बसों में लग रही आग की घटनाओं ने दिल्ली सरकार की बढ़ाई चिंता, सुरक्षा प्रोटोकॉल को तत्काल लागू करने के निर्देश
दिल्ली में बसों में आग लगने की घटनाओं से सरकार चिंतित है। परिवहन मंत्री ने बस निर्माताओं और संचालनकर्ताओं के साथ बैठक की और समस्या का समाधान करने का निर्देश दिया। आईआईटी दिल्ली की सिफारिशों को सेफ्टी एक्शन प्लान में शामिल किया जाएगा। सुरक्षा प्रोटोकॉल को तत्काल लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। बसों की गहन तकनीकी जांच और मेंटेनेंस पर जोर दिया गया है।
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डीटीसी बसों में आग लगने की घटनाएं लगातार हो रही।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में लगातार तीन बसों में लगी आग ने दिल्ली सरकार की चिंता बढ़ा दी है। इसे लेकर परिवहन मंत्री डा पंकज सिंह ने बस निर्माताओं व बसों का संचालन कर रहीं कंपनियों और दिल्ली सरकार के अधिकारियों के साथ सोमवार को दिल्ली सचिवालय में बैठक की। उन्होंने बस निर्माताओं और बस संचालनकर्ता कंपनियों को साफ तौर पर कहा कि किस वजह से बसों में आग लग रही है इसका पता लगाकर समस्या को हर हाल में जल्द से जल्द दूर किया जाए। उन्होंने पब्लिक सेफ्टी से जुड़े मुद्दे पर लापरवाही बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किए जाने की भी बात कंपनियों से कही है।
यहां बता दें कि कुछ समय पहले दिल्ली सरकार की दो इलेक्ट्रिक और एक सीएनजी बस में बीच सड़क पर आग लग गई की। बस में कोई यात्री या बस में कार्य कर्मचारियों को नुकसान जरूर नहीं पहुंचा, मगर इस तरह की आग की घटनाओं ने बस यात्रियों की सुरक्षा पर सवाल जरूर खड़े कर दिए हैं। मंत्री डा सिंह ने प्रारंभिक रिपोर्टों की महत्वपूर्ण समीक्षा के बाद अधिकारियों को निर्देश दिए कि आग लगने की घटनाएं रोकने के लिए सभी आवश्यक सुरक्षा प्रोटोकाल तत्काल प्रभाव से लागू किए जाएं।
परिवहन मंत्री डा सिंह ने कहा कि बसों की सुरक्षा को लेकर आइआइटी दिल्ली की विशेषज्ञों की समिति ने जो सिफारिशें बताई थीं, उनको सेफ्टी एक्शन प्लान में शामिल किया जाएगा। जिसमें उन्नत सुरक्षा रोडमैप पर विशेष जोर देते हुए 200 चार्जिंग साइकल पार करने वाली सभी इलेक्ट्रिक बसों की पूरी मेंटेनेंस जांच करना अनिवार्य कियस जाएगा। परिवहन मंत्री ने उस कंपनी की सभी बसों का सुरक्षा आडिट कराने का भी निर्देश दिया है जिस बसाें जिन बस निर्माताओं की बसों में आग लगने की घटनाएं सामने आई हैं। इसके अलावा बैटरी की ओवर हीटिंग की समस्या वाली बसों में लो-वोल्टेज चार्जिंग अपनाने के भी जरूरी निर्देश दिए गए हैं।
आईआईटी दिल्ली की विशेषज्ञों के सुझाव
-सीएनजी और इलेक्ट्रिक बसों की गहनता से तकनीकी जांच हो
-लो-वोल्टेज वायरिंग सिस्टम की मजबूती की जांच,
-इलेक्ट्रिक बसों की ओवर चार्जिंग, ओवर हीटिंग, बैटरी की जांच, इन्वर्टर का तापमान की भी लगातार जांच हो
- फायर-सप्रेशन सिस्टम में सुधार किया जाए
- रियल-टाइम डेटा मॉनिटरिंग को एक्शन प्लान में पूर्ण रूप से शामिल किया जाए
-प्रिवेंटिव मेजर को चेक करने और मॉनिटरिंग सिस्टम को और ज्यादा मजबूत किया जाए
-सभी बसों के लिए कड़े प्रिवेंटिव मेंटेनेंस प्रोटोकाल का सख्ती के साथ पालन किया जाए
-इंजन और बैटरी सेक्शन में फायर-सप्रेशन सिस्टम की नियमित जांच
-सभी बस डिपो में इमरजेंसी-रिस्पान्स सिस्टम की तैयारियों को मजबूती पर विशेष ध्यान
-बसों की मेंटेनेंस चेक के सभी प्रोटोकाल पालन हो
-पेपर की नियमित जांच, टेलीमैटिक्स-आधारित डायग्नोस्टिक्स से तापमान की असामान्यता पहचानने की बात कही गई है
-बस डिपो तकनीशियनों के कौशल विकास की आवश्यकता पर विशेष बल दिया गया है
बस में आग लगने का एक कारण बस चलाने वाले चालकों का पूरी तरह से प्रशिक्षित ना होना और अच्छे तकनीशियन का भी होना हो सकता है। ये उच्च तकनीक वाली बसें हैं, तकनीक के मामले में हवाई जहाज की तरह ही ये बसें भी अतिसंवेदनशील हैं। हर बस को डिपो से निकलने से पहले पूरी तरह से उसकी तकनीक जांच किया जाना प्रस्तावित है। बसों में सेंसर लगे हैं जो हर गतिविधि के बारे में चालक को संकेत देने में सक्षम हैं। ऐसे में बसों में आग लग जाने की घटनाएं बसों से रखरखाव पर भी सवाल खड़ा करती हैं। - अनिल छिकारा, पूर्व परिवहन उपायुक्त, दिल्ली सरकार

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