Cold Wave Alert: इस बार शीतलहर सुबह आएगी या रात में? IMD हर घंटे जारी करेगा अलर्ट, मिलेगी सटीक जानकारी
दिल्ली के लोग इस साल ज्यादा सटीक कोल्ड वेव फोरकास्ट की उम्मीद कर रहे हैं। मौसम विभाग ने फोरकास्ट में कुछ जरूरी बदलाव किए हैं, जिसमें कोल्ड वेव के समय ...और पढ़ें

मौसम विभाग ने फोरकास्ट में कुछ जरूरी बदलाव किए हैं, जिसमें कोल्ड वेव के समय की जानकारी शामिल है। जागरण
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। इसकी सटीकता पर अक्सर सवाल उठने के बावजूद, दिल्ली के लोग इस साल ज़्यादा सटीक कोल्ड वेव फोरकास्ट की उम्मीद कर रहे हैं। लोगों को कोल्ड वेव के असर से बचाने और उसी के हिसाब से अपने शेड्यूल की प्लानिंग करने में आसानी के लिए, मौसम विभाग ने अपने फोरकास्ट में कुछ जरूरी बदलाव किए हैं। कोल्ड वेव को लेकर एक खास बुलेटिन भी जारी किया गया है।
पहले, मौसम विभाग कोल्ड वेव और ठंडे दिनों का फोरकास्ट करता रहा है। कोल्ड वेव रात में आती हैं, जबकि कोल्ड डे दिन में आते हैं। मौसम विभाग के मुताबिक, अब फोरकास्ट में यह बताया जाएगा कि कोल्ड वेव सुबह, दोपहर, शाम या रात में आएगी। इससे लोग उस समय ज़्यादा सावधानी बरत सकेंगे और उसी के हिसाब से अपने दिन या रात के शेड्यूल या इवेंट की प्लानिंग कर सकेंगे।
बता दें कि मौसम विभाग पहले ही अनुमान लगा चुका है कि इस साल कोल्ड वेव सामान्य से तीन से पांच दिन ज़्यादा चलेगी। आम तौर पर कोल्ड वेव चार से पांच दिन चलती है, लेकिन इस बार यह सात से आठ दिन तक चल सकती है।
गौरतलब है कि गर्मी के साथ-साथ राजधानी में कोल्ड वेव भी जानलेवा होती जा रही है। क्लाइमेट चेंज की वजह से दिसंबर और जनवरी में दिन में तीन से चार दिन तक कोल्ड वेव चलती है। इससे बुज़ुर्गों और बच्चों को ज़्यादा दिक्कत होती है। इसलिए, ऐसे फोरकास्ट से ठंड से बचने के लिए सही तरीके अपनाए जा सकते हैं।
कोल्ड वेव - यह सबसे कम टेम्परेचर पर आधारित है। यह सुबह 3 से 5 बजे के बीच सबसे ज़्यादा होता है। इस दौरान ओस की बूंदों की वजह से ज़मीन की सतह सबसे ज़्यादा ठंडी हो जाती है। कई जगहों पर दिसंबर के आखिर और जनवरी की शुरुआत में ये ओस की बूंदें जमी हुई देखी जा सकती हैं।
कोल्ड वेव - यह सबसे ज़्यादा टेम्परेचर पर आधारित है। यह कोल्ड वेव से ज़्यादा परेशानी वाला समय होता है। सूरज नहीं चमकता, और ठंडी, बर्फीली हवाएँ चलती हैं। दिन में भी लोगों को कंबल ओढ़ने में भी कोई राहत महसूस नहीं होती। शरीर तेज़ी से गर्मी खो देता है, जिससे लोग बीमार पड़ जाते हैं। इस दौरान डिहाइड्रेशन भी बढ़ जाता है।
| साल | सर्दी (दिसंबर-फरवरी) | प्री-मॉनसून (मार्च-मई) | मॉनसून (जून-सितंबर) | पोस्ट-मॉनसून (अक्टूबर-नवंबर) |
|---|---|---|---|---|
| 2012 | 95 | 88 | 92 | 96 |
| 2013 | 87 | 82 | 67 | 89 |
| 2014 | 75 | 79 | 67 | 95 |
| 2015 | 83 | 89 | 70 | 94 |
| 2016 | 93 | 78 | 72 | 99 |
| 2017 | 99 | 85 | 77 | 98 |
| 2018 | 97 | 82 | 74 | 95 |
| 2019 | 85 | 77 | 75 | 95 |
| 2020 | 100 | 85 | 84 | 100 |
| 2021 | 98 | 92 | 87 | 97 |
| 2022 | 100 | 99 | 96 | 99 |
| 2023 | 98 | 93 | 85 | 98 |
| 2024 | 97 | 90 | 85 | 98 |
| 2025 | 97 | 88 | 89 | 99 |

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