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    ऐसे कैसे बनेगी ड्रग्स मुक्त दिल्ली? डार्क वेब की दुनिया से नशे की लत तक पहुंच रहे युवा

    Updated: Thu, 27 Nov 2025 02:42 PM (IST)

    ड्रग्स एक गंभीर समस्या है, जिसका समाधान व्यापक प्रयासों से ही संभव है। पुलिस और खुफिया तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता है। भारत के कई राज्य मादक पदार्थों के दुरुपयोग और तस्करी से जूझ रहे हैं। युवाओं को जागरूक करने के लिए अभियान चलाने चाहिए। अभिभावकों को भी अपने बच्चों पर ध्यान देना चाहिए ताकि वे बुरी संगत से दूर रहें।

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    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। एक नामी सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में बीटेक में राहुल (काल्पनिक नाम) का दाखिला हुआ था परिवार खुश था, शहर में होते हुए भी स्वजन ने हॉस्टल भी भेज दिया। कुछ दिनों बाद, बेटे के व्यवहार में बदलाव हुए, द्वितीय वर्ष में ही फेल भी हो गया। माता-पिता ने पड़ताल की तो पता चला बेटा नशे का आदी हो चुका है। डार्क वेब की दुनिया से नशे की लत तक पहुंचे राहुल के स्वजन के जीवन में तो मानो अंधेरा छा गया।

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    पांच साल बाद भी जिंदगी पटरी पर नहीं लौट सकी। ऐसे ही कई प्रतिभाशाली युवा नशे के जाल में फंसते जा रहे हैं। दरअसल दिल्ली नशे का ट्रांजिट प्वाइंट बन चुकी है। एनसीआर के शहरों का भी यही हाल है, विशेषकर गुरुग्राम और गौतमबुद्ध नगर। साल दर साल यहां इसकी खपत बढ़ती ही जा रही है। सरकार इसके विरुद्ध तीन साल से अभियान भी चला रही है। ड्रग्स मुक्त दिल्ली का संकल्प है।

    बावजूद इसके ड्रग्स बिक्री के हॉट स्पॉट में इस वर्ष दो गुना वृद्धि हो गई है। आखिर पुलिस ड्रग्स की चेन को क्यों नहीं तोड़ पा रही? क्या सिर्फ अलग-अलग जगहों से ड्रग्स की बरामदगी और आपूर्ति करने वालों की गिरफ्तारी करने से ड्रग्स मुक्त दिल्ली का संकल्प पूरा हो पाएगा? आखिर पड़ोसी राज्यों से मजबूत समन्वय और ड्रग्स की चेन को तोड़ने या खत्म करने में क्यों विफल है पुलिस इसी की पड़ताल हमारा आज का मुद्दा है :

    क्या आप मानते हैं कि दिल्ली समेत एनसीआर में हाल के वर्षों में ड्रग्स की खपत के साथ इसकी तस्करी भी बढ़ी है?

    • हां : 89
    • नहीं : 11

    क्या एनसीआर क्षेत्र में ड्रग्स के इस्तेमाल पर नियंत्रण के लिए पुलिस को आवक रोकने पर ठोस काम करना चाहिए?

    • हां : 98
    • नहीं : 2

    पुलिस के बेहतर समन्वय से ही टूटेगी ड्रग्स की चेन

    दिल्ली में रोजगार के अवसर अधिक होने के कारण यहां आबादी बहुत तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में यह जरूरी है कि दिल्ली से सटे शहरों नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, बहादुरगढ़, नूंह, सोनीपत, गुरुग्राम, फरीदाबाद आदि की पुलिस के साथ बेहतर समन्वय स्थापित किया जाए, ताकि जमीनी स्तर पर सूचनाओं के आदान-प्रदान से ड्रग्स तस्करी के नेटवर्क को प्रभावी ढंग से ध्वस्त किया जा सके। यदि अतिरिक्त और प्रभावी प्रयास नहीं किए गए तो ड्रग्स तस्करी की समस्या और गंभीर हो सकती है।

    पुलिस की जिम्मेदारी, प्रतिबद्धता व समन्वय नहीं बढ़ेगा तो ड्रग्स तस्करी रोकने में मुश्किल आएगी। जिस तरह तस्कर अब ड्रग्स की आपूर्ति के लिए इंटरनेट मीडिया का इस्तेमाल करने लगे हैं, ऐसे में ड्रग्स तस्करी रोकने के लिए सोशल मीडिया पर पैनी नजर के साथ ही ह्यूमन इंटेलीजेंस को मजबूत करने की जरूरत है। केवल फोन इंटरसेप्शन से तस्करों को पकड़ना संभव नहीं होगा। ऐसा देखा जा रहा है कि ड्रग्स की मांग अधिक के कारण दिल्ली में इसका कारोबार भी तेजी से फलने फूलने लगा है।

    दिल्ली तस्करों का ट्रांजिट प्वाइंट बन चुकी है। यहां पर देश के विभिन्न हिस्सों और विदेश से ड्रग्स आने के साथ ही उन्हें विभिन्न राज्यों में भेजने का भी काम बड़े स्तर पर होने लगा है। पिछले कई सालों से दिल्ली पुलिस ड्रग्स तस्करों पर लगाम लगाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। 2027 तक दिल्ली को ड्रग्स मुक्त करने के लक्ष्य को देखते हुए दिल्ली पुलिस बड़े बड़े तस्करों को दबोच कर उनसे बड़ी खेप बरामद कर रही है।

    दिल्ली व पड़ोसी राज्यों की पुलिस को केंद्रीय एजेंसियों के साथ बेहतर समन्वय बनाना होगा, इंटेलीजेंस तंत्र को बहुत मजबूत करना होगा। ह्यूमेन इंटेलीजेंस जिसे मुखबिर कहा जाता है उसे मजबूत बनाने के लिए बीट अफसरों की सबसे अधिक जिम्मेदारी तय करने की जरूरत है। मोबाइल इंटेलीजेंस पर काम करना होगा।

    जिन अलग-अलग एप के जरिये लोग तस्करों से ड्रग्स खरीदते हैं और तस्कर उन्हें होम डिलीवरी करते हैं उसपर अधिक से अधिक मानीटरिंग करने की जरूरत है। डार्क वेब व क्रिप्टो करेंसी, जिसके जरिये तस्कर ड्रग्स खरीदते और बेचते हैं इन दोनों पर भी अभी ठीक से नजर नहीं रखी जा रही है। ड्रग्स के काले धंधे से आने वाले पैसे का इस्तेमाल नारकोटेरेरिज्म में होता है।

    ड्रग्स तस्करी की लंबे चेन होती है, चेन में शामिल सभी सदस्यों को पकड़ना होगा। ड्रग्स तस्करों के पकड़े जाने पर जांच एजेंसियों को अदालतों में मजबूत पैरवी करने की जरूरत है ताकि उन्हें सख्त से सख्त सजा मिले। जमान पर बाहर नहीं आ सकें। ड्रग्स तस्करों को पकड़े जाने पर उनसे ड्रग्स की बरामदगी बहुत मायने रखती है।

     

    बरामदगी न होने पर केस पर बहुत बुरा असर पड़ता है। इसलिए जांच एजेंसियों को इस तरह की कोशिश करनी चाहिए कि वे जिन्हें भी ड्रग्स तस्करी के आरोप में गिरफ्तार करें उनके कब्जे से ड्रग्स की अधिक से अधिक से बरामदगी हो। ड्रग्स को लेकर काम करने वाली दिल्ली समेत पड़ोसी राज्यों की नारकोटिक्स यूनिटों की नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो व अन्य केंद्रीय एजेंसियों के साथ बेहतर समन्वय बनाकर ही सुधार संभव है। यह जानकारी जागरण संवाददाता राकेश कुमार सिंह से दिल्ली पुलिस पूर्व संयुक्त आयुक्त सुवाशीष चौधरी से बातचीत पर आधारित है।

    नशे की जड़ पर करना होगा कड़ा प्रहार, तभी लगेगी लगाम

    जब कहीं ड्रग्स बरामद होती है तो यह पता करना चाहिए कि यह आई कहां से, इस चेन का छोर कहां है। चाहे इसका माफिया दूसरे देश में बैठा हो, इंटरपोल व अन्य एजेंसियों की मदद से उन पर लगाम लगानी आवश्यक है। सिर्फ नशा करने वाले और उनकी तस्करी करने वालों पर कार्रवाई करने से बात नहीं बनेगी। सीधे जड़ पर जब प्रहार होगा, तभी बात बनेगी और ड्रग्स सप्लाई पर लगाम लगेगी।

    एक बार जब पुलिस वहां तक पहुंच जाएगी तब आगे इस पर रोक लग सकती है। जब भी पुलिस किसी मामले में तस्कर को पकड़े, उससे कड़ी पूछताछ कर उसकी चेन के बारे में पता लगाना चाहिए। इस चेन में शामिल हर व्यक्ति से गहनता से जांच में शामिल करना होगा। आजकल अधिकतकर ड्रग्स विदेश से सप्लाई हो रही है। विदेश से लाकर देश में सबसे पहले जहां उतर रही है, वहां पकड़ने के लिए पूरे इंतजाम होने चाहिए।

    कौन ला रहा है, कैसे आ रही है, हर समय निगाह रखनी होगी। कहां स्टोर हो रही है। किसके पास जाती है, कौन सप्लायर है, उसके एजेंट कौन-कौन हैं। कहां खपत है। जो खरीद रहे हैं उन्हें पकड़ें, इसके बाद हर कड़ी को पकड़ना पड़ेगा। जब तक छोर नहीं मिलेगा, तब तक बात नहीं बनेगी। सिर्फ फिगर के लिए काम नहीं करना है। कई बार देखा जाता है कि पुलिस बरामदगी तो खूब दिखाती है, सप्लाई चेन फिर भी निरंतर चलती रहती है। जहां कुंतलों में ड्रग्स आ रही है, वहां निगाह नहीं जा रही है। यह देखना होगा कि कौन से पोर्ट पर आ रही है। विदेश से आने वाली ड्रग्स या तो पोर्ट के माध्यम से आती है या हवाई मार्ग से। इन दोनों ही जगहों पर निरंतर नजर बनानी है।

    ड्रग्स एक बड़ा विषय है। इसे एक दिन में खत्म नहीं किया जा सकता। लेकिन पुलिस-प्रशासन अगर व्यापक तरीके से अभियान चलाए तो इस पर एक दिन जरूर काबू पाया जा सकता है। पुलिस और इंटेलीजेंस की व्यवस्था ठीक होनी चाहिए। एनसीआर में ड्रग्स पकड़ने के मामले बढ़ते चले जा रहे हैं। भारत के कई राज्य मादक पदार्थों के दुरुपयोग और तस्करी संबंधी गंभीर चुनौती का सामना कर रहे हैं।

    ड्रग्स लाखों लोगों, विशेषकर युवाओं के स्वास्थ्य, कल्याण और सुरक्षा को प्रभावित करती है। वहीं घरों में शुरुआती दौर से ही बच्चों को बताना चाहिए। ड्रग्स का इस्तेमाल करने वाले लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जाए। स्कूल-कॉलेज में कार्यक्रम किए जाएं। अभिभावकों को भी इसमें शामिल किया जाए, अभिभावक इस बात का ध्यान रखें कि उनके बच्चे किसी बुरी संगत में तो नहीं है, बुरी लत तो नहीं लग रही है। आम जनता में भी जागरूकता लानी जरूरी है। ये जानकारी हरियाणा के पूर्व एडीजीपी रेशम सिंह ने जागरण संवाददाता विनय त्रिवेदी को बातचीत में दी

    नारकोटिक्स डिपार्टमेंट ड्यूटी तो करता है, लेकिन यदि सक्रियता होती तो फिर उसकी आपूर्ति पोर्ट से अलग शहरों तक कैसे हो जाती है? उनसे यह पूछना होगा कि ड्रग्स को रोकने के लिए उन्होंने कितनी जिम्मेदारी निभाई। आखिरकार ड्रग्स दिल्ली तक आ कैसे गई। ड्रग्स तस्करी के केस में कई बार ऊपर से सिफारिशें आने लगती हैं।

    कई बार यह देखा जाता है कि पुलिस शराब तस्करों को तो पकड़ लेती है, लेकिन जहां से शराब की सप्लाई हो रही है या बनाई जा रही, उसके बारे में कुछ नहीं किया जाता। इसके लिए सबसे पहले यह देखना होगा कि कहां कोई चीज बन रही है, वहां प्रहार करना होगा। 

    साल दर साल बढ़ता गया नशे का जाल

    दिल्ली में हाल ही में 262 करोड़ रुपये मूल्य की ड्रग्स की बरामदगी दर्शाती है कि यहां ड्रग्स के इस्तेमाल और इसकी आवक रोकने को लेकर किए जा रहे प्रयास सफल नहीं हो रहे हैं। दिल्ली पुलिस बरामद ड्रग्स की बड़ी मात्रा को समय-समय पर नष्ट कर यह दर्शाती रही है कि वह इसे लेकर सक्रिय है, लेकिन वास्तविकता यह है कि सिर्फ दिल्ली ही नहीं एनसीआर के कई अन्य शहरों में भी ड्रग्स की खपत बदस्तूर जारी है और न ही क्षेत्र में इसकी आवक रोकी जा सकी है।

    तेजी से बढ़ता मिशन, हॉट स्पॉट भी बढ़े 

    • 3 साल में हॉट स्पॉट हो गए तीन गुने, 2027 तक ड्रग्स मुक्त दिल्ली बनाने का लक्ष्य
    • 2022 में दिल्ली में थे ड्रग्स के कुल 62 हाटस्पाट, 2025 में हो गए 179 (करीब तीन गुने)
    • 10 माह में ड्रग्स तस्करी के मामले : 1915 मुकदमे, 2498 गिरफ्तार
    • 3 साल में 8 बार बरामद ड्रग्स जलाकर नष्ट की गई
    • नष्ट की गई कुल ड्रग्स : 46,514.691 किलो
    • कीमत के लिए दावा : 13,829,25 करोड़ से अधिक

    एनडीपीएस मामलों के विवरण वर्ष 2022-2025

    वर्ष मुकदमे गिरफ्तारी
    2025 1915 2498
    2024 1789 2290
    2023 1325 1736
    2022 1179 1499

    उत्तरी-दक्षिणी पूर्व में सर्वाधिक हॉटस्पॉट

    • बाहरी-उत्तरी : 8
    • रोहिणी : 9
    • उत्तर-पश्चिम : 6
    • उत्तरी : 6
    • मध्य : 8
    • पूर्वी : 8
    • शाहदरा : 10
    • उत्तर-पूर्वी: 14
    • नई दिल्ली : 1
    • दक्षिण-पश्चिम : 10
    • बाहरी : 10
    • पश्चिमी : 12
    • द्वारका : 10
    • दक्षिण : 10
    • दक्षिण-पूर्वी : 14

    कब : कितनी मात्रा(किलो में) : अनुमानित कीमत (करोड़ में)

    तारीख मात्रा विवरण
    21 दिसंबर 2022 2888 2400
    26 जून 2023 15,700 2200
    20 फरवरी 2024 10,631 1600
    17 दिसंबर 2024 10,601.192 1682
    24 जनवरी 2025 1575 15.75
    3 अप्रैल 2025 1643.074 2622
    26 जून 2025 1629.409 3274.5
    29 सितंबर 2025 1847.016 35

    विदेश से दिल्ली तक नशे का जाल

    • दिल्ली में हेरोइन की खेप तीन देशों से पहुंचती है। इनमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान व म्यांमार से आती है ड्रग्स
    • म्यांमार से उत्तर-पूर्वी से बंगाल।
    • बंगाल से कोलकाता
    • सड़क परिवहन से दिल्ली
    • अफगानिस्तान से पाकिस्तान और वहां से पंजाब-जम्मू कश्मीर के रास्ते दिल्ली
    • पाकिस्तान से जलमार्ग से हेरोइन गुजरात आती है, फिर वहां से दिल्ली।
    • दिल्ली व आसपास के क्षेत्रों में खपाने के बाद पश्चिमी यूरोप, कनाडा, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया व श्रीलंका हवाई मार्ग से भेजा जाता है।

    दिल्ली पुलिस द्वारा बरामद ड्रग्स

    • 31 मार्च 2025 : स्पेशल सेल और एनसीबी ने संयुक्त अभियान में 27.4 करोड़ रुपये की ड्रग्स बरामद की। इसमें 5.103 किलोग्राम क्रिस्टल मेथमफेटामाइन, 4.142 किलोग्राम अफगान हेरोइन, 5.776 किलोग्राम एमडीएमए (एक्स्टसी पिल्स), और 26 ग्राम कोकेन शामिल था।
    • 31 मार्च 2025: दिल्ली पुलिस की एंटी-नारकोटिक्स टास्क फोर्स (क्राइम ब्रांच) ने एक अंतरराज्यीय हेरोइन सप्लाई नेटवर्क को ध्वस्त करते हुए 548 ग्राम हेरोइन (415 ग्राम और 133 ग्राम) जब्त की।
    • 1 अक्टूबर 2024 : महरौली स्थित तुषार गोयल के गोदाम पर छापा मार क्राइम ब्रांच ने 562 किलो कोकेन बरामद की। जिसकी कीमत 5,620 करोड़ होने का दावा किया गया।
    • 5 अक्टूबर 2024 : अमृतसर से जस्सी नाम के तस्कर को गिरफ्तार कर एक किलो कोकेन बरामद की थी। इसकी कीमत 10 करोड़ होने का दावा किया गया
    • 10 अक्टूबर 2024 : रमेश नगर स्थित एक दुकान से 208 किलो कोकेन बरामद की थी। इसकी कीमत 2,080 करोड़ होने का दावा किया गया
    • 14 अक्टूबर 2024 : अंकलेश्वर से 518 किलो कोकेन बरामद की जिसकी कीमत 5,180 करोड़ होने का दावा किया गया थी।

    ऐसे भारत में पहुंचती है कोकेन

    लैटिन अमेरिका से साउथ अफ्रीका तक कोकेन कंटेनर के जरिये शिप से आपूर्ति होती है, जिसके बाद एयर रूट से आस्ट्रेलिया से जोहान्सबर्ग से नाइजीरिया की कैपिटल तक पहुंचती है और उसके बाद भारत में एंट्री करती है।

    कोरियर के जरिये भी मिडिल ईस्ट से यूएई और इथोपिया से भारत में कोकेन आती है। इसके साथ ही कंटेनर रूट के जरिए पनामा और इक्वेडोर से कोकेन भारत में आती है।

    मुंबई है कोकेन का सबसे बड़ा मार्केट

    सबसे बड़ा मार्केट मुंबई और दिल्ली, बेंगलुरु, गोवा और हैदराबाद में भी बिकता है।

    एक ग्राम कोकेन की कीमत 10 हजार रुपये

    युवाओं में कोकेन की सबसे ज्यादा डिमांड, इसके लिए कीमत भी भारी-भरकम चुकानी होती है। एक ग्राम कोकेन को करीब दो से तीन बार एक शख्स इस्तेमाल कर सकता है और एक ग्राम की कीमत करीब 10 हजार होती है।

    एनसीआर के शहरों में तीन साल में कार्रवाई

    शहर मात्रा (किलो में) गिरफ्तारी
    गाजियाबाद 5 हजार 795
    गौतमबुद्ध नगर 6789 1029
    गुरुग्राम 5779 1128
    फरीदाबाद 1300 1417

     

     

    डार्क वेब बना तस्करों का मददगार

    • विदेश भेजने के लिए तस्कर डार्क वेब की मदद लेते हैं। वर्चुअल करंसी का इस्तेमाल किया जाता है। राजधानी के कई पब, बार, होटलों में डार्क वेब से मंगाई गई ड्रग्स का ही इस्तेमाल होता है।
    • डार्क वेब इंटरनेट का दो हिस्सा है जहां वैध और अवैध।
    • डार्क वेब ओपिनियम राउटिंग टेक्नोलाजी पर काम करता है। ये यूजर्स को ट्रैकिंग और सर्विलांस से बचाता है और उनकी गोपनीयता बरकरार रखने के लिए सैकड़ों जगह रूट और री रूट करता है।
     

    ये हैं हॉट स्पॉट 

    शाहबाद डेरी, भलस्वा डेरी, जहांगीरपुरी, शालीमारबाग, लाल बाग झुग्गी आदर्शनगर, अंधा मूगल, मजनूं का टीला, जामा मस्जिद, बी ब्लाक, नंद नगरी, सबोली हर्ष विहार, ज्वाला नगर, विवेक विहार, के ब्लाक सीलमपुर, के ब्लाक उस्मानपुर, बुलंद मस्जिद व डीडीए फ्लैट शास्त्री पार्क, त्रिलोकपुरी 32 नंबर ब्लाक, जाकिर नगर, तैमूर नगर, हजरत निजामुद्दीन, आरकेपुरम, संगम विहार, जेजे कॉलोनी वजीरपुर, सागरपुर, छतरपुर, उत्तम नगर, मोहन गार्डन, नवादा, रघुवीर नगर, शकुरपुर, मंगोलपुरी, अमन विहार, रोहिणी सेक्टर पांच विजय विहार, डीयू नार्थ व साउथ कैंपस, मेन मार्केट गोकुलपुरी, चांद बाग पुलिया दयालपुर, शनि बाजार चौक, कदर्मपुरी, ज्योति नगर, श्रीराम कॉलोनी कच्ची खजूरी, नाला रोड करावल नगर, जी ब्लाक सोनिया विहार, पांचवा पुस्ता भजनपुरा, जनता मजदूर कॉलोनी वेलकम, मटके वाली गली जाफराबाद, श्यामलाल कॉलेज के पास, एमसीडी आफिस एनएसए कॉलोनी, नई सड़क कस्तूरबा नगर, जेजे कैंप आनंद विहार, संजय पार्क न्यू गोविंदपुरा, श्मशान घाट बस स्टैंड गीता कॉलोनी, कांति नगर रेलवे लाइन कृष्णा नगर, कलंदर कॉलोनी सीमापुरी, रेलवे लाइन नत्थू कॉलोनी, खेरा गांव एमएस पार्क मेट्रो स्टेशन झुग्गी, मजबूर नगर मंडावली, पेपर मार्केट गाजीपुर, आनंद विहार बस स्टैंड आदि।