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    संसाधन ही नहीं, कैसे हो इलाज

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 31 Aug 2018 11:13 PM (IST)

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : राजधानी में बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होने का दावा कर दिल्ली सरक

    संसाधन ही नहीं, कैसे हो इलाज

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : राजधानी में बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होने का दावा कर दिल्ली सरकार अपने अस्पतालों में स्थानीय मरीजों के लिए 80 फीसद सुविधाएं आरक्षित करने की बात कह रही है। दूसरी ओर आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली सरकार अपने अस्पतालों में एक हजार की आबादी पर एक बेड भी उपलब्ध नहीं करा पाई है। इसलिए एक बड़ी आबादी इलाज के लिए निजी अस्पतालों पर निर्भर है। गनीमत है कि देश की राजधानी होने के नाते दिल्ली में केंद्र व स्थानीय निकायों के अस्पतालों का बड़ा नेटवर्क भी मौजूद है। विशेषज्ञ कहते हैं कि निजी क्षेत्र व केंद्र की भागीदारी नहीं होती तो दिल्ली सरकार स्वास्थ्य का बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने में फिसड्डी साबित होती।

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    विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एक हजार की आबादी पर पांच बेड उपलब्ध होने चाहिए। वर्ष 2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के अस्पतालों में 53,329 बेड उपलब्ध हैं। इस तरह एक हजार की आबादी पर 2.86 बेड उपलब्ध हैं। इसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी 50.65 फीसद है। इसके अलावा केंद्र व स्थानीय निकायों की भागीदारी 29 फीसद है, जबकि दिल्ली सरकार के अस्पतालों की भागीदारी महज 20.45 फीसद है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अजय लेखी ने कहा कि स्वास्थ्य राज्य का मसला है। फिर भी दिल्ली सरकार के अस्पतालों में बेड कम उपलब्ध होना गंभीर मसला है। दिल्ली सरकार ने एक साल में एक हजार बेड बढ़ाने की बात कही थी पर ऐसा नहीं हुआ। नए अस्पताल बन नहीं पा रहे हैं। यह सही है कि लोगों को घर के नजदीक इलाज की बेहतर सुविधा मिलनी चाहिए। फिर भी बुनियादी ढांचे का विकास करने के बजाए ऐसे फैसले लिए जा रहे हैं जिनसे एनसीआर के मरीजों की मुश्किलें बढ़ेंगी। अधिवक्ता व हाई कोर्ट द्वारा गठित निरीक्षण कमेटी के सदस्य अशोक अग्रवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन पहले ही अपने फैसले में कहा है कि कोई भारतीय दिल्ली में बाहरी नहीं है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 1995 में एक आदेश दिया था कि कोई सरकारी अस्पताल किसी मरीज को इलाज से इन्कार नहीं कर सकता। इसलिए क्षेत्र के नाम पर मरीजों के साथ इलाज में भेदभाव नहीं किया जा सकता। दिल्ली के अस्पतालों में दो सालों में बेड की संख्या व विभिन्न एजेंसियों की भागीदारी।

    एजेंसी 2015-16 2016-17

    दिल्ली सरकार 10820 10908

    नगर निगम 3797 4102

    एनडीएमसी 215 215

    केंद्र सरकार 0829 11146

    अन्य स्वायत्त निकाय 128 142

    प्राइवेट अस्पताल- 24,180 26816

    कुल 49,969 53,329