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    रोमियो लेन से खुला पूरा 'काला साम्राज्य', क्लब के पीछे नेता-पुलिस-बिल्डर और क्रिमिनल का गठजोड़!

    Updated: Thu, 11 Dec 2025 11:19 PM (IST)

    दिल्ली में बार और क्लब का धंधा पैसे, पावर और प्रशासनिक संरक्षण के गठजोड़ से फल-फूल रहा है। गोवा नाइट क्लब आग मामले में आरोपी अजय गुप्ता के बाद मालिक स ...और पढ़ें

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    दिल्ली में बार और क्लब का धंधा पैसे, पावर और प्रशासनिक संरक्षण के गठजोड़ से फल-फूल रहा है। फाइल फोटो

    नेमिश हेमंत, नई दिल्ली। गोवा नाइट क्लब आग मामले में आरोपी "रोमियो लेन" के पार्टनर अजय गुप्ता के बाद, मालिक सौरभ लूथरा और गौरव लूथरा को भी थाईलैंड में गिरफ्तार कर लिया गया है। नाइट क्लब के ऑपरेशन में शामिल कई और पार्टनर के नाम भी सामने आ रहे हैं। एक ही क्लब में इतने सारे लोगों का शामिल होना आम लोगों को हैरान कर सकता है, लेकिन इस दुनिया को जानने वालों के लिए यह आम बात है। पैसे, पावर और एडमिनिस्ट्रेटिव सपोर्ट का यह गठजोड़ सभी नियम-कायदों को ताक पर रखकर फल-फूल रहा है।

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    एक्सपर्ट्स का कहना है कि बार और क्लब शुरू करने के लिए पैसे की ज़रूरत होती है, लेकिन उन्हें चलाने के लिए पावर की ज़रूरत होती है। इसीलिए इन बार और क्लब में बाउंसर तैनात किए जाते हैं। नियमों का उल्लंघन करते हुए पकड़े जाने से बचने के लिए एडमिनिस्ट्रेटिव प्रोटेक्शन भी जरूरी है, क्योंकि नियमों को पूरी तरह से लागू करना मुश्किल है।

    दिल्ली में, कनॉट प्लेस, खान मार्केट, हौज खास, साकेत, मालवीय नगर, वसंत कुंज, नेहरू प्लेस, साथ ही गुरुग्राम और नोएडा जैसे इलाकों में हजारों क्लब फल-फूल रहे हैं। साल 2000 से इनकी संख्या बढ़ रही है। अकेले दिल्ली में ही इनकी संख्या तीन हज़ार से ज़्यादा हो गई है।

    जैसे-जैसे इनकी संख्या बढ़ रही है, वैसे-वैसे इस फील्ड में नए लोग भी आ रहे हैं, जिनमें से कई अब मशहूर हो गए हैं, और दिल्ली, अलग-अलग राज्यों और विदेशों में भी अपना बिज़नेस बढ़ा रहे हैं। ये वो चेहरे हैं जिनके इन्वेस्टर में अमीर परिवार, सरकारी अधिकारी, पुलिस, नेता, बिल्डर और क्रिमिनल शामिल हैं।

    जो चेहरे दिख रहे हैं, उनमें से 10 परसेंट भी शामिल नहीं हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस पूरे खेल में ब्लैक मनी भी लॉन्ड्रिंग हो रही है।

    जनता के नुमाइंदों, अधिकारियों और पुलिस की मिलीभगत से, आग जैसी आपदाओं के लिए तय ज़रूरी स्टैंडर्ड को बस नजरअंदाज कर दिया जाता है। इसके अलावा, रात में बंद होने का समय, कस्टमर की संख्या, शराब की क्वालिटी, प्रोडक्ट की कीमत, सेफ्टी और सुविधा से जुड़े नियमों से समझौता किया जाता है। इसके अलावा, कुछ बार, पब और क्लब तो बैन शराब भी परोसते हैं।

    जानकार एक्सपर्ट्स का कहना है कि दिल्ली में कई बार, पब और क्लब सालों से स्टैंडर्ड को माने बिना चल रहे हैं। ज़्यादातर बार और क्लब में एक ही एंट्री और एग्जिट पॉइंट है, एक ही पतली सीढ़ी है, और इमरजेंसी में निकलने की कोई व्यवस्था नहीं है। स्टाफ को बचाव के सामान को संभालने की ट्रेनिंग नहीं दी जाती है।

    दूसरे नियमों का भी उल्लंघन किया जाता है। कनॉट प्लेस के एक बार मालिक का कहना है कि इस बिज़नेस में, जो तेज़ी से मिलीभगत से चल रहा है, ईमानदारी से काम करना और कॉम्पिटिशन में बने रहना मुश्किल होता जा रहा है।

    'दिल्ली के सभी बार, क्लब और पब का ऑडिट होना चाहिए'

    दिल्ली ट्रेड फेडरेशन के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट राजेंद्र कपूर ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को एक लेटर लिखा, जिसमें कहा गया कि पब, रेस्टोरेंट और क्लब में कई गैर-कानूनी काम हो रहे हैं, जिनमें फायर सेफ्टी स्टैंडर्ड का गंभीर उल्लंघन, नकली शराब की सप्लाई, युवाओं में बैन ड्रग्स को बढ़ावा देना, बाउंसरों का गलत व्यवहार और बार को सुबह तक खुला रखकर माहौल खराब करना शामिल है। उन्होंने मुख्यमंत्री से दिल्ली के सभी बार, रेस्टोरेंट, पब और क्लब का ऑडिट करने का आदेश देने की अपील की।