दिल्ली सरकार 55 किलोमीटर लंबे रिंग रोड को एलिवेटेड कॉरिडोर में बदलेगी, दुरुस्त होगी परिवहन व्यवस्था
दिल्ली सरकार 55 किलोमीटर लंबे महात्मा गांधी रोड को एलिवेटेड कॉरिडोर में बदलने की योजना बना रही है। इस परियोजना का उद्देश्य राजधानी की परिवहन व्यवस्था को बेहतर बनाना और यातायात जाम को कम करना है। एईकॉम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को डीपीआर तैयार करने का काम सौंपा गया है, जिसे छह चरणों में पूरा किया जाएगा। पीडब्ल्यूडी मंत्री ने इसे स्मार्ट दिल्ली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।

55 किलोमीटर लंबे महात्मा गांधी रोड (रिंग रोड) को एलिवेटेड कॉरिडोर में परिवर्तित करने की योजना।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार का लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी ) ने राजधानी की परिवहन व्यवस्था को बेहतर बनाने और यातायात जाम को कम करने की दिशा में एक बड़ी रणनीति की तैयारी में है। विभाग ने 55 किलोमीटर लंबे महात्मा गांधी रोड (रिंग रोड) को एलिवेटेड कॉरिडोर में परिवर्तित करने की योजना बनाई है।
व्यवहार्यता अध्ययन और इसके लिए परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने का काम एईकाम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को सौंपा गया है, जो 24 सप्ताह यानी छह माह में डीपीआर बना कर देगी। परियोजना पर छह भागों में काम होगा।
दिल्ली का यह सबसे बड़ा एलिवेडेट कॉरिडोर होगा। यह मार्ग दिल्ली की जीवनरेखा मानी जाता है, जो उत्तर, दक्षिण और मध्य दिल्ली को जोड़ता है। सरकार का मानना है कि इस मार्ग का पुनर्विकास राजधानी के भीड़भाड़ वाले मार्गों पर यातायात प्रबंधन को मजबूत करेगा और सार्वजनिक गतिशीलता में सुधार लाएगा।
छह चरणों में होगा कॉरिडोर का विकास
कुशलता और क्षेत्रवार सुधार सुनिश्चित करने के लिए पूरी सड़क को छह विकास चरणों में बांटा गया है, जिनमें दिल्ली की प्रमुख सड़कों को शामिल किया गया है।
-आज़ादपुर फ्लाईओवर (मंडी) से हनुमान मंदिर (आइएसबीटी) तक 9.5 किमी
-चंदगी राम अखाड़ा से मजनू का टीला : 2.5 किमी
-हनुमान मंदिर (आइएसबीटी) से डीएनडी फ्लाईओवर: 11.5 किमी
-डीएनडी फ्लाईओवर से मोती बाग मेट्रो स्टेशन: 10.5 किमी
-मोती बाग मेट्रो स्टेशन से राजौरी गार्डन: 10 किमी
-राजौरी गार्डन से पैसिफिक माल, पीतमपुरा से आज़ादपुर फ्लाईओवर: 13.5 किमी
व्यापक योजना और रणनीतिक दृष्टिकोण
एईकाम के पर्यवेक्षण में यह परियोजना निम्न प्रमुख कार्यों को शामिल करेगी
-सभी प्रमुख चौराहों और भीड़भाड़ वाले बिंदुओं पर यातायात और गतिशीलता पैटर्न का विश्लेषण
-हरित और सतत विकास के लिए पर्यावरणीय एवं सामाजिक प्रभाव आकलन
-दीर्घकालिक स्थायित्व और सुरक्षा के लिए भू-तकनीकी और संरचनात्मक जांच
-आधुनिक इंजीनियरिंग समाधान जैसे ग्रेड सेपरेटर, अंडरपास, पैदल-अनुकूल क्षेत्र और सिग्नल अनुकूलन
-दिल्ली मेट्रो और सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क के साथ समेकन, ताकि अंतिम मील कनेक्टिविटी सुनिश्चित की जा सके
इस तरह कंपनी को काम का दिया गया लक्ष्य
-सप्ताह 1–6: प्रारंभिक सर्वेक्षण, स्थलाकृतिक मानचित्रण और सर्विस रोड का मूल्यांकन
-सप्ताह 7–12: पर्यावरण स्वीकृति, भूमि अधिग्रहण अध्ययन और भू-तकनीकी परीक्षण
-सप्ताह 13–18: अवधारणात्मक डिज़ाइन और ट्रैफिक माडलिंग
-सप्ताह 19–24: डीपीआर का प्रस्तुतीकरण – तकनीकी, वित्तीय और कार्यान्वयन रूपरेखा के साथ
डीपीआर में निम्न बिंदु शामिल होंगे:
-प्रस्तावित समाधानों के परीक्षण के लिए रियल-टाइम ट्रैफिक सिमुलेशन माडल
-हरित निर्माण सामग्री और प्रौद्योगिकी का उपयोग
-समर्पित पैदल और साइकिल ट्रैक
-उन्नत प्रकाश व्यवस्था, साइनएज और सुरक्षा अवसंरचना
दिल्ली के भविष्य बनेगा रोडमैप
परियोजना पूर्ण होने के बाद
-सभी हिस्सों में यात्रा समय में उल्लेखनीय कमी आएगी
-आइएसबीटी, मोती बाग और डीएनडी जैसे भीड़भाड़ वाले चौराहों पर जाम में राहत मिलेगी
-सुगम ट्रैफिक प्रवाह से वायु गुणवत्ता में सुधार होगा
-औद्योगिक, वाणिज्यिक और आवासीय क्षेत्रों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ेगी, जिससे आर्थिक गतिविधियां तेज़ होंगी
पीडब्ल्यूडी मंत्री वर्मा बोले, सड़क ही नहीं, स्मार्ट दिल्ली की परिकल्पना
महात्मा गांधी रोड सिर्फ एक परिवहन मार्ग नहीं, बल्कि दिल्ली की रीढ़ है। हमारा लक्ष्य इसे और अधिक स्मार्ट, सुरक्षित और तेज़ बनाना है। यह परियोजना एक ऐसे जुड़े हुए और कुशल राजधानी की दिशा में ठोस कदम है, जहां हर नागरिक बेहतर डिज़ाइन और सुगम यात्रा का अनुभव करेगा।
यह परियोजना सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाती है जो डेटा-आधारित और पर्यावरण-संवेदनशील योजना के माध्यम से बुनियादी ढांचे को आधुनिक बना रही है। हम सिर्फ सड़कें नहीं बना रहे, हम एक स्मार्ट दिल्ली बना रहे हैं। हर फ्लाईओवर, हर चौराहा और हर ट्रैफिक सिग्नल को इस तरह पुनः डिज़ाइन किया जाएगा कि वह नागरिकों की सुविधा को सर्वोच्च प्राथमिकता मिले। - प्रवेश वर्मा, मंत्री, पीडब्ल्यूडी

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