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    'मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में कोयला ब्लाॅक अलॉटमेंट लेटर है प्राॅपर्टी'..., दिल्ली HC ने पलटा सिंगल बेंच का फैसला

    Updated: Fri, 17 Oct 2025 07:36 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि कोयला ब्लॉक आवंटन पत्र पीएमएलए के तहत संपत्ति है। अदालत ने एकल पीठ के उस आदेश को पलट दिया जिसमें इसे अपराध की आय नहीं माना गया था। अदालत ने कहा कि आवंटन पत्र मनी लॉन्ड्रिंग को संभव बनाता है और यह पीएमएलए के तहत संपत्ति है। यह फैसला मेसर्स प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड से जुड़े मामले में आया है, जहां ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की थी।

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    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। कोयला ब्लाॅक आवंटन को प्रिवेंशन ऑफ मनी लाॅन्ड्रिंग अधिनियम (PMLA) के तहत अपराध की आय नहीं मानने से जुड़े एकल पीठ के जुलाई 2022 के आदेश को पलटते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है।

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    अदालत ने माना है कि कोयला ब्लॉक आवंटन पत्र, पीएमएलए के अर्थ में संपत्ति है। न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल व न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने कहा कि कोयला ब्लाॅक आवंटन पत्र, सरकार से खनन पट्टा प्राप्त करने और उसके उपयोग के माध्यम से कोयला निकालने के अधिकार या हित को प्रमाणित करने वाला एक दस्तावेज है।

    एकल पीठ के निर्णय को चुनौती देने वाली प्रवर्तन निदेशालय की याचिका पर पीठ ने कहा कि ब्लैक्स ला डिक्शनरी और पीएमएलए की धारा-दो (एक)(v)के तहत दी गई संपत्ति की परिभाषा के अनुसार, ऐसा अधिकार एक बार प्रयोग करने और आर्थिक लाभ में परिवर्तित होने के बाद संपत्ति का एक रूप बन जाता है।

    पीठ ने यह भी कहा कि क्योंकि आवंटन पत्र ने मनी लाॅन्ड्रिंग को संभव बनाया, इसलिए यह पत्र न केवल प्रासंगिक है, बल्कि पीएमएलए के तहत मनी लांन्ड्रिंग में शामिल संपत्ति भी है।

    अदालत ने उक्त टिप्पणी मेसर्स प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड (पीआईएल) से जुड़े मामले में एकल पीठ के निर्णय को चुनौती देने वाली ईडी की याचिका पर की। पीआईएल ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से जारी कुर्की आदेश (पीएओ) को चुनौती दी गई थी।

    पीआईएल को 2003 में चोटिया कोयला ब्लाॅक आवंटित किया गया था, लेकिन बाद में गलत बयानी के माध्यम आवंटन प्राप्त करने के आधार पर सर्वोच्च न्यायालय ने इसे रद कर दिया था। इसके बाद आपराधिक कार्यवाही शुरू हुई और सीबीआई ने पीआईएल के खिलाफ मामला दर्ज किया।

    वहीं, ईडी ने भी फर्म के खिलाफ मनी लाॅन्ड्रिंग की जांच शुरू की। पीआईएल का तर्क था कि आवंटन न तो संपत्ति था और न ही अपराध की आय, बल्कि केवल खनन पट्टा प्राप्त करने का अधिकार था। परिणामस्वरूप, ऐसे आवंटन को पीएमएलए के तहत कुर्क नहीं किया जा सकता है।

    एकल पीठ ने तर्क से सहमति व्यक्त करते हुए पीएओ और संबंधित कार्यवाही को रद कर दिया। हालांकि, ईडी की अपील याचिका पर दो सदस्यीय पीठ ने एकल पीठ के निर्णय को पलटते हुए पीएओ को बरकरार रखा।

    अदालत ने कहा कि आपराधिक गतिविधि के माध्यम से आवंटन पत्र प्राप्त करना और बाद में ऐसे आवंटन से वित्तीय लाभ प्राप्त करना अपराध की आय का सृजन करता है और यह मनी लाॅन्ड्रिंग के अपराध के बराबर है। अदालत ने यह भी कहा गया कि पीआईएल द्वारा निकाले गए कोयले के मूल्य को कुर्क करने में ईडी का अधिकार उचित था।

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