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    वायुसेना को मिला 'परशुराम', भारत-पाकिस्तान युद्ध में निभाई थी अहम भूमिका

    By Amit MishraEdited By:
    Updated: Fri, 27 Apr 2018 04:50 PM (IST)

    परशुराम हिंडन एयरफोर्स पहुंच गया है। चार मई को इसे औपचारिक रूप से वायुसेना में शामिल किया जाएगा।

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    वायुसेना को मिला 'परशुराम', भारत-पाकिस्तान युद्ध में निभाई थी अहम भूमिका

    गाजियाबाद [सौरभ पांडेय]। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठा रहा हिंडन एयरफोर्स स्टेशन अब पाकिस्तान के साथ हुए 1947 और 1971 के युद्धों के 'हीरो' डकोटा का स्थाई घर बन गया है। 17 अप्रैल को ब्रिटेन के कॉवेंट्री से उड़ान भरकर गुजरात के जामनगर होते हुए यह विमान बृहस्पतिवार दोपहर हिंडन एयरफोर्स स्टेशन पहुंच गया। यहां चार मई को इसे औपचारिक रूप से दोबारा वायुसेना में शामिल किया जाएगा। भारतीय वायुसेना ने इसे 'परशुराम' नाम दिया है।

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    भारत-पाकिस्तान युद्ध में निभाई अहम भूमिका

    परिवहन विमान (कार्गो प्लेन) डकोटा को 1930 में रॉयल इंडियन एयरफोर्स में शामिल किया गया था। इसने द्वितीय विश्वयुद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वर्ष 1947 और 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी इसने अहम भूमिका अदा की थी। 1947 के युद्ध में भारत की जीत और कश्मीर की सुरक्षा में इसका योगदान अद्वितीय था। युद्ध के दौरान यह सेना की एक टुकड़ी को जम्मू-कश्मीर लेकर गया, जिसने पुंछ से हमलावरों को खदेड़ दिया।

    भारतीय वायुसेना के पीआरओ विंग कमांडर अनुपम बनर्जी ने बताया कि परशुराम हिंडन एयरफोर्स पहुंच गया है। चार मई को इसे औपचारिक रूप से वायुसेना में शामिल किया जाएगा।

    एयरफोर्स डे पर टाइगर मॉथ और हावर्ड के साथ दिखाएगा करतब

    डकोटा आठ अक्टूबर को एयरफोर्स डे पर विंटेज विमान टाइगर मॉथ और हॉवर्ड के साथ करतब दिखाएगा। इसे वायुसेना के स्वर्णिम अध्याय के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक युवा वायुसेना की ओर आकर्षित हो सकें।

    राज्यसभा सदस्य की अहम भूमिका 

    वायुसेना अधिकारियों के अनुसार डकोटा पूरी तरह कबाड़ हो चुका था। इसकी मरम्मत के लिए इसे ब्रिटेन भेजा गया। जहां करीब छह साल तक इसकी मरम्मत होती रही और इसका सारा खर्च उठाया राज्यसभा सदस्य राजीव चंद्रशेखर ने। इसके बाद उन्होंने इसे वायुसेना को भेंट किया है। राजीव के पिता एयर कमोडोर एमके चंद्रशेखर डकोटा के पायलट थे। अधिकारियों के मुताबिक डकोटा का नंबर अब भी वीपी 905 होगा जो 1947 के युद्ध में जम्मू-कश्मीर भेजे गए पहले डकोटा विमान का भी नंबर था।

    विमान एक नजर में

    21-32 यात्रियों की क्षमता

    64 .8 फीट (19.7 मीटर) लंबाई

    95.2 फीट पंख की चौड़ाई

    16.11 फीट ऊंचाई

    7, 650 किलोग्राम वजन

    3736 लीटर ईंधन क्षमता

    1100 हॉर्स पावर एयर कूल्ड रेडियल पिस्टल इंजन

    370 किलोमीटर प्रतिघंटा अधिकतम गति

    333 किलोमीटर प्रतिघंटा सामान्य गति

    विशेषता : छोटे रनवे पर उतरने में सक्षम

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