दिल्लीवाले निकले बड़े पियक्कड़! दीवाली में गटक गए इतने करोड़ रुपये के शराब; उधर सरकार की हुई चांदी
दिवाली के दौरान दिल्लीवालों ने जमकर शराब पी, जिससे सरकार का खजाना भर गया। इस दौरान करोड़ों रुपये की शराब की बिक्री हुई, जिससे सरकार को भारी राजस्व प्राप्त हुआ। दिल्ली के पियक्कड़ों ने सरकार के खजाने को भरने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

दिल्ली सरकार को शराब की बिक्री से लगभग 600 करोड़ रुपये का राजस्व मिला है।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। निगरानी तंत्र के लगभग ठप होने के बाद भी दिल्ली में आबकारी से राजस्व बढ़ रहा है। इसी क्रम में दिल्ली सरकार को दीवाली के दौरान अपने निगमों द्वारा संचालित दुकानों से शराब की बिक्री से लगभग 600 करोड़ रुपये का राजस्व मिला है।
आबकारी विभाग ने दीवाली से पहले 15 दिनों के दौरान दुकानों से 594 करोड़ रुपये का राजस्व शराब की बिक्री से अर्जित किया है। इस साल शराब की बिक्री से राजस्व पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक रहा। 2024 में दीवाली के दौरान शराब की बिक्री से मिला राजस्व 516 करोड़ रुपये था।
शराब के कारोबार से जुड़े जानकारों की मानें तो अगर निगरानी तंत्र को मजबूत कर दिया जाए तो दिल्ली सरकार को शराब से कम से कम 20 प्रतिशत राजस्व और मिल सकता है। वर्तमान में आबकारी विभाग की प्रवर्तन विंग में 60 में से 43 पद रिक्त पड़े हैं और निगरानी के नाम पर केवल खानापूर्ति ही हो पा रही है।
बहरहाल दिल्ली सरकार ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में आबकारी राजस्व संग्रह में 12 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मूल्य वर्धित कर (वैट) सहित आबकारी राजस्व अप्रैल-सितंबर 2024-25 के दौरान 3,731.79 करोड़ रुपये था।
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में यह बढ़कर 4,192.86 करोड़ रुपये हो गया। दीवाली के त्यौहारी सीजन में बिक्री में वृद्धि से 2025-26 में 6,000 करोड़ रुपये के आबकारी राजस्व लक्ष्य को पार करने की उम्मीद जगी है क्योंकि नए साल की पूर्व संध्या के आसपास बिक्री में एक बार और उछाल आने की उम्मीद है।
आबकारी विभाग ने निगमों द्वारा संचालित दुकानों को समय पर आर्डर सुनिश्चित करने और त्यौहारी सीज़न के लिए स्टाक तैयार रखने के निर्देश दिए हैं। शहर में 700 से ज़्यादा शराब की दुकानें हैं, जिनका संचालन दिल्ली सरकार के चार निगम करते हैं।
बजट 2025-26 में आबकारी राजस्व का लक्ष्य 7,000 करोड़ रुपये रखा गया था, लेकिन बाद में बिक्री संबंधी अनुमानों को देखते हुए इसे घटाकर 6,000 करोड़ रुपये कर दिया गया।

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