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    दिल्ली में कैसी क्लाउड सीडिंग? कहीं धूप तो कहीं पड़ा सूखा; तस्वीरें बयां कर रही हकीकत

    Updated: Tue, 28 Oct 2025 02:22 PM (IST)

    दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि आज दिल्ली में पहले चरण की क्लाउड सीडिंग कराई गई। बताया कि कुछ ही देर में दूसरे चरण की क्लाउड सीडिंग कराई जा सकती है। मंत्री के अनुसार, आईआईटी कानपुर के सेसना एयरक्राफ्ट ने आज ही कानपुर से उड़ान भरी थी।

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    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि आज यानी मंगलवार को दिल्ली में पहले चरण की क्लाउड सीडिंग की गई। अब कुछ ही देर में दूसरे चरण की क्लाउड सीडिंग भी होगी। कृत्रिम वर्षा करने वाला सेसना विमान ने मेरठ हवाई पट्टी से दिल्ली क्षेत्र के लिए उड़ान भर ली है।

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    वहीं, सवाल उठ रहा है कि जब दिल्ली में क्लाउड सीडिंग कराई गई तो कहीं पर भी आर्टिफिशियल रेन क्यों नहीं हुई? राजधानी का हाल ऐसा है कि क्लाउड सीडिंग के बीच कहीं धूप तो कहीं छांव देखने को मिली है।

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    (मयूर विहार में जगह-जगह सड़कें सुखी हैं, कहीं बारिश नहीं हुई) 

    बताया गया कि खेकड़ा, बुराड़ी, मयूर विहार, भोजपुर और करोल बाग में ट्रायल हुआ था। इससे पहले क्लाउड सीडिंग के लिए आईआईटी कानपुर के एयरक्राफ्ट सेसना ने कानपुर से टेक ऑफ किया।

    इसके बाद वह मेरठ पहुंचा और फिर दिल्ली में क्लाउड सीडिंग कराई गई। बताया गया कि बादल ऊंचाई पर होने और नमी की कमी होने से पहले चरण में बहुत अच्छे परिणाम अभी नहीं आए हैं। अगले तीन से चार घंटे में कई इलाकों में आर्टिफिशियल रेन होने की संभावना है।

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    (मयूर विहार फेज-1 में एक भी जगह बारिश नहीं हुई)

    आईआईटी कानपुर के निदेशक डॉ. अग्रवाल के पहले चरण में बहुत अच्छे रिजल्ट अभी नहीं आए हैं। बादल ऊंचे थे और उनमें नमी भी कम थी।

    स्काईमेट वेदर के मौसम वैज्ञानिक महेश पलावत के मुताबिक, इस समय दिल्ली में लगभग 10,000 फीट की ऊंचाई वाले बादल बने हुए हैं। इतनी ऊंचाई पर क्लाउड सीडिंग मुश्किल है। अगर शाम तक बादल नीचे आते हैं और पांच हजार फीट की ऊंचाई से कम रह जाते हैं तो यह हालात बदल सकते हैं।

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    पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि सुबह एयरक्राफ्ट इसलिए उड़ान नहीं भर सका था क्योंकि कानपुर में दृश्यता का स्तर बहुत अच्छा नहीं था। बकौल सिरसा, सोमवार को भी क्लाउड सीडिंग की योजना बनाई गई थी लेकिन दृश्यता का स्तर अच्छा न होने से मामला टल गया था। क्लाउड सीडिंग के लिए बादल भी थोड़ा नीचे यानी अधिकतम पांच हजार मीटर की ऊंचाई पर होने चाहिए, इससे ऊपर नहीं।

    इससे पूर्व आइटीओ छठ घाट पर सुबह के समय सिरसा ने कहा था कि राजधानी में पहला क्लाउड सीडिंग परीक्षण आज किया जाएगा। दृश्यता में सुधार होने पर इस अभ्यास के लिए सुसज्जित विमान कानपुर से आ जाएगा। कानपुर में दृश्यता 2,000 मीटर तक है, जैसे ही यह 5,000 मीटर तक पहुंचेगी, विमान परीक्षण के लिए उड़ान भरेगा।

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