जंतर-मंतर पर भड़काऊ नारेबाजी मामले में गिरफ्तार अश्विनी उपाध्याय को मिली जमानत
जंतर-मंतर पर कथित भड़काऊ नारेबाजी के मामले में गिरफ्तार भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय को दिल्ली की एक अदालत से जमानत मिल गई है। कोर्ट ने अश्वनी उपाध्याय को मंगलवार देर रात 2 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा था।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। जंतर-मंतर पर कथित नारेबाजी देने के मामले में गिरफ्तार किए गए सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय को पटियाला हाउस कोर्ट ने बुधवार को जमानत दे दी। मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट उदभव कुमार जैन ने कहा कि कोरोना महामारी को रोकने के लिए इसके नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ गंभीर कदम उठाए जाने चाहिए। लेकिन, जहां तक दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने का अपराध जमानती है। अदालत ने कहा कि जहां तक घृणित बयानबाजी की धारा-153ए के तहत दर्ज मामला का सवाल है तो यह संभावना पर आधारित है। अभियोजन पक्ष इससे जुड़ा कोई सुबूत या साक्ष्य नहीं पेश कर सका।
ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जिससे साबित हो सके कि घृणित बयान आरोपित अश्विनी की मौजूदगी या उनके कहने पर की गई हो। सभी तथ्यों को देखते हुए अश्विनी उपाध्याय को 50 हजार रुपये के निजी मुचलके व इतनी ही राशि के एक जमानती पर जमानत दी जाती है।
अदालत ने साथ ही अश्विनी को जांच में सहयोग करने और बगैर अदालत की अनुमति से देश न छोड़ने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान अभियोजक पक्ष ने दलील दी कि घटना में अश्विनी की प्रथम ²ष्टया संलिप्तता है। उन्होंने कहा कि जंतर-मंतर पर इकट्ठा होने की अनुमति नहीं थी। इतना ही नहीं घटनास्थल पर घृणित बयानबाजी की गई? और उपाध्याय ने खुद जंतर मंतर पर अपनी उपस्थिति स्वीकार की है। इस पर पीठ ने अभियोजन पक्ष से पूछा कि क्या उपाध्याय उस समय मौजूद थे जब भड़काऊ भाषण दिए जा रहे थे।
अदालत ने कहा कि अन्य धाराओं में लगे आरोप जमानती है। अदालत सिर्फ यह जानना चाहती है कि क्या अश्वनी उस स्थान पर मौजूद थे जब नारेबाजी की गई? अभियोजक पक्ष ने जवाब में कहा कि प्रथम दृष्टया संलिप्तता दिखाई दे रही है लेकिन मामले की जांच प्रारंभिक अवस्था में है और अभी वीडियो को देखना बाकी है।वहीं, अश्विनी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह व सिद्धार्थ लूथरा ने दलील दी कि उनके मुवक्किल सुबह जंतर-मंतर गए थे और जैसा कि वीडियो से स्पष्ट है यह घटना शाम पांच बजे की है। उन्होंने कहा कि पुलिस किसी को भी गिरफ्तार नहीं कर सकती।
पुलिस के पास अश्विनी के घटना में शामिल होने का सुबूत नहीं था। उन्होंने यह भी दलील दी कि उपाध्याय पुलिस को घटना की रिपोर्ट करने में विफल रहे, इससे साफ है कि वह उस समय वहां मौजूद नहीं था। उन्होंने कहा कि जब अश्विनी घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे तो वे कैसे सूचित करेंगें।
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