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    चार साल की बच्ची से 'निर्भया' जैसी दरिंदगी, अंदरूनी अंग तक फटे; कोर्ट ने कहा-मासूम की पीड़ा कल्पना से परे

    Updated: Mon, 08 Dec 2025 09:43 PM (IST)

    दिल्ली के बाहरी इलाके में एक चार साल की बच्ची के साथ दरिंदगी का मामला सामने आया है। बच्ची के अंदरूनी अंग फट गए हैं और उसे ठीक होने में कई साल लग सकते ...और पढ़ें

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    धर्मेंद्र यादव, बाहरी दिल्ली। उत्तर-पश्चिम दिल्ली जिला में चार साल की बच्ची से निर्भया जैसी दरिंदगी का मामला सामने आया है। 21 दिन पहले चार साल की लाडली के साथ हुई दरिंदगी और अब उसकी शारीरिक पीड़ा के बारे माता-पिता ने जब कोर्ट को बताया तो सबके रौंगटे खड़े हो गए।

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    माता-पिता ने कोर्ट को बताया कि मासूस के साथ इस कदर बर्बर व्यवहार हुआ कि उसके अंदरूनी अंग तक फट गए। 15-16 दिन अस्पताल में इलाज चल रहा हैं। बच्ची की पीड़ा को देखते हुए कोर्ट ने बिना वीआईआर (विक्टिम इम्पैक्ट रिपोर्ट) के ही अंतरिम मुआवजा के तौर पर पांच लाख रुपये देने का आदेश दिया।

    न्यायाधीश ने विक्टिम इक्पैक्ट रिपोर्ट (इसी रिपोर्ट के आधार पर अंतरिम मुआवजा तय होता है) पेश न करने और जांच अधिकारी की अनुपस्थिति पर गहरी नाराजगी जताते हुए सख्त टिप्पणी की, कहा- पुलिस इतने जघन्य और संवेदनशील मामले में इतनी लापरवाही से काम कर रही है। पुलिस के इस बर्ताव को रिकार्ड में शामिल किया गया है। न्यायाधीश ने यह भी कहा कि बच्ची का पीड़ा कल्पना से परे है।

    बिना विक्टिम इम्पैक्ट रिपोर्ट के ही मुआवजे की कार्यवाही की

    रोहिणी जिले के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमित सहरावत सोमवार को पीड़िता को अंतरिम मुआवजा राशि के मामले पर सुनवाई कर रहे थे। कोर्ट ने पीड़िता को अंतरिम मुआवजा देने के उद्देश्य से यह विविध कार्यवाही स्वतः शुरू की। कोर्ट ने जांच अधिकारी से विक्टिम इम्पैक्ट रिपोर्ट मांगी थी। लेकिन, कोर्ट ने बिना रिपोर्ट के ही अंतरिम मुआवजे की कार्यवाही पूरी की।

    कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी व एसएचओ की लापरवाही के कारण, पीड़िता और उसके परिवार को परेशानी नहीं होनी चाहिए, इसलिए वीआईआर पर विचार किए बिना अंतरिम मुआवजे की कार्यवाही की जा रही है। अपने आदेश में न्यायाधीश ने कहा कि पीड़िता का दुख कल्पना से परे है क्योंकि वह सिर्फ चार साल की बच्ची है।

    यह दर्द और दुख का सबसे गंभीर रूप है, जिससे पीड़ित इस समय गुजर रही है। इन हालात में कोर्ट का कर्तव्य है कि वह पीड़ित और उसके माता-पिता की मदद करे और इस परिवार के दुखों को कुछ हद तक कम करे। कोर्ट ने दिल्ली राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण को बच्ची को तुरंत पांच लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा देने का निर्देश दिया।

    जांच अधिकारी रहा गायब, कोर्ट ने जताई नाराजगी

    राज्य के लिए विशेष लोक अभियोजक आदित्य कुमार ने दलील दी कि पीड़ित को अंतरिम मुआवजा पीड़ित की आवश्यकताओं के साथ-साथ परिवार की वित्तीय स्थिति के अनुसार तय किया जाना चाहिए।

    कोर्ट ने जांच अधिकारी व एचएचओ के आचरण की कड़े शब्दो मेंं निंदा की और इस मामले में जांच अधिकारी के लगातार दूसरी बार अनुपस्थित रहने पर नाराजगी जताई और कहा कि इस बार भी न तो जांच अधिकारी मौजूद है, न ही उनकी ओर से कोई प्रतिनिधि मौजूद है।

    पूर्व सूचना के बावजूद कोई वीआईआर दाखिल नहीं की गई है। यह चौंकाने वाली बात है कि पुलिस इतने जघन्य और संवेदनशील मामले में इतनी लापरवाही से काम कर रही है। पुलिस के आचरण को रिकाॅर्ड पर लिया गया है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि आदेश की एक प्रति संबंधित जिला पुलिस उपायुक्त को भेजी जाए।

    ठीक होने में एक वर्ष या उससे भी अधिक वक्त लगेगा 

    पिता ने कोर्ट को बताया कि चिकित्सकों का कहना है कि उनकी बेटी को ठीक होने में एक साल या इससे अधिक भी समय लग सकता है। इसके बाद भी यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है कि बच्ची के अंग स्वभावित तरीके से काम कर पाएंगे, या नहीं।

    चिकित्सकों ने नित्य क्रिया के लिए एक वैकल्पिक प्रक्रिया अपनाई है, जिसमें पेट के किनारे अस्थायी/वैकल्पिक पाइप लगाए गए हैं और पीड़ित इन पाइपों के माध्यम से इसे कराया जा रहा है।

    उन्होंने बताया कि चिकित्सकों के अनुसार पीड़ित जल्द ही ठीक नहीं होगी, और इसमें लगभग एक साल का लंबा समय लगेगा और उसके बाद भी कोई निश्चितता नहीं है कि पीड़ित नित्य क्रिया के लिए अपने प्राकृतिक अंगों का इस्तेमाल कर पाएगी।

    उन्होंने बताया कि उन्हें और उनकी पत्नी को लगातार बच्ची के पास रहना पड़ता है और वे अपने काम-धंधे पर भी नहीं जा पा रहे हैं और उनके लिए रोजी-रोटी कमाना भी मुश्किल हो रहा है।

    बच्ची को कोर्ट ले आए माता-पिता

    पिछली दोनों सुनवाई के दौरान बच्ची के माता-पिता न केवल स्वयं कोर्ट में उपस्थित हुए, बल्कि इस बार बच्ची को भी अपने साथ लेकर पहुंचे। कोर्ट ने अपने फैसले में इस बात का यह कहते हुए उल्लेख किया है कि हालांकि पीड़िता को पेश होने के लिए नहीं कहा गया था, लेकिन उसके माता-पिता उसे कोर्ट में लाए हैं।

    17 नवंबर की देर शाम पड़ोसी ने की थी वारदात

    पिछले महीने की 17 तारीख को देर शाम चार वर्षीय बच्ची को गली में रहने वाला 22 साल का युवक चाकलेट दिलवाने के बहाने ले गया। इसके बाद उसने बच्ची के साथ दुष्कर्म किया। जब बच्ची घर नहीं पहुंची तो स्वजन ने खोजबीन की। इस दौरान युवक बच्ची को गोद में लेकर आया और उसकी माता को सौंप दी।

    कपड़े पर रक्त देखकर बच्ची की माता ने पूछा तो बच्ची ने आपबीती बताई। इसके बाद बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराया। इलाज के लिए बच्ची को 15-16 दिन अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।

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