दिल्ली-NCR की सड़कों पर बेलगाम दौड़ रही 'सफेद मौत', क्या हैं नियम और क्यों बढ़ रहा इसका क्रेज
दिल्ली की सड़कों पर तेज LED हेडलाइट्स का खतरा बढ़ रहा है। ये रोशनी ड्राइवरों की आंखों को चौंधिया देती है, जिससे दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है। नियमों का उल्लंघन हो रहा है और बाजार में तेज रोशनी वाली लाइट्स खुलेआम बिक रही हैं। कुछ राज्यों ने कार्रवाई की है, लेकिन दिल्ली में अभी तक कोई खास कदम नहीं उठाया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि जागरूकता और सख्त कार्रवाई जरूरी है।

तेज और आंखों में चुभती हुई बेहद सफेद रोशनी है खतरा।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रात के वक्त अगर आप दिल्ली की सड़कों पर गाड़ी चला रहे हैं, तो अब सबसे बड़ा खतरा गड्ढे या ट्रैफिक नहीं बल्कि आपकी आंखे चौंधिया देने वाली रोशनी है। वाहन चलाते वक्त सामने से आने वाली गाड़ी से आती तेज और आंखों में चुभती हुई बेहद सफेद रोशनी।
कुछ सेकेंड के लिए अंधा कर देने वाली यह रोशनी आपकी जान तक ले सकती है। आंखें में पड़ते ही कब आप अपनी गाड़ी से नियंत्रण खो बैठें कहा नहीं जा सकता है। बिना किसी रोकटोक लगाई जा रहीं ये हाई-इंटेंसिटी LED हेडलाइट्स अब राजधानी की सड़कों पर बड़ा खतरा है। इनकी रोशनी इतनी तेज होती है कि ड्राइवर कुछ सेकेंड के लिए कुछ देख ही नहीं पाता है और यही चंद सेकेंड हादसों की वजह बन रहे हैं।
दिल्ली और आसपास के शहरों में बड़ी संख्या में वाहन मालिक अपने वाहनों में आफ्टर मार्केट LED हेडलाइट्स लगवा रहे हैं। आफ्टर मार्केट से मतलब है कि ये हेडलाइट्स कोई भी कार कंपनी फिट करके नहीं देती है यानी फैक्ट्री फिटेड नहीं होती हैं, बल्कि गाड़ी खरीदने के बाद बाहर मौजूद ऑटो पार्ट्स एवं मॉडीफिकेशन दुकानों से लगवाई जाती हैं।
इन हाई इंटेंसिटी एलईडी हेडलाइट्स की सफेद रोशनी इतनी ज्यादा होती है कि सामने से आती गाड़ियों के ड्राइवर को पलभर के लिए Blinding Effect हो जाता है। ट्रैफिक विशेषज्ञ की मानें तो इन लाइट्स ने रात में सड़कों को रोशनी तो दे दी, लेकिन ड्राइविंग के दौरान सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है।
नियम तो हैं, लेकिन पालन ही नहीं होता
भारत के सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स (CMVR) और ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड (AIS) के तहत हेडलाइट्स की रोशनी की सीमा तय है। जो इस प्रकार है।
- लो बीम: 5,000–20,000 कैंडेला
- हाई बीम: अधिकतम 215,000 कैंडेला
- कलर टेम्परेचर सीमा: अधिकतम 3,000 केल्विन
कार एसेसरीज के नाम पर उड़ रहीं नियमों की धज्जियां
दिल्ली के कार एसेसरीज बाजारों में बड़ी संख्या में ग्राहक पहुंचते हैं तो 'ब्राइटर लाइट्स' की मांग करते हैं। दुकानदार भी खुले तौर पर कहते दिखते हैं कि 'ये वाली लगवा लो, बिलकुल दिन जैसी रोशनी मिलेगी, लेकिन यही 'दिन जैसी रोशनी' सामने वाले ड्राइवर की जिंदगी को खतरे में डाल देती है।
विशेषज्ञों के मुताबिक बुज़ुर्ग या जिनकी आंखें कमजोर हैं, यानी पावर वाला चश्मा लगाते हैं, उन ड्राइवरों के लिए यह रोशनी बेहद खतरनाक है। आंखों पर तेज रिफ्लेक्शन से दृश्यता लगभग खत्म हो जाती है और कई बार ड्राइवर वाहन से अपना नियंत्रण खो देता है।
कुछ राज्यों ने दिखाई सख्ती पर नाकाफी
कर्नाटक ने 2024 में पूरे राज्य में हाई-बीम LED हेडलाइट्स पर अभियान चलाया। सिर्फ बेंगलुरु में ही 30,000 से ज्यादा मामलों में कार्रवाई हुई। वहीं अहमदाबाद RTO ने बिना अनुमति के लगाई गई LED हेडलाइट्स हटाने का अभियान शुरू किया, लेकिन दिल्ली में अभी तक ऐसी कार्रवाई नहीं दिखी है। इसकी वजह ट्रांसपोर्ट विभाग और ट्रैफिक पुलिस के बीच समन्वय की कमी को माना जा रहा है।
कानून है, पर जागरूकता नहीं
वाहन एसेसरीज दुकानदारों से लेकर ड्राइवर तक, बहुत कम लोगों को पता है कि इन लाइट्स पर भी CMVR और AIS मानक लागू होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक दुकानदारों को प्रशिक्षित नहीं किया जाएगा और SOP (Standard Operating Procedure) नहीं बनेगी, तब तक इन हेडलाइट्स से सड़क सुरक्षा ताख पर ही रहेगी।
क्या मानते हैं विशेषज्ञ
- दुकानदारों को प्रशिक्षित किया जाए: अधिकतर दुकानदारों को नियमों की जानकारी नहीं है। उन्हें प्रशिक्षण और लाइसेंस के दायरे में लाया जाए।
- एक समान SOP बने: सभी राज्यों में LED लाइट्स की स्वीकृति, निरीक्षण और कार्रवाई के नियम एक जैसे हों।
- संयुक्त कार्रवाई हो: ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग मिलकर लगातार अभियान चलाएं।
- लोगों को जागरूक किया जाए: लोगों को बताया जाए कि ब्राइट लाइट सुरक्षा नहीं देती, बल्कि खतरा बढ़ाती है।
ऐसे में जब तक सरकार, ट्रैफिक पुलिस और वाहन निर्माता कंपनियां मिलकर हाई इंटेंसिटी LED लाइट्स के इस खतरनाक उजाले पर रोक नहीं लगातीं, तब तक यह हमारी सुरक्षा के लिए खतरा हैं।

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