Delhi Govt vs LG : फिर टकराव की राह पर दिल्ली, सचिवालय और राजनिवास के बीच लगातार बढ़ रही दूरी
दिल्ली सचिवालय और राजनिवास के बीच दूरी लगातार बढ़ रही है। आम आदमी पार्टी एलजी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रही है तो एलजी भी संदेश दे रहे हैं कि वह इसी तरह काम करेंगे। चर्चा तेज है कि एलजी आजकल निर्वाचित सरकार से भी तेज दौड़ रहे हैं।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली क्या फिर से टकराव की राह पर चल पड़ी है, यह सवाल कार्यालयों, बाजारों से लेकर राजधानी की गलियों तक में उठने लगा है। जिस तरह उपराज्यपाल (एलजी) आक्रामक रुख अपना चुके हैं और दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार उन्हें सीधे घेर रही है, उससे यह चर्चा तेज है कि एलजी आजकल निर्वाचित सरकार से भी तेज दौड़ रहे हैं।
दिल्ली सचिवालय और राजनिवास के बीच दूरी लगातार बढ़ रही है। एलजी की कार्यप्रणाली पर आप सवाल उठा रही है, तो एलजी भी संदेश दे रहे हैं कि वह इसी तरह काम करेंगे। उधर, दिल्ली सरकार और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि जब एलजी ही सरकार चलाएंगे, तो निर्वाचित सरकार क्या करेगी। उधर, एलजी कह रहे हैं कि दिल्ली का प्रशासक मैं हूं। ऐसे में लोगों के बीच चर्चा शुरू है कि कहीं वर्ष 2015-16 वाले हालात न पैदा हो जाएं और दिल्ली का विकास न रुक जाए।
कांग्रेस शासित राज्यों पर आप की नजर
एमसीडी में बहुमत और गुजरात विधानसभा चुनाव में पांच सीटें जीतने के बाद अब आप का ध्यान कांग्रेस शासित अन्य राज्यों पर है। आप के रणनीतिकार मान रहे हैं कि भाजपा से अधिक सरल कांग्रेस से सत्ता हथियाना है। आप हाल के चुनावों में देख चुकी है कि भाजपा के वोट बैंक में सेंधमारी उसके लिए आसान नहीं है। हालिया किसी भी चुनाव में आप ने भाजपा के वोटबैंक को ज्यादा प्रभावित नहीं किया है, जबकि कांग्रेस का वोटबैंक अपने कब्जे में कर लिया है।
दिल्ली और पंजाब इसके बड़े उदाहरण हैं जहां आप ने सत्तासीन कांग्रेस का सफाया कर दिया है। अब पार्टी का फोकस छत्तीसगढ़ व राजस्थान पर है जहां के लिए पार्टी ने रणनीति बनानी शुरू कर दी है। पिछले दिनों इसे लेकर पार्टी नेताओं की दिल्ली में बैठक भी हो चुकी है जिसमें कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी भी सौंप दी गई है।
धार्मिक मामले पर भी राजनीति तेज
दिल्ली के सिख नेता एक-दूसरे को नीचा दिखाने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहते हैं। मामला चाहे संगत से जुड़ा हो या गुरुद्वारा प्रबंधन का। भ्रष्टाचार और अन्य मुद्दों पर भिड़ने के बाद अब पाकिस्तान से गुरु ग्रंथ साहिबजी के पुराने स्वरूप को लाने की सेवा को लेकर सिख नेता आमने-सामने हैं।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका ने कहा कि यह सेवा दिल्ली के संगत को मिल रही थी लेकिन शिरोमणि अकाली दल बादल के प्रदेश अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना इसमें बाधा बन गए। सरना ने कहा कि डीएसजीएमसी इस सेवा के लिए सक्षम नहीं है।
इस धार्मिक काम को लेकर डीएसजीएमसी व अकाली दल के नेता व उनके समर्थक इंटरनेट मीडिया पर भिड़ रहे हैं। वहीं, इनकी लड़ाई से नाराज आम संगत नेताओं को पंथक हित में मिलकर काम करने की सलाह दे रही है।
कांग्रेसियों को मिला नया ‘रोजगार’
एमसीडी चुनाव और भारत जोड़ो यात्रा के बाद दिल्ली के कांग्रेसियों को अब नया रोजगार मिल गया है। पार्टी नेता अब 26 जनवरी से शुरू होने वाले ‘हाथ से हाथ जोड़ो अभियान’ की तैयारी में जुट गए हैं। प्रदेश, जिला और विधानसभा स्तर पर बैठकों का दौर शुरू हो गया है। चूंकि इस समय प्रदेश कांग्रेस में बदलाव की आहट महसूस की जा रही है, लिहाजा इस अभियान की तैयारी में उन नेताओं का उत्साह भी देखते ही बनता है, जो बदलाव के इस दौर में स्वयं भी कुछ पद पाने की इच्छा रखते हैं।
स्थिति यह है कि ऊपर से भले कोई कुछ नहीं बोल रहा हो, लेकिन अखिल भारतीय कांग्रेस कार्यालय के पदाधिकारियों की नजर में सभी नंबर बनाना चाह रहे हैं। नए अभियान की कमान प्रियंका गांधी वाड्रा के हाथ होने की बात है तो इस बार महिला कांग्रेस भी जोश में है। हालांकि इस सबसे पार्टी में कितनी मजबूती आएगी, यह तो भविष्य ही बताएगा।
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