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    दिल्ली एयरपोर्ट पर GPS स्पूफिंग से प्रभावित नहीं हुई थीं उड़ानें, केंद्र सरकार का राज्यसभा में बड़ा बयान

    Updated: Mon, 01 Dec 2025 06:32 PM (IST)

    केंद्र सरकार ने संसद में कहा कि दिल्ली एयरपोर्ट पर जीपीएस स्पूफिंग से उड़ानें प्रभावित नहीं हुईं। नागरिक उड्डयन मंत्री ने बताया कि जीपीएस स्पूफिंग की घटनाएं रनवे 10 पर लैंडिंग के दौरान सामने आई थीं। डीजीसीए ने एडवाइजरी जारी की है और एयरपोर्ट अथॉरिटी संभावित स्रोतों का पता लगाने में मदद मांग रही है। सरकार ने ग्राउंड-बेस्ड नेविगेशन सिस्टम भी बना रखे हैं।

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    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सोमवार को संसद में कहा कि दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे (IGI) के आसपास पिछले महीने हुए GPS spoofing के मामलों से उड़ान संचालन पर कोई असर नहीं पड़ा है।

    रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि 6 नवंबर को करीब 800 उड़ानें देरी का शिकार हुई थीं, लेकिन नागरिक उड्डयन मंत्री किंजारापु राममोहन नायडू ने स्पष्ट किया कि जीपीएस स्पूफिंग से विमानाें का संचालन प्रभावित नहीं हुआ।

    राज्यसभा में सांसद एस निरंजन रेड्डी के सवाल पर मंत्री ने लिखित जवाब में बताया कि जीपीएस स्पॅफिंग की घटनाएं उस समय सामने आई थीं जब विमान जीपीएस पर आधारित लैंडिंग प्रकिया के तहत रनवे 10 पर जा रहे थे। गलत सिग्नल मिलते ही पायलटों ने तुरंत प्रोटोकॉल अपनाया था।

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    उन्होंने कहा कि हालांकि कई फ्लाइट्स ने स्पूफिंग की रिपोर्ट की थी, लेकिन दूसरे रनवे पारंपरिक नेविगेशन सिस्टम से लैस हैं, जिसकी वजह से संचालन प्रभावित नहीं हुआ, इसलिए किसी उड़ान में व्यवधान नहीं आया।

    उन्होंने यह भी बताया कि DGCA की ओर से 2023 के अंत में स्पूफिंग की घटनाओं की रिपोर्टिंग अनिवार्य किए जाने के बाद से केवल दिल्ली ही नहीं, बल्कि कोलकाता, अमृत्सर, मुंबई, हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई एयरपोर्ट से भी GNSS इंटरफेरेंस, जैमिंग और स्पूफिंग की नियमित शिकायतें मिली हैं।

    सरकार के अनुसार DGCA ने इंटरफेरेंस से निपटने के लिए एडवाइजरी सर्कुलर और 10 नवंबर को नई SOP जारी की है, जिनमें IGI एयरपोर्ट के आसपास स्पूफिंग और जैमिंग की रियलटाइम रिपोर्टिंग करने का निर्देश है।

    वहीं, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) ने वायरलेस मॉनिटरिंग आर्गेनाइजेशन (WMO) से संभावित स्रोतों का पता लगाने में मदद मांगी है। मंत्री ने आगे कहा कि भारत ने उड़ान संचालन की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए एक मिनिमम ऑपरेटिंग नेटवर्क (MON) के तहत ग्राउंड-बेस्ड नेविगेशन और सर्विलांस सिस्टम बना रखे हैं।

    जो सैटेलाइट नेविगेशन विफल होने पर बैकअप का काम करते हैं। वैश्विक स्तर पर एविएशन सेक्टर पर बढ़ते रैनसमवेयर और मैलवेयर खतरों को देखते हुए AAI अपनी साइबरसिक्योरिटी संरचना को NCIIPC और CERT-In के निर्देशों के अनुरूप लगातार अपग्रेड कर रहा है।

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