नई दिल्ली में भूजल दोहन पर कड़ा पहरा, सभी बोरवेल की संयुक्त इंस्पेक्शन टीम करेगी जांच
नई दिल्ली में भूजल के अत्यधिक दोहन को रोकने के लिए सरकार सख्त कदम उठा रही है। सभी बोरवेल की जांच संयुक्त निरीक्षण टीम करेगी, जिसमें विभिन्न विभागों के अधिकारी शामिल होंगे। अवैध बोरवेल पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस पहल का उद्देश्य पानी की बर्बादी को रोकना और भूजल स्तर को बनाए रखना है।

प्रतीकात्मक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। नई दिल्ली जिले में भूजल दोहन, वर्षा जल संचयन और बोरवेल संचालन से जुड़े नियमों को सख्ती से लागू करने के लिए जिला स्तरीय सलाहकार समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक में दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) और एनडीएमसी के विभिन्न प्रस्तावों की विस्तार से समीक्षा की गई।
अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि बिना अनुमति किसी भी प्रकार का ग्राउंड वाटर एब्स्ट्रैक्शन (दोहन) अस्वीकार्य है और इस पर सख्त निगरानी रखी जाएगी। बैठक में डी मार्क्स होटल एंड रिसार्ट्स, द ललित होटल, मंदिर मार्ग स्थित बंगाली स्कूल, सरोजिनी नगर स्थित जीपीआरए कालोनियों, डी-ब्लाक कुसुम पहाड़ी, वसंत कुंज क्षेत्र तथा शाहबाद मोहम्मदपुर सहित कई स्थानों से प्राप्त बोरवेल और ट्यूबवेल संबंधी प्रस्ताव समिति के समक्ष प्रस्तुत किए गए।
संयुक्त टीम गठित करने के निर्देश
समिति ने सभी मामलों में संबंधित क्षेत्र के एसडीएम, सीजीडब्लूबी वैज्ञानिक तथा डीजेबी/एनडीएमसी अधिकारियों की संयुक्त टीम गठित करने का निर्देश दिया, जो स्थल निरीक्षण कर जियो-टैग्ड फोटो सहित विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। यह रिपोर्ट आगामी बैठक में प्रस्तावों पर निर्णय का आधार बनेगी।
एनडीएमसी को असल जल-आवश्यकता का वैज्ञानिक आकलन कर विस्तृत रिपोर्ट अगली बैठक से पूर्व प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया, विशेष रूप से उन परिसरों के लिए जहां पहले से कुछ बोरवेल कार्यरत हैं। सरोजिनी नगर जीपीआरए कालोनियों के संदर्भ में समिति ने संयुक्त टीम को निवासियों की वास्तविक संख्या, फ्लैटों की स्थिति, जल-उपयोग की जरूरत और वर्तमान जल आपूर्ति क्षमता का तथ्य-आधारित मूल्यांकन करने को कहा।
साल में दो बार हो भूजल की गुणवत्ता का परीक्षण
जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि किसी भी प्रस्ताव को अनुमति तभी मिलेगी जब संबंधित परिसर में वर्षा जल संचयन प्रणाली प्रभावी रूप से लागू हो और सभी नए व मौजूदा ट्यूबवेल पर डिजिटल वाटर मीटर अनिवार्य रूप से स्थापित हों। साथ ही उन्होंने निर्देश दिया कि भूजल की गुणवत्ता का परीक्षण वर्ष में दो बार पूर्व एवं पश्चात् मानसून कराया जाए।
डीजेबी को निर्देश दिया गया कि वह ज़िले के सभी वाणिज्यिक एवं निजी परिसरों की सूची प्रस्तुत करे जहां वर्षा जल संचयन (आरडब्ल्यूएच) प्रणाली लागू है या लागू की जा सकती है। साथ ही आरडब्ल्यूए के स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने पर भी जोर दिया गया। जिलाधिकारी ने सभी एसडीएम को जिले में अवैध भूजल दोहन की नियमित निगरानी करने और आवश्यक होने पर कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

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