Delhi Air Pollution: दिल्ली में वायु प्रदूषण स्तर जस के तस, पिछले 25 सालों की रिपोर्ट ने चौंकाया
दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर बनी हुई है। शिकागो विश्वविद्यालय की AQLI रिपोर्ट के अनुसार पिछले 25 वर्षों में प्रदूषण के स्तर में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। 2023 में PM 2.5 का स्तर बढ़कर 88.4 माइक्रोग्राम हो गया है जिससे लोगों की आयु कम हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि स्थानीय स्रोतों पर नियंत्रण और क्षेत्रीय कार्ययोजना की आवश्यकता है।

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। मानसून के कारण राजधानी की हवा भले ही इस समय साफ हो और पिछली आप सरकार के बाद अब भाजपा सरकार भी इसके लिए अपनी पीठ थपथपाने में पीछे नहीं है। लेकिन कड़वी सच्चाई यह है कि साल दर साल गुजरने के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी के वायु प्रदूषण में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। कम से कम आंकड़े तो यही बयां कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि इसका मुख्य कारण जमीनी स्तर पर साल भर प्रभावी कदम न उठाना है।
शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान की वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक रिपोर्ट (AQLI) जिन आंकड़ों पर आधारित है, वे वाशिंगटन विश्वविद्यालय के वायुमंडलीय संरचना विश्लेषण समूह से लिए गए हैं।
यहां से प्राप्त 25 वर्षों (1998 से 2023 तक) के पीएम 2.5 के आंकड़े बताते हैं कि इतने लंबे समय में भी वायु प्रदूषण के स्तर में कोई खास बदलाव नहीं आया है। बस मामूली अंतर ही देखने को मिलता है। 2010-11 और 2015-16 सबसे प्रदूषित वर्ष रहे हैं। AQLI रिपोर्ट के अनुसार, जीवन प्रत्याशा में कोई उल्लेखनीय परिवर्तन नहीं हुआ है।
2022 की तुलना में स्थिति और खराब
2022 की AQLI रिपोर्ट में, दिल्ली में PM 2.5 का स्तर 84.3 माइक्रोग्राम था, जिसके कारण लोगों की आयु 7.8 वर्ष कम हो रही थी। 2023 के आंकड़ों में, यह प्रदूषण 88.4 माइक्रोग्राम तक पहुँच गया, यानी स्थिति और खराब हो गई है।
AQLI निदेशक ने भी चिंता व्यक्त की
रिपोर्ट की सह-लेखिका और AQLI निदेशक तनुश्री गांगुली कहती हैं, "पिछले पाँच वर्षों से दिल्ली में वायु गुणवत्ता इतनी खराब रही है कि अगर यही स्थिति बनी रही, तो लोगों की आयु आठ वर्ष तक कम हो सकती है।" उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय मानक (40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) तक पहुंचने के लिए दिल्ली को अपने प्रदूषण को 50 प्रतिशत से अधिक कम करना होगा।
ऐसा करने से दिल्लीवासियों की औसत जीवन प्रत्याशा 4.5 वर्ष तक बढ़ सकती है। खास बात यह है कि दिल्ली का लगभग 50 प्रतिशत प्रदूषण स्थानीय स्रोतों, जैसे वाहन, उद्योग और निर्माण कार्य, से आता है। इन पर नियंत्रण करके ही बड़ा बदलाव संभव है।
विशेषज्ञ कर रहे हैं जमीनी स्तर पर काम करने की बात
एनवायरोकैटालिस्ट के संस्थापक और मुख्य विश्लेषक सुनील दहिया कहते हैं, दिल्ली के प्रदूषण को कम करने के लिए सिर्फ़ कागज़ात की योजना नहीं, बल्कि आसपास के राज्यों को भी शामिल करके एक क्षेत्रीय कार्ययोजना बनानी चाहिए।
कृत्रिम वर्षा जैसी योजनाएँ भी व्यावहारिक नहीं हैं। इसके अलावा, हर क्षेत्र, प्रदूषण कारक और ज़िम्मेदार अधिकारी व विभाग के लिए प्रदूषण कम करने के स्पष्ट वार्षिक, मध्यम और दीर्घकालिक लक्ष्य निर्धारित किए जाने चाहिए। अगर ये लक्ष्य हासिल नहीं होते हैं, तो कड़ी कार्रवाई भी की जानी चाहिए।
प्रो. कोटक स्कूल ऑफ़ सस्टेनेबिलिटी, आईआईटी कानपुर के डीन। दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए शहरी बुनियादी ढाँचे में भी सुधार की आवश्यकता है, जैसे कि यातायात की भीड़ और उससे जुड़े उत्सर्जन को कम करने के लिए अंतिम-मील कनेक्टिविटी को बढ़ाना। सार्वजनिक परिवहन की निर्बाध पहुँच से निजी वाहनों पर निर्भरता कम होगी।
इससे यातायात की मात्रा और उत्सर्जन में भी कमी आएगी। दिल्ली को वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए एक समन्वित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और आसपास के क्षेत्रों के साथ अपने साझा वायुक्षेत्र को मान्यता देनी चाहिए।
केवल स्थानीय प्रयास ही पर्याप्त नहीं हैं क्योंकि पड़ोसी क्षेत्रों से होने वाला प्रदूषण शहर को काफी प्रभावित कर रहा है। संपूर्ण वायुक्षेत्र में सार्थक और स्थायी सुधार प्राप्त करने के लिए, मज़बूत निगरानी और नियामक ढाँचों द्वारा समर्थित सहयोगात्मक क्षेत्रीय नीति आवश्यक है।
1998 से 2023 के दौरान PM 2.5 का स्तर (माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर में) और जीवन प्रत्याशा
वर्ष | PM 2.5 (µg/m³) | जीवन प्रत्याशा |
---|---|---|
1998 | 56.31 | 5.03 |
1999 | 56.4 | 5.04 |
2000 | 60.2 | 5.41 |
2001 | 65.76 | 5.95 |
2002 | 68.65 | 6.24 |
2003 | 78.4 | 7.19 |
2004 | 71.91 | 6.56 |
2005 | 74.47 | 6.81 |
2006 | 69.98 | 6.37 |
2007 | 77.88 | 7.14 |
2008 | 85.49 | 7.89 |
2009 | 79.6 | 7.31 |
2010 | 100.65 | 9.37 |
2011 | 104.4 | 9.74 |
2012 | 87.09 | 8.04 |
2013 | 90.89 | 8.42 |
2014 | 84.89 | 7.83 |
2015 | 100.79 | 9.39 |
2016 | 104.5 | 9.75 |
2017 | 99.22 | 9.23 |
2018 | 99.26 | 9.24 |
2019 | 92.73 | 8.6 |
2020 | 85.55 | 7.89 |
2021 | 92.84 | 8.61 |
2022 | 84.66 | 7.81 |
2023 | 88.35 | 8.17 |
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