दिल्ली में कूड़े के पहाड़ों से मुक्त हुई 36 एकड़ भूमि, नई जमीन पर नए कचरे का हो रहा निस्तारण
दिल्ली में कूड़े के पहाड़ों को हटाने का काम तेज़ी से चल रहा है। अब तक 36 एकड़ भूमि को कूड़े से मुक्त करा लिया गया है, जिसका उपयोग पौधरोपण और नए कचरे के निस्तारण के लिए किया जाएगा। एमसीडी का लक्ष्य है कि इन जमीनों पर स्कूल और सामुदायिक भवन बनाए जाएं। निगम कचरा निस्तारण की गति को बढ़ाने के लिए मशीनों की संख्या बढ़ाने की योजना बना रहा है।

दिल्ली में कूड़े के पहाड़ों से 36 एकड़ भूमि मुक्त।
निहाल सिंह, नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में सात कूड़े के पहाड़ों से 36 एकड़ भूमि मुक्त हो गई है। इस भूमि का उपयोग फिलहाल पौधरोपण के साथ नए कचरे के निस्तारण के लिए किया जाएगा। हालांकि जब कूड़े के पहाड़ खत्म हो जाएंगे तो यहां पर स्कूल और सामुदायिक भवन आदि का निर्माण किया जाएगा।
फिलहाल इस भूमि का उपयोग नए कचरे के निस्तारण के लिए इसलिए किया जाएगा ताकि तय समय-सीमा पर लैंडफिल साइटों को खत्म किया जा सकें। क्योंकि लैंडफिल साइटों पर जहां पर कचरा पड़ा है वहां पर प्रतिदिन उत्पन्न होने वाला कचरा डाला जाता है तो इससे कचरा निस्तारण का कार्य प्रभावित तो होता ही है साथ ही इसकी गति भी धीमी होती है।
अब तक एमसीडी ने भलस्वा लैंडफिल पर 12 एकड़ तो वहीं, सिंघोला लैंडफिल पर 6.61एकड़, ओखला लैंडफिल पर 10 एकड़, बवाना में 10 एकड़ भूमि को खाली कर लिया है।इससे करीब 36 एकड़ भूमि खाली हो चुकी है। एमसीडी ने ओखला और भलस्वा लैंडफिल पर खाली हुई जमीन के कुछ हिस्से में बांस का पौधरोपण भी किया है।
दिल्ली नगर निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दिल्ली में प्रतिदिन 12 हजार मीट्रिक टन अब कचरा उत्पन्न हो रहा है। इसमें 5141 टन कचरा लैंडफिल पर जाता है। पुराने कचरे के साथ नया कचरा जाने की वजह से एमसीडी को समस्या यह होती है कि वाहनों को लैंडफिल पर ऊपर जाकर कचरा डालना पड़ता है। साथ ही नए कचरे के लिए ज्यादा स्थान बनाना पड़ता है। इससे जो कचरा निस्तारण का कार्य चल रहा है उसमें बाधा भी बनती है।
औसतन प्रतिदिन 25 हजार मीट्रिक टन प्रतिदिन लैंडफिलों से निस्तारित किया जा रहा है। उसमें पांच हजार मीट्रिक टन नया कचरा आ जाने से निगम को 20 हजार मीट्रिक टन ही कचरा निस्तारण में सफलता मिलती है। जबकि हमारी योजना है कि जो भूमि खाली हुई है उसमे नया कचरा डालकर उसको भी वहीं पर निस्तारित कर दिया जाए। इससे कचरा निस्तारण की रफ्तार में गति आएगी क्योंकि ऊपर पड़े कचरे के निस्तारण के लिए मशीन लगाने के भी जमीन नहीं है।
यहां पर मशीनें भी लग सकेगी। उल्लेखनीय है कि निगम फिलहाल 62 ट्रामल मशीनों से पुराने कचरे का निस्तारण हो रहा है। निगम की योजना है कि इसमें मशीनों को बढ़ाकर इसे कार्य को और गति दी जाए। अभी 25 हजार मीट्रिक टन प्रतिदिन कचरा निस्तारित हो रहा जबकि निगम इसे 40-45 हजार टन प्रतिदिन तक करना चाहता है।
निगम की योजना है ओखला, गाजीपुर और भलस्वा लैंडफिल साइटों को खत्म करना है। वर्ष 2018-19 में काम शुरू हुआ था। जिसे प्रारंभिक तौर पर 2022 तक खत्म करना था लेकिन विभिन्न कारणों से यह कार्य तय समय-सीमा में नहीं हो पाया। सर्वाधिक दिक्कत गाजीपुर लैंडफिल में जो कंपनी काम कर रही थी उसमें आंतरिक विवाद थे जिसकी वजह से काम देरी से हो रहा था।
इसकी वजह से कंपनी का कार्य बीच में ही खत्म कर दिया था। निगम की योजना के अनुसार ओखला लैडफिल को जुलाई 2026 तो भलस्वा लैंडफिल को दिसंबर और गाजीपुर लैंडफिल को दिसंबर 2027 तक खत्म करने का लक्ष्य है।
किस लैंडफिल पर कितना पड़ा है पुराना कचरा
ओखला लैंडफिल
- क्षेत्रफल : 62 एकड़
- कितनी जमीन खाली हो चुकी है- 10 एकड़
- कब शुरू हुई:1996
- कब तक साफ करना है कूड़ा: जुलाई 2026
- पहले कितने कूड़ा था:47.31
- अब कितना कूड़ा है: 26.65 लाख मीट्रिक टन
गाजीपुर लैंडफिल साइट
- क्षेत्रफल : 70 एकड़
- कब शुरु हुई:1984
- कब तक साफ करना है कूड़ा: दिसंबर 2027
- पहले कितने कूड़ा था: 79.65
- अब कितना कूड़ा है:26.65 लाख मीट्रिक टन
भलस्वा लैंडफिल
- क्षेत्रफल : 70 एकड़
- कितनी जमीन खाली हो चुकी है- 12 एकड़
- कब शुरु हुई:1994
- कब तक साफ करना है कूड़ा: दिसंबर 2026
- पहले कितने कूड़ा था:67.57
- अब कितना कूड़ा है: 41.37 लाख मीट्रिक टन

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