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    कोर्ट कमिश्नर को पिस्टल दिखाकर धमकाने वाले को अवमानना का दोषी ठहराया, हाईकोर्ट ने सुनाई एक महीने की जेल

    Updated: Thu, 30 Oct 2025 10:12 PM (IST)

    दिल्ली हाईकोर्ट ने एक कोर्ट कमिश्नर को पिस्तौल दिखाकर धमकाने के मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए आरोपी को अदालत की अवमानना का दोषी पाया है। अदालत ने आरोपी को एक महीने की साधारण कैद की सजा सुनाई है। अदालत ने कहा कि आरोपी का कृत्य न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला है।

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    प्रतीकात्मक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। अदालत द्वारा नियुक्त कोर्ट कमिश्नर को आयोग के क्रियान्वयन के दौरान पिस्टल दिखाकर धमकाने के आरोप में दिल्ली हाई कोर्ट ने अवमाननाकर्ता निखिल बंसल को एक महीने के साधारण कारावास और दो हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह व न्यायमूर्ति रजनीश कुमार गुप्ता की पीठ ने नितिन बंसल को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया और उसके खिलाफ स्वतः संज्ञान से शुरू की गई कार्यवाही का निपटारा कर दिया। पीठ ने यह भी कहा कि अगर जुर्माना अदा नहीं किया जाता है, तो सजा 15 दिनों के लिए और बढ़ा दी जाएगी।

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    पीठ ने कहा कि किसी भी न्यायालय द्वारा नियुक्त स्थानीय आयुक्त स्वयं अदालत का ही अंग होता है और बंसल ने एक के बाद एक अवैधानिक कार्य करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अदालत ने निखिल बंसल को तिहाड़ जेल के संबंधित जेल अधीक्षक के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। निखिल बंसल के पिता के खिलाफ अंतरिम राहत की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रहे एकल पीठ द्वारा पारित आदेश के बाद स्वतः संज्ञान अवमानना कार्यवाही शुरू हुई थी।

    यह मामला 30,000 टन औद्योगिक कोयले के निपटान से संबंधित था। निखिल बंसल के पिता को 30,000 टन औद्योगिक कोयले के लेन-देन से रोक दिया गया था। उन पर अवमानना का आरोप लगाते हुए याचिकाकर्ताओं ने स्थानीय आयुक्त की नियुक्ति के लिए एक आवेदन दायर किया।

    स्थानीय आयुक्त नियुक्त की गईं महिला ने पिछले जुलाई 2025 में पुलिस अधिकारियों के साथ फरीदाबाद स्थित परिसर का दौरा किया। स्थानीय आयुक्त ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अवमाननाकर्ता निखिल बंसल ने स्थानीय आयुक्त को डराने-धमकाने की कोशिश की गई और मेज पर एक पिस्टल रख दी। इसके बाद बंसल के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू की गई।

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