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    Year Ender 2025: सुधारों से बदली शिक्षा की तस्वीर, लेकिन फीस; संसाधन और गुणवत्ता जैसी चुनौतियां बरकरार

    Updated: Sat, 20 Dec 2025 10:37 AM (IST)

    साल 2025 में शिक्षा के क्षेत्र में कई सुधार हुए हैं, जिससे शिक्षा की तस्वीर बदली है। इन सुधारों के बावजूद, फीस, संसाधन और गुणवत्ता जैसी चुनौतियां अभी ...और पढ़ें

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    रितिका मिश्रा, नई दिल्ली। राजधानी के शिक्षा परिदृश्य से वर्ष-2025 नीतिगत बदलाव, जवाबदेही, संरचनात्मक सुधार और अवसर विस्तार का साल साबित हुआ। दिल्ली सरकार, निजी स्कूल, सीबीएसई, दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू, जामिया, आइआइटी, इग्नू व अन्य शिक्षण संस्थान सभी स्तरों पर ऐसे निर्णय हुए, जिनका असर सीधे विद्यार्थियों, अभिभावकों, शिक्षकों और संस्थागत ढांचे पर पड़ा।

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    सबसे बड़ा और बहुचर्चित कदम रहा दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) अधिनियम, 2025 का लागू होना। इस कानून के तहत निजी स्कूलों की फीस वृद्धि पर सख्त नियमन लागू हुआ। इस कानून के तहत फीस बढ़ाने से पहले स्कूल स्तरीय समिति (जिसमें अभिभावक भी शामिल होंगे) की मंजूरी जरूरी है।

    इससे लगातार बढ़ती फीस के बोझ से जूझ रहे अभिभावकों को राहत मिली और वर्षों से लंबित पारदर्शिता की मांग पूरी हुई। इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने गैर-मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को नियमित करने की प्रक्रिया तेज की, जिससे करीब 20 हजार ईडब्ल्यूएस, डीजी और सीडब्ल्यूएसएन की सीटें बढ़ गई।

    इसके अतिरिक्त सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता सुधार और प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए तैयारी को प्राथमिकता मिली। महामना पंडित मदन मोहन मालवीय विद्या शक्ति मिशन के तहत जेईई, नीट, क्लैट और सीयूईटी जैसी परीक्षाओं के लिए मुफ्त कोचिंग व्यवस्था मजबूत की गई। डिजिटल और स्मार्ट कक्षाओं के साथ करियर काउंसलिंग पर भी विशेष ध्यान रहा।

    फिर भी चुनौतियां कम नहीं रहीं। प्रदूषण के कारण कई बार हाइब्रिड व आनलाइन शिक्षण मोड अपनाना पड़ा, जिससे नियमित कक्षाएं प्रभावित हुई। कुछ सरकारी स्कूल वर्ष भर अधोसंरचना, शिक्षक उपलब्धता और सीखने के परिणामों जैसी समस्याओं से जूझते।

    कई स्कूलों में तो खराब छात्र-शिक्षक अनुपात, टूटी-फूटी मेज और कुर्सी की समस्या देखने को मिली जिसके चलते शिक्षा सचिव तक को हाई कोर्ट से फटकार लगी। उच्च शिक्षा में सीयूईटी आधारित प्रवेश माडल, सीट रिक्त रहने का मुद्दा, सुरक्षा व्यवस्थाएं और पाठ्यचर्या से जुड़े विवाद भी वर्ष भर चर्चा में रहे।

    दो बार सीबीएसई बोर्ड परीक्षा

    सीबीएसई ने वर्ष 2025 में स्कूल शिक्षा ढांचे में बड़ी नीतिगत दिशा तय की। 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं 2026 से साल में दो बार होंगी। 50 प्रतिशत प्रश्न क्षमता आधारित और स्थिति आधारित रखने की दिशा तय की गई। 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य की गई और विषय चयन को अधिक लचीला बनाया गया। साथ ही अपार आइडी को विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य करने की प्रक्रिया शुरु की गई, जिससे शैक्षणिक रिकार्ड का डिजिटल और सुरक्षित प्रबंधन संभव होगा।

    स्नातक की सात हजार सीटें खाली रह गई

    दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में इस वर्ष एक ओर जहां लगभग 7500 से अधिक स्नातक सीटें खाली रहने का मुद्दा सुर्खियों में रहा, दिल्ली विश्वविद्यालय के लक्ष्मीबाई कालेज में गर्मियों में कक्षाओं को ठंडा करने के लिए दीवार में गोबर पोतने की घटना भी चर्चा में रही।

    वहीं, विश्वविद्यालय को नैक की दूसरी मूल्यांकन साइकिल में ए ग्रेड मिला, जिसने शैक्षणिक गुणवत्ता और संस्थागत साख को मजबूती दी। डीयू ने पीएचडी कोर्स वर्क को 12-16 क्रेडिट के एकीकृत ढांचे में बदलते हुए शोध संरचना में सुधार की दिशा में कदम बढ़ाया।

    नया एंटी-रैगिंग फ्रेमवर्क लागू हुआ। डूसू चुनाव में अभाविप का दबदबा रहा और आर्यन मान अध्यक्ष बने। डीयू ने सामाजिक समावेशन को ध्यान देते हुए मनुस्मृति को किसी भी पाठ्यक्रम में शामिल न करने का स्पष्ट निर्णय लिया,

    स्नातकोत्तर स्तर पर राजनीति विज्ञान और इतिहास के सिलेबस से धर्म आधारित आलोचनात्मक और विवादास्पद चैप्टर्स को हटाने का फैसला किया है, जिसके तहत हिंदू राष्ट्रवाद, धर्मांतरण, हिंदू-मुस्लिम रिश्ते जैसे चैप्टर पाठ्यक्रम से हटाए गए।

    101वें दीक्षा समारोह में 84 हजार से अधिक छात्रों को डिग्री मिली। पूर्वी और पश्चिमी दिल्ली के छात्रों के लिए संस्थागत पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से विस्तार योजनाओं पर भी काम आगे बढ़ा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डीयू के वीर सावरकर कालेज का शिलान्यास किया।

    इस वर्ष भर डीयू के अलग-अलग कालेजों को बम की धमकी मिली जिसके बाद इससे निपटने के लिए एक नीति तैयार की गई। वहीं, अभाविप की संयुक्त सचिव दीपिका झा का डा. बीआर आंबेडकर कालेज के एक प्रोफेसर को थप्पड़ जड़ने का मामला भी चर्चा में रहा। बाद में संयुक्त सचिव को दो माह के लिए निलंबित कर दिया।

    इग्नू की मिली पहली महिला कुलपति

    इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) को चार दशकों में पहली महिला कुलपति मिली। प्रो. उमा कांजीलाल को इग्नू का कुलपति बनाया गया। इससे पहले वह विश्वविद्यालय की प्रो-वाइस चांसलर के रूप में कार्यरत थीं।

    जामिया में प्रो. मजहर आसिफ बने कुलपति

    जामिया मिल्लिया इस्लामिया के 16वें कुलपति के पद पर प्रो. मजहर आसिफ को नियुक्त किया गया। जेएनयू के भाषा स्कूल में प्रो. मजहर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 की मसौदा समिति के सदस्य भी थे। वहीं, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ चुनाव के नतीजों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) को इस बार करारी हार का सामना करना पड़ा है।

    अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव चारों पदों पर वामपंथी गठबंधन ने कब्जा जमाते हुए एक बार फिर कैंपस की पारंपरिक वैचारिक धारा को मजबूत किया है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) दिल्ली ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाते हुए आस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के साथ संयुक्त पीएचडी कार्यक्रम शुरू किया।

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