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    वायु प्रदूषण से निपटने में फंड की कमी बनी बाधा, री-कारपेटिंग के इंतजार में राजधानी की 1503 किमी सड़कें

    Updated: Sun, 21 Dec 2025 11:31 PM (IST)

    दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के प्रयासों में फंड की कमी एक बड़ी बाधा बन गई है। राजधानी की 1503 किमी सड़कें री-कारपेटिंग के इंतजार में हैं, जिससे ...और पढ़ें

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    सांकेतिक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण के नियंत्रण के लिए 1503 किलोमीटर सड़कों को री-कारपेटिंग की जरुरत है लेकिन इन सड़कों को दो साल का समय ठीक करने में लग जाएगा। क्योंकि निगम के पास फिलहाल फंड नहीं है।

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    जैसे-जैसे दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार से विभिन्न मदों में फंड आएगा तो उनको ठीक किया जाएगा। एमसीडी ने यह जानकारी केंद्र सरकार को वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सौंपी गई योजना में दी है। इसमें वर्ष 2026 और वर्ष 2027 में सड़कों के होने वाले प्रस्तावित सुधार कार्यों की जानकारी दी है।

    दिल्ली नगर निगम के अनुसार 6127.78 किलोमीटर अंदरूनी सड़कों में से 1503 किलोमीटर सड़कों को केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के फ्रेमवर्क के हिसाब से पुनः निर्माण (री-कारपेटिंग) की आवश्यकता है। यह वह सड़कें हैं 18 मीटर से कम है।

    अलग-अलग श्रेणियों में बांटकर ठीक करने की योजना

    निगम ने उन्हें अलग-अलग श्रेणी में विभाजित कर दो हजार करोड़ की लागत से वर्ष 2026 व 2027 ठीक करने की योजना बनाई है। इसमें करीब एक हजार किलोमीटर सड़के विभिन्न तिमाही में बनेगी। इसमें पहली और दूसरी तिमाही में 300-300 किलोमीटर 18 मीटर या उससे कम चौड़ी सड़कों को बनाया जाएगा।

    जबकि जुलाई से सितंबर के बीच तीसरी तिमाही में 150 किलोमीटर और अक्टूबर से दिसंबर के बीच 250 किलोमीटर सड़कों को बनाया जाएगा। जबकि 503 किलोमीटर सड़कों को 2027 में पहली और दूसरी तिमाही में बनाया जाएगा। पहली तिमाही में 300 किलोमीटर तो वहीं दूसरी तिमाही में 203 किलोमीटर सड़कों का पुनः निर्माण होगा।

    निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उक्त सड़कों का सुधार कार्य दिल्ली सरकार के तहत विधायक निधि, सांसद निधि के साथ ग्रामीण विकास बोर्ड, यमुनापार विकास बोर्ड अन्य मदों में उपलब्ध होने वाले फड से किया जाएगा।

    निगम के पास फंड की कमी

    एमसीडी के अधिकारी ने बताया कि निगम के पास फंड की बहुत कमी है। अभी फिलहाल पार्षदो को 25 लाख रुपये ही सालाना फंड मिल पा रहा है जो कि नालियों और पार्कों के सुधार में खत्म हो जाता है। इस वर्ष नई सरकार आने के बाद मुख्यमंत्री विकास निधि के फंड से कार्य होने से शुरू हुए हैं।

    इसमें भी काफी फंड आ रहा है। इसी प्रकार से फंड अगले वर्ष आए तो उक्त कार्य को और जल्दी किया जा सकता है।उल्लेखनीय है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण की एक बड़ी वजह से सड़कों से उड़ने वाली धूल है। इसमें सर्वाधिक योगदान खस्ताहाल और बेहदर खराब सड़कें हैं। जिनमें वाहनों के गुजरने से धूल का गुबार उड़ता है और वायु प्रदूषण को बढ़ाती है।

    ग्रामीण इलाकों में इंतजार लंबा, पर नहीं हो रहा समाधान

    सरकार कहने को एंटी स्माग गन से इन सड़कोंं पर पानी का छिड़काव करती हैं लेकिन वाहनों की अत्याधिक आवाजाही से पानी कुछ ही देर में सूख जाता है। इससे फिर सड़क से धूल उड़ने लगती है। शहरी इलाकों के साथ बाहरी और पश्चिमी दिल्ली के इलाकों में सड़कों की खराब स्थिति है। ग्रामीण इलाकों में सड़कों के सुधार के लिए लोग लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं लेकिन ठीक नहीं हो पा रही है।