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दिल्ली HC ने मनोज जायसवाल को दी राहत, गिरफ्तारी से एक हफ्ते पहले नोटिस देगी CBI

दिल्ली हाई कोई ने व्यवसायी मनोज जायसवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें राहत दी और सीबीआई को निर्देश दिया है कि बिजनेस मैन से हिरासत में पूछताछ करने से पहले 7 कार्य दिवसों का अग्रिम नोटिस देना होगा।

By AgencyEdited By: Nitin YadavPublished: Tue, 31 Jan 2023 12:54 PM (IST)Updated: Tue, 31 Jan 2023 12:54 PM (IST)
दिल्ली HC ने मनोज जायसवाल को दी राहत, गिरफ्तारी से एक हफ्ते पहले नोटिस देगी CBI। फोटो सोर्स- फाइल फोटो।

नई दिल्ली, एएनआई। दिल्ली हाई कोर्ट ने एक कथित बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में व्यवसायी मनोज जायसवाल को अंतरिम राहत दे दी है। कोर्ट ने सीबीआई से द्वारा दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए व्यवसायी को राहत सीबीआई को उन्होंने हिरासत लेने और पूछताछ करने से पहले 7 दिनों का नोटिस देने का निर्देश दिया है।

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पूछताछ से पहले दे नोटिस

दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की खंडपीठ ने कॉर्पोरेट पावर लिमिटेड के निदेशक मनोज जाससवाल के खिलाफ यूनियन बैंक ऑफ इंडिया द्वारा 4,037 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की लिखित शिकायत पर दर्ज प्रथमिकी पर सुनवाई करते हुए राहत दे दी है। अदालत ने सीबीआई ने निर्देश देते हुए कहा, अगर मामले में याचिकाकर्ता को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की आवश्यकता है तो वह उसको 7 कार्य दिवसों का अग्रिम नोटिस दें।

अदालत ने 24 जनवरी, 2023 को पारित एक आदेश में स्पष्ट किया कि यह आदेश ऊपर उल्लिखित अजीबोगरीब तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर पारित किया जा रहा है और इसे किसी अन्य में पूर्ववर्ती स्थिति के रूप में नहीं माना जाएगा।

समाचार एजेंसी एएनआई की खबर के अनुसार याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत में दलीलें देते हुए तर्क दिया कि प्राथमिकी दर्ज करने में सीबीआई ने उनके मुवक्किल के अधिकारों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। अधिवक्ता ने आगे कहा, याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू करने की कार्रवाई एक सिविल कोर्ट के आदेश अनुरूप है, जिसने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को समान स्थित बनाए रखने और उनके खिलाफ कोई आपराधिक कार्रवाई शुरू न करने का निर्देश दिया था।

वहीं, सीबीआई की ओर से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने जांच पर रोक लगाने की मांग की है, जो अभी एक शुरुआती स्थिति में है जोकि कानूनी रूप से मान्य नहीं है।

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