Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दिल्ली का ये टोल बना मुसीबत, गाजियाबाद और नोएडा के वाहन चालक हर रोज जाम का करते हैं सामना

    Updated: Fri, 27 Jun 2025 02:42 PM (IST)

    गाजीपुर में दिल्ली नगर निगम का टोल वाहन चालकों के लिए बड़ी मुसीबत बन गया है, जिससे दिल्ली, गाजियाबाद और नोएडा के लोगों को हर दिन भीषण जाम का सामना करना पड़ता है। मालवाहक वाहनों के नो-एंट्री से पहले रुकने और निगम कर्मियों द्वारा सड़क के बीच में टोल वसूली के कारण एनएच-9 और दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर लगातार जाम लगता है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा भी बना रहता है। निगम और यातायात पुलिस एक-दूसरे पर दोष मढ़ते हैं, जिससे यात्रियों को समय और ईंधन की बर्बादी के साथ-साथ प्रदूषण का भी सामना करना पड़ता है। लोग इस टोल को हटाने या स्थानांतरित करने की मांग कर रहे हैं।  

    Hero Image

    चलते यातायात के दौरान नौ एंट्री खुलने के इंतजार में गाजीपुर के पास दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस-वे के किनारे अक्सर खड़े रहते है टेंपो ट्रक ।जागरण


    जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। गाजीपुर का दिल्ली नगर निगम का टोल वाहन चालकों के लिए मुसीबत बना हुआ है। टोल के कारण हर रोज वाहन चालकों को जाम से जूझना पड़ रहा है। दिल्ली, गाजियाबाद व नोएडा में रहने वाले लोग इस टोल के जाम से त्रस्त हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नो एंट्री खुलने से पहले ही माल वाहक वाहन दिल्ली की सीमा में प्रवेश करके एनएच-नौ व दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे के किनारे पर खड़े हो जाते हैं। उनके कारण जाम तो लगता है, साथ ही हादसे होने की आशंका बनी रहती है। निगम कर्मी भी बीच सड़क पर वाहनों को रोककर टोल वसूली करते हैं।

    दोनों ही कारणों से हाईवे और एक्सप्रेसवे पर जाम लगता है। निगम व यातायात पुलिस इस समस्या से लोगों को निजात नहीं दिलवा पा रहे हैं। दोनों ही विभाग एक दूसरे को जिम्मेदार बताकर पल्ला झाड़ लेते हैं। एनएच-नौ पर गाजीपुर बार्डर से 24 घंटे में करीब डेढ लाख वाहन गुजरते हैं।

    गाजीपुर मुर्गा मंडी के पास निगम ने एनएच-नौ की सर्विस लेन, दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे और विनोद नगर डिपो के पास एनएच-नौ पर टोल बूथ बनाए हुए हैं। गाजियाबाद व नोएडा में रहने वाले काफी संख्या में लोग दिल्ली में नौकरी करने के लिए आते हैं। दिल्ली के लोग गाजियाबाद व नोएडा जाते हैं।

    यह टोल गाजियाबाद से दिल्ली आने वाली लेन पर हैं। ऐसे में जाम इसी लेन पर रहता है। कई बार निगम के टोल कर्मी अचानक से टोल वसूलने के लिए वाहनो के सामने आ जाते हैं। पीछे जाम लगता चला जाता है। टोल पर ट्रक व व्यवसायिक वाहनों के लिए अलग लेन बनाई हुई हैं।

    लेकिन टैक्सी चालक लेन से अलग हटकर आम वाहनों की लेन में आ जाते हैं। रात 11 बजे माल वाहनों की नौ एंट्री खुलती है। इससे पहले ही माल वाहन दिल्ली की सीमा पर खड़े हो जाते हैं।

    हादसे की संभावना बनी रहती है। सड़क पर चलने वाले वाहन चालक अंदाजा नहीं लगा पाते हैं कि वाहन चल रहा है या खड़ा हुआ है। रोज ऐसा ही होता है। लेकिन पुलिस व निगम इस समस्या को खत्म नहीं कर पा रही है।

    एनएचएआइ की गलती के कारण लगता है जाम निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि डीएमसी एक्ट में निगम को बार्डर पर टोल वसूलना है। जिस वक्त एनएचएआइ हाइवे व एक्सप्रेसवे बना रहा था, तभी सोचना चाहिए था कि निगम टोल कैसे वसूल करेगा।

    एनएचएआई को टोल की अलग से लेन बनानी चाहिए थी। बात अगर माल वाहन के हाइवे पर खड़े होने की है तो उन्हें रोकना पुलिस का काम है। माल वाहन खड़े नहीं होंगे तो जाम नहीं लगेगा।

    अधिकतर माल वाहन दिल्ली की सीमा से बाहर खड़े होते हैं। जो माल वाहन दिल्ली में खड़े होते हैं, पुलिस उनके चालान भी करती है। सतीश कुमार, यातायात पुलिस उपायुक्त, पूर्वी रेंज

    मेरा कार्यालय दिल्ली में है। दिल्ली जाते समय मैं अक्सर एमसीडी के टोल की वजह से जमा में फंस जाता हूं। इस टाेल को दूसरी जगह स्थानांतरित करना चाहिए, जिससे जाम से छुटकारा मिल जाएगा। सीपी बालियान, निवासी शिप्रा सनसिटी इंदिरापुरम

    मैं दिल्ली साकेत कोर्ट जाती हूं। जाम फंसने के कारण कोर्ट पहुंचने में देरी होती है। इससे पेट्रोल व डीजल की खपत ज्यादा होती है। समय भी ज्यादा लगाता है। जाम लगाने के कारण प्रदूषण भी होता है एडवोकेट वसुंधरा शर्मा, निवासी सेक्टर- तीन वसुंधरा

    वर्तमान समय में राष्ट्रीय राजधानी से लगे यह टोल प्लाजा आम लोगों के लिए जिनको नोएडा, फरीदाबाद, गुरुग्राम और अन्य स्थानों से रोजाना नौकरी और अन्य कार्यों के लिए दिल्ली आगे आना जाना होता है बार्डर पर जाम की समस्या का एक बड़ा कारण हैं जिसके चलते लोगों का कीमती समय और ईंधन की बर्बादी होती है एनके नेगी, निवासी प्रतीक ग्रैंड सिटी सिद्धार्थ विहार

    टोल पर रोजाना जाम से जूझना पड़ता है। वैशाली व गाजीपुर पास-पास हैं। कैब से अगर जाते हैं तो टोल देना पड़ता है। जबकि एक किलोमीटर का ही फासला है। जाम से भी जूझना पड़ता है। टोल बंद होना चाहिए। -हितेश शर्मा, गाजीपुर गांव।