आरोपी ने दायर की 500 पन्नों की जमानत अर्जी, दिल्ली कोर्ट ने किया खारिज; ठहराया समय की बर्बादी
दिल्ली की एक अदालत ने एक आरोपी की 500 पन्नों की जमानत याचिका को समय की बर्बादी बताते हुए खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि याचिका में अनावश्यक जानकारी शामिल थी और इतनी लंबी याचिका दायर करने का कोई औचित्य नहीं था। आरोपी पर धोखाधड़ी और जालसाजी का आरोप है, और उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

कोर्ट ने खारिज की याचिका। प्रतीकात्मक फोटो
न्यूज डेस्क, दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने पॉक्सो मामले में एक आरोपी की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि लगभग 500 पन्नों का आवेदन "बहुत बड़ा और भारी" है और इसे पढ़ने में "न्यायिक समय की बर्बादी" होगी।
कड़कड़डूमा कोर्ट के विशेष पॉक्सो न्यायाधीश राकेश कुमार एक ऐसे आरोपी की ज़मानत याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसके खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था।
पुराने मामलों के बोझ का दिया हवाला
17 अक्टूबर के एक आदेश में, अदालत ने कहा कि आरोपी के वकील ने लगभग 500 पृष्ठों का एक "भारी" ज़मानत आवेदन, अनुलग्नकों सहित, तैयार किया था और न्यायाधीश "पुराने मामलों के निपटारे के बोझ तले दबे हुए थे।"
यह आवेदन बहुत बड़ा और भारी होने के कारण खारिज किया जाता है और (क्योंकि) इसे पढ़ने में न्यायिक समय की बर्बादी होगी।
अदालत ने कहा
इसके साथ ही अदालत ने आरोपी के वकील को याचिका को संक्षिप्त करने की सलाह दी और कहा कि वह एक नई याचिका दायर करने के लिए स्वतंत्र हैं।
समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ
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