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    हजार करोड़ से ज्यादा की अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी नेटवर्क का भंडाफोड़, 4 विदेशी नागरिकों सहित 17 पर चार्जशीट

    Updated: Sun, 14 Dec 2025 09:26 PM (IST)

    दिल्ली में हजार करोड़ से ज्यादा के अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी नेटवर्क का भंडाफोड़ हुआ है। इस मामले में 4 विदेशी नागरिकों समेत 17 लोगों के खिलाफ चार्जशीट ...और पढ़ें

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    प्रतीकात्मक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने देश के कई राज्यों में चल रहे अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क में शामिल चार विदेशी नागरिकों सहित 17 आरोपितों और 58 कंपनियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है। अक्टूबर में तीन मुख्य भारतीय सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया था। उनसे जांच में पता चला कि गिरोह ने हजारों नागरिकों को गुमराह करने वाले लोन ऐप, फर्जी निवेश योजनाओं, फर्जी पार्ट-टाइम नौकरी के आफर और धोखाधड़ी वाले आनलाइन गेमिंग प्लेटफार्म के माध्यम से धोखाधड़ी करने के लिए व्यापक डिजिटल और वित्तीय बुनियादी ढांचा तैयार किया था।

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    गृह मंत्रालय की जानकारी पर दर्ज किया मामला

    यह मामला गृह मंत्रालय के आई4सी से मिली जानकारी के आधार पर दर्ज किया गया था, जिसमें संकेत दिया गया था कि बड़ी संख्या में नागरिकों को ऑनलाइन निवेश और रोजगार योजनाओं के माध्यम से ठगी की जा रही है। हालांकि, शुरू में ये अलग-अलग शिकायतें लग रही थीं, लेकिन सीबीआई द्वारा विस्तृत विश्लेषण से इस्तेमाल किए गए एप्लिकेशन, फंड-फ्लो पैटर्न, पेमेंट गेटवे और डिजिटल फुटप्रिंट में समानताएं सामने आईं, जो एक सामान्य संगठित साजिश की ओर इशारा करती हैं।

    संगठित तरीके से कर रहे थे ऑपरेट

    जांच में पता चला कि साइबर अपराधियों ने एक अत्यधिक स्तरित और प्रौद्योगिकी-संचालित कार्यप्रणाली अपनाई थी, जिसमें गूगल विज्ञापन, बल्क एसएमएस अभियान, सिम-बाॅक्स आधारित मैसेजिंग सिस्टम, क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर, फिनटेक प्लेटफाॅर्म और कई फर्जी बैंक खातों का इस्तेमाल शामिल था। पीड़ितों को लुभाने से लेकर फंड इकट्ठा करने और ट्रांसफर करने तक आपरेशन के हर चरण को वास्तविक नियंत्रकों की पहचान छिपाने और कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा पकड़े जाने से बचने के लिए संरचित किया गया था।

    111 शेल कंपनियों का भंडाफोड़

    सीबीआई की जांच ने धोखाधड़ी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया, जो 111 शेल कंपनियों के रूप में थी, जिन्हें फर्जी निदेशकों, जाली दस्तावेजों, फर्जी पतों और व्यावसायिक उद्देश्यों के झूठे बयानों का उपयोग करके बनाया गया था। इन शेल संस्थाओं का उपयोग विभिन्न पेमेंट गेटवे के साथ बैंक खाते और मर्चेंट खाते खोलने के लिए किया गया था, जिससे अपराध की आय को तेजी से ठिकाना लगाने और डायवर्ट किया जा सके। सैकड़ों बैंक खातों के विश्लेषण से पता चला कि कम समय में एक हजार करोड़ रुपये से अधिक इन खातों के जरिए भेजे गए, जिसमें अकेले एक खाते में 152 करोड़ से अधिक की रकम आई।

    छह राज्यों में 27 जगह की छापेमारी

    कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, झारखंड और हरियाणा में 27 जगहों पर तलाशी ली गई। इन तलाशी के दौरान, सीबीआई ने डिजिटल डिवाइस, दस्तावेज और वित्तीय रिकार्ड जब्त किए, जिनकी विस्तृत फोरेंसिक जांच की गई। विश्लेषण से पता चला कि विदेशी नागरिकों के व्यापक कम्युनिकेशन लिंक और आपरेशनल कंट्रोल थे, जो विदेश में बैठकर आपराधिक नेटवर्क चला रहे थे।

    विदेशी लोकेशन पर एक्टिव पाई गई यूपीआई आईडी

    खास बात यह है कि दो भारतीय आरोपितों के बैंक खातों से जुड़ी एक यूपीआई आईडी इसी वर्ष अगस्त तक विदेशी लोकेशन पर एक्टिव पाई गई, जिससे यह पक्का हो गया कि भारत के बाहर से फ्राड इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगातार विदेशी कंट्रोल और रियल-टाइम आपरेशनल निगरानी थी।

    जांच में यह साबित हुआ कि 2020 से, विदेशी हैंडलर जूयी, हुआन लियू, वेइजियान लियू और गुआनहुआ वांग के निर्देश पर भारत में शेल कंपनियां बनाई गई थीं। उनके भारतीय जालसाजों ने अनजान लोगों से पहचान दस्तावेज हासिल किए और उनका इस्तेमाल कंपनियां बनाने और बैंक खाते खोलने के लिए किया।

    फिर इन संस्थाओं का इस्तेमाल साइबर अपराध से मिले पैसे को चैनल करने के लिए किया गया, जिसे कई खातों और प्लेटफाॅर्म के जरिए घुमाया गया ताकि पैसे के लेन-देन और अंतिम लाभार्थियों का पता न चल सके। आरोपितों के खिलाफ आपराधिक साजिश, जालसाजी, जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल और अनियमित जमा योजना प्रतिबंध अधिनियम, 2019 के तहत मुकदमा चलाया गया है।

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