हवाई यात्रियों की परेशानी पर सख्त हुआ दिल्ली हाईकोर्ट, इंडिगो से तुरंत मुआवजा देने को कहा
दिल्ली उच्च न्यायालय ने इंडिगो एयरलाइन को उड़ान में देरी के कारण यात्रियों को तुरंत मुआवजा देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यात्रियों की परेशानी पर सख्त ...और पढ़ें

प्रतीकात्मक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। विमानों के रद और असुविधा होने पर यात्रियों को मुआवजा देने के मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति में डीजीसीए के कुछ प्रविधानों के तहत मुआवजा देने का नियम है।
भुगतान संबंधी सभी प्रविधानों का पालन करें
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि इंडिगो मुआवजे के भुगतान संबंधी इन प्रविधानों का कड़ाई से पालन करे और इसकी पुष्टि मंत्रालय और डीजीसीए द्वारा भी की जाएगी। यदि कोई अन्य उपाय उपलब्ध हैं, तो प्रतिवादियों द्वारा उनकी पुष्टि सुनिश्चित की जाएगी।
मुआवजा देने के लिए पर्याप्त कदम उठाएंगे
अदालत ने इंडिगो से कहा कि वह तुरंत मुआवजा देना शुरू करे। साथ ही यह भी कहा कि इंडिगो सुनिश्चित करे कि मुआवजा सिर्फ रद होने के लिए देने के बजाए लोगों को हुई असुविधा के लिए भी दिया जाए। पीठ ने कहा कि कहा कि उम्मीद है कि मंत्रालय, डीजीसीए और इंडिगो द्वारा हवाई अड्डों पर फंसने वाले यात्रियों को जल्द से जल्द मुआवजा देने के लिए पर्याप्त कदम उठाए जाएंगे।
अभी कोई निष्कर्ष न निकाला जाए
इंडिगो की तरफ से मामले की सुनवाई के दौरान पेश किए गए दावों को दिल्ली हाई कोर्ट ने फिलहाल सिरे से मानने से इन्कार कर दिया। इंडिगो की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी ने कहा कि एयरलाइंस के खिलाफ अभी कोई निष्कर्ष न निकाला जाए।
उन्होंने कहा कि यह स्थिति उड़ान रोस्टर की वजह से नहीं पैदा हुई। इसके कई कारण भी थे और इंडिगो समिति के साथ सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी 19 सालों से संचालन कर रही है और यह स्थिति पहली बार आई है।
अदालत अपना आदेश और स्पष्ट करेगी
हालांकि, पीठ ने कहा कि ये उपाय सभी दूसरी एयरलाइंस ने लागू किए हैं, लेकिन इंडिगो के साथ ही यह समस्या आई। उन लोगों के बारे में सोचना होगा, जो एक हफ्ते तक विभिन्न एयरपोर्ट पर फंसे रहे।
पीठ ने स्पष्ट किया कि अदालत ने अभी तक आदेश में इंडिगो के बारे में कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन जांच लंबित है और अपना जवाब समिति के सामने पेश करें। सबकुछ इंडिगो के जवाब और जांच रिपोर्ट पर निर्भर करेगा। रिपोर्ट देखने के बाद अदालत अपना आदेश और स्पष्ट करेगी।

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