दिल्ली में सर्किल रेट बढ़ाने की तैयारी, हर साल बढ़ सकता है दो से लेकर पांच प्रतिशत तक की दरें
दिल्ली में अब हर साल दो से लेकर पांच प्रतिशत तक सर्किल रेट बढ़ सकता है। सर्किल रेट बढ़ाने के लिए तैयारी हो रही है और इस प्रस्ताव को शामिल करने की योजन ...और पढ़ें

दिल्ली में अब हर साल दो से लेकर पांच प्रतिशत तक सर्किल रेट बढ़ सकता है।
वीके शुक्ला, नई दिल्ली। दिल्ली में अब हर साल दो से लेकर पांच प्रतिशत तक सर्किल रेट बढ़ सकता है। सर्किल रेट बढ़ाने के लिए हो रही तैयारी में इस प्रस्ताव को भी शामिल किए जाने की योजना है। इसके लिए दिल्ली दूसरे राज्यों में सर्किल रेट नीति का भी अध्ययन करा रही है। विशेषज्ञाें की मानें तो सरकार प्रति वर्ष कुछ प्रतिशत सर्किल रेट बढ़ाती है तो सर्किल रेट को लेकर होने वाले गैप की समस्या को भविष्य में दूर किया जा सकेगा।
दिल्ली में कृषि योग्य जमीन का 2008 और अन्य संपत्तियों वाली जमीन का 2014 से सर्किल रेट नहीं बढ़ाया गया है। दिल्ली में सर्किल रेट को लेकर असमानता इतनी अधिक बढ़ चुकी है कि जिन फार्म हाउस में लाेग रह रहे हैं या उन्हें शादी ब्याह के लिए उपयाेग किया जा रहा है, उनका सर्किल रेट खेती की जमीन के अनुसार लग रहा है जो 2008 से बढ़ा तक नहीं है।
दिल्ली में कृषि याेग्य जमीन के सर्किल रेट इस समय 53 लाख प्रति एकड़ है जिसे 2023 में आप सरकार ने 10 गुणा बढ़ाकर करीब 5 करोड प्रति एकड़ करने का फैसला लिया था। मगर उस समय की सरकार आैर लोक निवास में तनातनी के चलते यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी थी। वहीं रिहायशी अाैर व्यायसायिक संपत्तयों के लिए भी सर्किल रेट पिछले 11 साल से नहीं बढृा है। इस मामले में भी जमीन के वास्तवित दाम आैर सर्किल रेट में बहुत अंदर है।
सर्किल रेट के लिए अब जिन मुख्य प्रस्तावों पर चर्चा हो रही है, उनमें अल्ट्रा-प्रीमियम लुटियंस दिल्ली के लिए एक नई ए श्रेणी काे शुरू करना है। फर्महाउस मूल्यांकन का पूरा बदलाव किया जाना है, लोकेशन आधारित जमीन के दाम निर्धारत करने के साथ साथ बाज़ार के उतार-चढ़ाव के साथ रेट को लेकर एक रिव्यू सिस्टम शामिल करना है। सरकार चाहती है कि प्रति वर्ष सर्किल रेट को कुछ प्रतिशत बढ़ाया जाए और तीन साल में इसकी समीक्षा की जाए, अगर किसी भी स्तर पर कुछ बढ़ाने या घटाने की जरूरत पढ़े तो उस पर काम किया जाए।
दरअसल जमीन की स्थानीय कीमत और सर्किल रेट में अंदर से सरकार को राजस्व का काफी नुकसान होता है। दिल्ली के मामले में यह अंतर और भी बड़ा है क्योंकि रिहायशी अाैर व्यायसायिक संपत्तियों के लिए सर्किल रेट को आखिरी बार 2014 में बढ़ाया गया था। लंबे समय बाद दिल्ली पहली बार सर्किल रेट में बड़े बदलाव के लिए तैयार हो रही है, सरकार संपत्ति मूल्यांकन को स्थानीय बाज़ार की कीमतों के साथ मिलाने के मकसद से बड़े स्ट्रक्चरल बदलावों पर विचार कर रही है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ए का सुझाव स्टेकहोल्डर्स ने दिया है क्योंकि लुटियंस दिल्ली के कई इलाकों में रियल एस्टेट की कीमतें अक्सर सबसे ज़्यादा नोटिफाइड रेट से भी ज़्यादा होती हैं, अभी यहां श्रेणी ए में हैं, जो उनकी बहुत ज़्यादा मार्केट कीमत को नहीं दिखाता है। इन इलाकों में नोटिफाइड रेट और जमीन की वास्तविक कीमत के बीच का अंतर शहर में सबसे ज़्यादा है। इसलिए लुटियंस दिल्ली के लिए नई प्रीमियम श्रेणी की बात हो रही है।
अधिकारी ने कहा कि शहरी दिल्ली का हिस्सा होने के बावजूद दक्षिणी दिल्ली के फार्महाउस का सर्किल रेट बहुत कम है। दक्षिणी दिल्ली के शहरी इलाकों में सर्किल रेट बढ़ेगा, यहां संपत्ति अक्सर बहुत ज़्यादा कीमतों पर बिकती हैं, जहां शादियों के लिए महंगे फार्महाउस हैं, कमर्शियल इवेंट होते हैं।
फार्महाउसों को लेकर इस सुझावाें पर भी हो रहा विचार
-फार्महाउसों की अपनी अलग सूची होनी चाहिए
-उन्हें अब साधारण कृषि भूमि के साथ नहीं मिलाया जाना चाहिए
-कीमत इलाके पर निर्भर होनी चाहिए
-वेस्टएंड ग्रीन्स जैसे बेहद पाश इलाके में बने फार्महाउस की कीमत कम विकसित इलाके में बने फार्महाउस से ज़्यादा हो
-सबसे अच्छे फार्महाउस को समूह में बांटा जाएगा
-वसंत कुंज और पुष्पांजलि जैसे प्रीमियम फार्महाउस समूहों को एक नए उच्च-मूल्य समूह में रखा जाए

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