खेल कोटा कर्मचारी केस में केंद्र सरकार पर दिल्ली HC सख्त, मुक्केबाज को हक से वंचित करने पर लगाया जुर्माना
दिल्ली उच्च न्यायालय ने खेल कोटा के एक मामले में केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। अदालत ने एक मुक्केबाज को उसके अधिकार से वंचित करने के लिए सरकार पर जुर्माना लगाया और उसे नौकरी देने का आदेश दिया। न्यायालय ने सरकार के रवैये को न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ बताया और भविष्य में सावधानी बरतने की सलाह दी।

प्रतीकात्मक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, दिल्ली। खेल कोटा कर्मचारियों से जुड़े वेतन वृद्धि के एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि खेल के माध्यम से देश की प्रतिष्ठा को पहचान और सम्मान दिलाने वाले अपने कर्मचारियों के प्रति सरकारी अधिकारियों का असंवेदनशील रवैया अस्वीकार है।
न्यायमूर्ति नवीन चावला व न्यायमूर्ति मधु जैन की पीठ ने कहा कि अदालत इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकती कि मुक्केबाज अजय कुमार को जायज हक के लिए दर-दर भटकना पड़ा। इतना ही नहीं उपलब्धियों को स्वीकार कर उन्हें पुरस्कृत करने के बजाय रेलवे ने उन्हें वर्षों तक चलने वाले लंबे मुकदमों में उलझाए रखा।
केंद्र सरकार पर 2000 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए पीठ ने कहा कि अदालत सरकारी अधिकारियों से अपेक्षा करता है कि पदक जीतने वाले अपने कर्मचारियों के प्रति निष्पक्षता और सम्मान के साथ कार्य करें और उन्हें अनावश्यक मुकदमेबाजी में न धकेलें।
अदालत ने उक्त टिप्पणी रेलवे के माध्यम से केंद्र द्वारा दायर की गई अपील को खारिज कर कर दिया। केंद्र सरकार ने अजय कुमार नामक मुक्केबाज को उसके पदक जीतने के प्रदर्शन के लिए बकाया राशि के साथ दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि देने के केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के एक फैसले को चुनौती दी गई थी।
राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर पदक जीतने वाले अजय कुमार को आरक्षित प्रतिभा खोज कोटे के तहत 2005 में उत्तर रेलवे के अंबाला डिवीजन में भर्ती किया गया था और भर्ती के समय उन्हें 17 अग्रिम वेतन वृद्धि प्रदान की गई थी।
मार्च 2007 में अजय ने हैदराबाद में आयोजित 53वीं सीनियर राष्ट्रीय मुक्केबाजी चैंपियनशिप में रजत पदक जीता। जून 2007 में उन्होंने मंगोलिया में पुरुषों की एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में भी भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए कांस्य पदक जीता।
रेलवे ने 2007 में एक नीति जारी कर कहा कि उसके द्वारा भर्ती किये गए खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय चैंपियनशिप में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए अतिरिक्त वेतन वृद्धि के लिए पात्र थे। हालांकि, 2007 की नीति को 2010 में एक संशोधित नीति द्वारा प्रतिस्थापित करते हुए कहा गया कि रेल कर्मचारी को उसके पूरे सेवाकाल में खेल के आधार पर केवल पांच अतिरिक्त वेतन वृद्धियां दी जा सकती हैं।
जून 2014 में अजय कुमार ने 2007 से देय दो अतिरिक्त वेतन वृद्धियों की मांग करते हुए एक अभ्यावेदन प्रस्तुत किया। हालांकि, रेलवे ने उनके अनुरोध को इस आधार पर अस्वीकार कर दिया कि उस समय तक 2007 की नीति को समाप्त कर दिया गया था।
अजय ने रेलवे की अस्वीकृति को कैट के समक्ष चुनौती दी और रेलवे को उसे दो अतिरिक्त वेतन वृद्धियां देने का निर्देश दिया। कैट के आदेश को रेलवे ने चुनौती दी थी। हालांकि, अदालत ने कहा कि अजय कुमार का हक 2007 में उनके पदक जीतने वाले प्रदर्शनों की तारीखों पर स्पष्ट हो गया था।

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