प्रदूषण निगरानी केंद्र के पास पानी का छिड़काव, ताकि आंकड़े कम दिखे; आप और भाजपा आमने-सामने
दिल्ली में वायु प्रदूषण को लेकर आप और भाजपा आमने-सामने हैं। आप ने एमसीडी पर प्रदूषण निगरानी केंद्र के पास पानी छिड़कने का आरोप लगाया, जिससे प्रदूषण के आंकड़े कम दिखें। भाजपा ने इसे पुरानी व्यवस्था बताया। विशेषज्ञों का कहना है कि यह राजनीतिक विवाद है, प्रदूषण नियंत्रण के लिए पानी का छिड़काव किया जा रहा है, जो कि समस्या का समाधान नहीं है।
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राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण कम करने को लेकर पक्ष-विपक्ष में आरोप प्रत्यारोप का दौर चल रहा है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण कम करने को लेकर पक्ष-विपक्ष में आरोप प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। इसी बीच आप नेताओं ने आनंद विहार बस अड्डे के पास लगे वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन (सीएएक्यूएमएस, कंटीन्यूअस एम्बिएंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन) के आसपास एमसीडी के पानी के टैंकरों से लगातार छिड़काव करने का आरोप लगाया तो भाजपा ने भी कहा कि यह कोई नई व्यवस्था नहीं है। तीन चार साल से यही व्यवस्था है जिसमें वाहनों का रूट तय कर रखा है। इसलिए पानी का छिड़काव किया जा रहा है।
दरअसल, आप के पूर्व पार्षद अजय शर्मा और अन्य नेताओं ने आनंद विहार बस अड्डे लगे इस वायु प्रदूषण के निगरानी सेंटर पर एमसीडी के वाहनों से एक ही स्थान पर पानी का छिड़काव करने का वीडियो जारी करते हुए इसे वायु प्रदूषण को कम करने के लिए शार्ट कर्ट अपनाने का आरोप लगाया। शर्मा वीडियो में यह कहते हुए दिख रहे हैं कि प्रदूषण के आंकड़े ज्यादा न दिखाई दें इसलिए एमसीडी के वाहन ऐसी जगह पर लगातार पानी का छिड़काव कर रहे हैं जहां पर वायु प्रदूषण की निगरानी की मशईन लगी है।
हालांकि यह दावे मौके पर सही नहीं मिले क्योंकि यहां पर वायु गुणवत्ता स्तर 429 मिला। वहीं, आप के आरोपों पर एमसीडी के पर्यावरण प्रबंधंन सेवाएं समिति के चेयरमैन संदीप कपूर ने कहा कि आनंद विहार सबसे प्रदूषण वाला इलाका रहता है। इसलिए इस इलाके में तीन वाहन तैनात कर रखें हैं जिनका रूट गाजीपुर से लेकर बस अड्डे के आस-पास पानी के छिड़काव का बना हुआ है। इसलिए यह नया नहीं है। तीन-चार साल से यही व्यवस्था है।
टाइल लगाने का चल रहा है काम
आप नेताओं ने जहां पर पानी के छिड़काव लगातार करने का दावा किया वहां पर इंटरलाकिंग टाइल लगाने का काम चल रहा है। वहां पर काम कर रहे एक श्रमिक ने कहा कि यह पर कच्चा स्थल होने पर धूल उड़ती है। इसलिए इस पर पानी का लगातार छिड़काव किया जा रहा है। यहां पर पहले टाइलें लगी थी लेकिन वह जर्जर हो गई थी और उससे धूल उड़ती थी। इसकी वजह से फिर से टाइलों को ठीक कर लगाया जा रहा है।
पानी छिड़काव नई प्रैक्टिस नहीं
पानी छिड़काव कोई नई प्रैक्टिस नहीं है। 2017 में आइटीओ, 2023 में गाजीपुर ऐसे आरोप लग चुके हैं। और अब आनंद विहार के साथ नरेला, पंजाबी बाग में भी ऐसे आरोप लग रहे हैं। यहां स्प्रिंकलर और एंटी स्माग गन का भी उपयोग हो रहा है, लेकिन आरोप है कि यह धूल नियंत्रण के बजाय डाटा मैनिपुलेशन के लिए है। विशेषज्ञों का कहना है कि एंटी स्माग गन और स्प्रिंकलर का उपयोग पूरे दिल्ली में हो रहा है।
दिल्ली में 140 एंटी स्माग गन और हजार के करीब स्प्रिंकलर तैनात हैं। यह ग्रेप (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) के तहत धूल नियंत्रण के लिए है, न कि डाटा फर्जीवाड़े के लिए। उनका कहना है कि यह विवाद राजनीतिक है। जबकि सामान्य प्रदूषण नियंत्रण के लिए पूरे शहर में पानी छिड़काव चल रहा है। इसका प्रभाव एक से दो घंटे तक ही रहता है, यह समस्या का समाधान नहीं।

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