Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'पीड़ितों की संख्या से अपराध की गंभीरता कई गुना बढ़ी...', कोर्ट ने खारिज की चैतन्यानंद की जमानत याचिका

    Updated: Mon, 13 Oct 2025 07:03 PM (IST)

    दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने वसंत कुंज छेड़छाड़ मामले में आरोपी चैतन्यानंद सरस्वती की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पीड़ितों की संख्या के कारण अपराध गंभीर है। कोर्ट ने पुलिस से मामले की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। न्यायाधीश ने जमानत याचिका 27 अक्टूबर तक स्थगित कर दी। पुलिस ने बताया कि आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रहा है।

    Hero Image

    चैतन्यानंद के वकील की दलीप पर कोर्ट ने कहा- पीड़िताओं के बयान, क्या वे ठोस सबूत नहीं हैं?

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पटियाला हाउस स्ठित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत ने चैतन्यानंद की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पीड़ितों की संख्या के कारण अपराध की गंभीरता कई गुना बढ़ गई है।

    चैतन्यानंद 17 छात्राओं से छेड़छाड़ के आरोप में न्यायिक हिरासत में है। अदालत ने पुलिस से मामले की अगली स्टेटस रिपोर्ट तलब की और जांच की प्रगति पर विस्तृत जानकारी मांगी है।

    अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश दीप्ति देवेश ने याचिका को 27 अक्टूबर तक के लिए स्थगित करते हुए कहा कि इस चरण में वैधानिक जमानत देने का कोई आधार नहीं बनता। सोमवार को आरोपित की ओर से पेश वकील ने स्थगन की मांग की थी, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आरोपी की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि उनके मुवक्किल को झूठा फंसाया गया है और पीड़ित लड़कियों को धमकाकर और उन्हें यह लालच देकर कि उनकी छात्रवृत्ति वापस ले ली जाएगी, उनके खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया गया है।

    जिस पर न्यायाधीश ने कहा कि मामले में कई पीड़िताएं हैं। एक, दो, शायद तीन को भी बहकाना संभव है, लेकिन सभी को कैसे राजी किया जा सकता है। चैतन्यानंद के वकील ने दलील दी कि बीएनएस की धारा 232 (किसी व्यक्ति को झूठी गवाही देने के लिए धमकाना) को छोड़कर सभी अपराध जमानत योग्य हैं और यह अपराध, जिसे बाद में जाच के दौरान जोड़ा गया था, अधिकतम तीन साल की सजा का प्रावधान है।

    उन्होंने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल को अपराधों से जोड़ने वाला कोई सुबूत नहीं है और इस मामले में बीएनएस की धारा 232 नहीं बनती है। कहा कि उनके मुवक्किल पर आरोप है कि उन्होंने होली पर अपने शिष्यों पर रंग डाला और हाथ मिलाया। लेकिन यह कोई यौन अपराध नहीं है।

    जिस पर कोर्ट ने कहा कि सभी 16 पीड़िताओं के बयान, क्या वे ठोस सबूत नहीं हैं? वहीं, निजी प्रबंधन संस्थान की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि चैतन्यानंद के दुष्कर्म के बारे में भारतीय वायु सेना की एक महिला ग्रुप कैप्टन से ईमेल मिलने के बाद इस मामले का पर्दाफाश हुआ।

    सुनवाई के दौरान पुलिस की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि चैतन्यानंद जांच में सहयोग नहीं कर रहा है। जांच अधिकारी (आईओ) ने सोमवार को अदालत को सूचित किया कि शिकायतकर्ताओं के वाॅट्सएप चैट उपलब्ध नहीं थे, क्योंकि उनके मोबाइल फोन में गायब संदेश (डिसअपीयरिंग मैसेज) सुविधा चालू थी और केवल चैट के स्क्रीनशाॅट ही उपलब्ध थे।

    पुलिस का आरोप है कि अब तक 16 पीड़िताओं के बयान दर्ज किए जा चुके हैं, जिनके फोन से कई आपत्तिजनक संदेश और स्क्रीनशाॅट मिले हैं। आईओ ने कहा कि इसमें तीन महिलाएं भी शामिल हैं। उन्होंने छात्रों पर चैट डिलीट करने का दबाव बनाया। अदालत द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या तीनों महिलाओं को गिरफ्तार किया गया था?, आईओ ने कहा कि उन्हें केवल पाबंद रखा गया था।

    इससे पहले प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंजू बजाज चांदना ने जमानत अर्जी को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश दीप्ति देवेश की अदालत में सुनवाई के लिए भेजा था। वहीं, न्यायाधीश अतुल अहलावत ने बीते बृहस्पतिवार को इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।

    चैतन्यानंद सरस्वती को 27 सितंबर को आगरा से गिरफ्तार कर दिल्ली लाया गया था। उसे पहले पांच दिन की पुलिस हिरासत में और बाद में 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। वो फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। उल्लेखनीय है कि वित्तीय अनियमितताओं के एक अन्य मामले में भी उसकी अग्रिम जमानत याचिका पहले खारिज की जा चुकी है।

    यह भी पढ़ें- जांच में सहयोग नहीं कर रहा चैतन्यानंद सरस्वती, मोबाइल-लैपटाप के पासवर्ड देने से किया इन्कार