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    बीते 15 वर्षों में दिल्ली में आग और दुर्घटनाओं में 6,611 मौतें, DFS को मिलीं 4 लाख से अधिक इमर्जेंसी कॉल

    By Agency PTIEdited By: Neeraj Tiwari
    Updated: Thu, 06 Nov 2025 11:23 PM (IST)

    दिल्ली में पिछले 15 सालों में आग और दुर्घटनाओं में 6,611 लोगों की जान गई। दिल्ली फायर सर्विस को 4 लाख से ज़्यादा इमरजेंसी कॉल मिलीं। आग की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है। डीएफएस ने तत्परता से काम किया है। नागरिकों में जागरूकता बढ़ाना ज़रूरी है ताकि ऐसी घटनाओं को कम किया जा सके।

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    प्रतीकात्मक तस्वीर।

    नई दिल्ली (प्रेट्र)। पिछले 15 वर्षों में साल 2024 तक दिल्ली फायर सर्विस (डीएफएस) को 4 लाख से अधिक आपातकालीन कॉल प्राप्त हुए, जबकि राष्ट्रीय राजधानी में आग, इमारत ढहने और सड़क दुर्घटनाओं सहित विभिन्न दुर्घटनाओं में 6,611 लोगों की जान गई। आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध डेटा के अनुसार, 2011-12 वित्तीय वर्ष में सबसे कम 18,143 कॉल प्राप्त हुए, जबकि 2022-23 में सबसे अधिक 31,958 कॉल आए।

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    चोटों और मौतों के आंकड़े

    साल 2010-11 में सबसे कम 243 चोटें दर्ज की गईं, जबकि 2023-24 में 3,232 व्यक्ति घायल हुए, जो सबसे अधिक है। मौतों का आंकड़ा 2016-17 में सबसे कम 277 था, जबकि 2023-24 में 1,303 लोगों की मौत हुई, जो अब तक का सबसे ऊँचा है। 2009-10 से 2023-24 वित्तीय वर्ष तक, डीएफएस की सहायता मांगी गई घटनाओं में दिल्ली में कुल 6,611 मौतें दर्ज की गईं।

    विभिन्न आपातकालीन स्थितियां शामिल

    एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि ये आँकड़े केवल आग से संबंधित घटनाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इमारत ढहने, सड़क दुर्घटनाओं और अन्य आपातकालीन स्थितियों जहां विभाग की मदद ली गई, को भी शामिल करते हैं।

    मौतों में निरंतर बढ़त

    2020 से मौतों में स्थिर वृद्धि देखी गई: वर्ष 2020-21 में 346 मौतें, 2021-22 में 591 (लगभग 70 प्रतिशत की वृद्धि)। 2022-23 में 1,029 मौतें (74 प्रतिशत की वृद्धि) और 2023-24 में 1,303 (27 प्रतिशत की वृद्धि) दर्ज की गईं।

    मौत के आंकड़ों पर क्या बोले अधिकारी?

    मौतों की संख्या में वृद्धि पर अधिकारी ने कहा कि साल 2021-22 के बाद घटनाओं में वृद्धि का कोई विशेष कारण नहीं है। उन्होंने कहा कि ये घटनाएं अप्रत्याशित रूप से होती हैं और हमारे नियंत्रण से बाहर हैं। वहीं, दिल्ली में हाल के वर्षों में कई बड़े आग हादसे हुए हैं। अधिकारियों के अनुसार, आग के कारण अवैध संचालन और सुरक्षा मानकों की अनदेखी से लेकर हैं।

    फरवरी 2023 में बाहरी दिल्ली के अलीपुर क्षेत्र में एक पेंट फैक्ट्री में भीषण आग लगी, जिसमें विस्फोट हुआ था। इस दौरान पास की इमारतों जिसमें एक ड्रग रिहैबिलिटेशन सेंटर और आठ दुकानें शामिल थीं, में आग लग गई थी। उस हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई थी। 13 मई 2022 को पश्चिम दिल्ली के मुंडका क्षेत्र में एक व्यावसायिक इमारत (बेसमेंट और चार मंजिलों वाली) में आग लगने से कम से कम 27 लोग मारे गए।

    यह घटना 2019 के अनाज मंडी आग की याद दिलाती है, जिसमें 44 लोग मारे गए थे। यह 1997 की उपहार सिनेमा त्रासदी (59 मौतें) के बाद दिल्ली की सबसे गंभीर आग घटना थी।फरवरी 2019 में मध्य दिल्ली के करोल बाग में एक चार मंजिला होटल में सुबह-सुबह आग लगी, जिसमें कम से कम 17 मेहमान मारे गए, जिनमें दो लोग इमारत से कूदकर बचने की कोशिश में मारे गए।

    उससे पहले वर्ष में बवाना में पटाखा भंडारण इकाई में आग लगने से 10 महिलाओं सहित 17 लोग मारे गए थे। 

    मध्यम और गंभीर आग लगने की घटनाएं

    डेटा के अनुसार, वर्ष 2009-10 से 2023-24 तक 216 ‘मध्यम’ और 37 ‘गंभीर’ आग घटनाएं दर्ज की गईं। ‘मध्यम’ घटनाओं की सबसे कम संख्या 2014-15 में सात थी, जबकि सबसे अधिक 2018-19 में 27।

    ‘गंभीर’ घटनाएं 2015-16 में शून्य (सबसे कम) थीं और 2016-17 में छह (सबसे अधिक) दर्ज की गईं। 

    आग के स्तरों की श्रेणी

    आग के स्तरों के बारे में बताते हूए एक सीनियर अधिकारी ने कहा, 'कॉल आने पर क्षेत्र के स्टेशन इंचार्ज मौके पर जाते हैं। यदि उनकी फ्लीट और संसाधन अपर्याप्त हों, तो इसे ‘मेक-4’ स्तर का रिस्पॉन्स घोषित किया जाता है। यदि फिर भी पर्याप्त न हो, तो ‘मेक-6’ स्तर पर बढ़ाया जाता है और उसके बाद इसे ‘मध्यम’ आग घोषित किया जाता है, जिसमें सामान्यतः 20 से 25 फायर टेंडर लगते हैं।'

    उन्होंने आगे कहा कि यदि आग नियंत्रण से बाहर रहे, तो इसे ‘गंभीर’ आग घोषित किया जाता है, जिसमें आमतौर पर 30 से 35 फायर टेंडर लगते हैं। यदि यह भी पर्याप्त न हो, तो इसे ‘मेजर’ आग घोषित किया जाता है, जिसमें 35 या अधिक फायर टेंडर लगते हैं।

    अधिकारी ने कहा कि ऐसी मेजर आग रेयर केस है। उन्होंने बताया कि उनके 33 वर्षों के सेवा काल में केवल दो बार ही मेजर आग की घटनाएं हुई हैं। उन्होंने बताया कि उनमें से एक ज्वालापुरी में और दूसरी ओखला में घटित हुई थीं।

    ऐतिहासिक मेजर आग लगने की घटनाएं

    वर्ष 1995 में पश्चिम विहार के ज्वालापुरी में पुराने प्लास्टिक स्क्रैप का केंद्र आग से नष्ट हो गया था। बाद में व्यापार मुंडका चला गया।

    2002 में ओखला फेज-II में एक केमिकल फैक्ट्री में आग लगी, जो तेजी से पास के झुग्गी क्लस्टर और आवासीय क्षेत्रों में फैल गई। कई घंटों तक जलती रही आग को नियंत्रित करने में 120 से अधिक फायरफाइटर्स लगे। 

    डीएफएस की क्षमता

    डीएफएस वेबसाइट के अनुसार, विभाग 66 फायर स्टेशन संचालित करता है और 245 फायरफाइटिंग वाहनों तथा अन्य सहायक इकाइयों का बेड़ा रखता है। अधिकारी ने कहा कि विभाग राष्ट्रीय राजधानी में आपातकालीन स्थितियों में नागरिकों की सहायता के लिए चौबीसों घंटे सतर्क और तैयार रहता है।

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