूट गए। शुक्रवार दोपहर तीनों अलग-अलग कमरे में नायलोन की रस्सी के सहारे पंखे से झूल गए थे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    किराए पर ले रखा था फ्लैट

    अनुराधा के पति संजीव कपूर दिल्ली के ही रहने वाले थे और प्राॅपर्टी डीलिंग का काम करते थे। एक रिश्तेदार ने बताया कि दो दशकों से उनका दिल्ली के नेहरू नगर में वाले अपने बड़े भाई व उनके परिवार से कोई संपर्क नहीं था। सूत्रों के मुताबिक, संजीव डायबिटीज के मरीज थे। कोरोना काल में उनकी मृत्यु हो गई थी। जमा पूंजी के सहारे काम चलता रहा। परिवार ने कालकाजी के जी ब्लाॅक स्थित 70-बी के तीसरे फ्लोर पर टू-बीएचके फ्लैट दिसंबर 2023 में किराए पर लिया। लगभग 34 हजार रुपये किराया और इतना ही एडवांस भुगतान किया गया।

    पढ़ाई के बाद कर रहा था नौकरी की तलाश

    आशीष इंजीनियरिंग करने के बाद से लगातार नौकरी की तलाश कर रहा था। वहीं, स्नातक के बाद चैतन्य यूपीएससी की तैयारी में लग गया। यानी 2023 के बाद भी परिवार के पास आय का कोई जरिया नहीं बन पाया। पढ़ाई-लिखाई और घर की जरूरतों में जमा पूंजी भी जल्द खत्म हो गई। कर्ज पर कर्ज लेकर काम चलता रहा। दो वर्ष से किराया देने तक के रुपए नहीं थे। मकान मालिक ने फ्लैट खाली करने को बोला तो कोर्ट में केस किया। वहां भी हार मिली।

    कोर्ट में केस हारने पर उठाया कदम

    फ्लैट खाली करने की नौबत आ गई। न रहने का ठिकाना न आय का स्त्रोत, ऊपर से लंबा चौड़ा कर्ज देख आशीष ने दो महीने पहले भी जान देने की कोशिश की। पड़ोसियों ने बताया कि जब अनुराधा ने बेटे को समझा-बुझाकर शांत कराया तो उन लोगों ने स्थिति को सामान्य समझ लिया। मगर जिस आर्थिक व मानसिक तनाव से आशीष गुजर रहा था, परिवार को बाकी के सदस्यों की स्थिति भी लगभग वैसी ही थी। कोर्ट में केस हार जाने की ग्लानि ने तीनों को आत्मघाती कदम उठाने को प्रेरित किया।

    संजीव के बड़े भाई ही कराएंगे दाह संस्कार कराएंगे

    सामूहिक आत्महत्या के बाद जब पुलिस ने संजीव के बड़े भाई से संपर्क किया तो पहले उन्होंने शव लेने या कालकाजी आने से ही मना कर दिया। एक रिश्तेदार ने बताया कि मृतकों का उनके सिवाय कोई नजदीकी है नहीं। ऐसे में हम लोगों ने उन्हें इंसानियत के नाते तीनों के अंतिम संस्कार के लिए मनाया। पुलिस के मुताबिक, रविवार को एम्स हाॅस्पिटल की माॅर्च्यूरी में पोस्टमार्टम के बाद शव स्वजन को सौंप दिया जाएगा।

    यह भी पढ़ें- जब घर छिनने की नौबत आई तो मां और दोनों बेटों ने चुना फंदा, दिल्ली के कालकाजी में तीन लोगों ने दी जान