अभिनेता राजपाल यादव को तीन माह की जेल
विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली 10.40 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में हाई कोर्ट ने श ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : 10.40 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में हाई कोर्ट ने शुक्रवार को अभिनेता राजपाल यादव को तीन माह के लिए जेल भेज दिया। निचली अदालत को चुनौती देने वाली राजपाल की याचिका पर न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। दोनों पक्षों के वकीलों के बीच जमकर बहस हुई। पीठ ने राजपाल यादव को दोषी करार देते हुए हिरासत में लेने के आदेश दिए। अदालत के निर्देश पर पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर तिहाड़ जेल भेज दिया।
न्यायमूर्ति राजीव सहाय की पीठ के समक्ष हुई सुनवाई के दौरान राजपाल यादव के अधिवक्ता सूरत सिंह ने अदालत के सामने 30 करोड़ की संपत्ति के दस्तावेज पेश करते हुए रकम चुकाने के लिए एक माह का समय देने की मांग की। उन्होंने कहा कि कुछ और समय की मोहलत मिलने पर याचिकाकर्ता पूरा जुर्माना चुका देगा। पीठ ने इस पर जनवरी तक मोहलत देने की बात भी कही, लेकिन मुरली प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता करण लूथरा और अधिवक्ता एसके शर्मा ने कहा कि उन्हें पहले ही कई बार मोहलत दी जा चुकी है। ऐसे में अब मोहलत नहीं दी जानी चाहिए और जेल भेजना चाहिए। न्यायमूर्ति राजीव सहाय ने पूछा कि जेल भेजने से क्या रुपये मिल जाएंगे। इस पर प्रतिवादी के अधिवक्ताओं ने कहा कि आरोपित ने 30 नवंबर को दो करोड़ रुपये अदा करने का वादा पूरा नहीं किया है। ऐसे में उसे फिलहाल जेल भेजा चाहिए। उन्होंने कहा कि पैसे तो आगे भी ले लिए जाएंगे। इस दलील का विरोध करते हुए अधिवक्ता सूरत सिंह ने कहा कि अगर राजपाल यादव को जेल भेजा जाएगा तो फिर आठ करोड़ की रकम देने से उन्हें राहत दी जाए।
दोनों पक्षों की दलील को सुनने के बाद न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ ने कहा कि चूंकि प्रतिवादी पक्ष ने किसी अन्य सजा की मांग नहीं की है। ऐसे में राजपाल यादव को तीन माह के लिए जेल भेजा जाता है।
फैसले पर अपने-अपने तर्क :
नहीं देने होंगे आठ करोड़ रुपये
राजपाल यादव के वकील सूरत सिंह का कहना है कि अदालत ने आठ करोड़ रुपये देने से छूट देते हुए तीन माह के लिए जेल भेजा है। राजपाल को आठ करोड़ रुपये न अदा कर पाने की स्थिति में तीन माह के लिए जेल भेजा गया है। अब उन्हें यह रकम नहीं चुकानी होगी। उन्होंने दलील दी कि पीठ ने फैसले में रिकवरी करने की छूट नहीं देते हुए याचिका का निपटारा किया है।
सजा होने का मतलब जुर्माने से राहत नहीं
दूसरी तरफ मुरली प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड के अधिवक्ता एसके शर्मा का कहना है कि सजा होने से जुर्माने की रकम न देने की छूट नहीं मिल जाती। राजपाल को निर्धारित तिथि पर रकम न अदा करने पर जेल भेजा गया है। उन्हें जुर्माने की आठ करोड़ की रकम अदा करनी होगी। अगर वे ऐसा नहीं करते तो हम फिर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे।

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