यूनेस्को की बैठक के लिए लाल किला तैयार, अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की श्रेणी में शामिल हो सकता है छठ महापर्व
भारत सरकार छठ महापर्व को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल कराने का प्रयास कर रही है। इस प्रस्ताव पर प्रक्रिया चल रही है, जिसका उद्देश्य पर्व की भव्यता और पर्यावरण संरक्षण के संदेश को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना है। आगामी बैठक में इस पर चर्चा होगी, और लाल किले में तैयारियां चल रही हैं।
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छठ महापर्व को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की श्रेणी में शामिल करने की तैयारी।
वीके शुक्ला, नई दिल्ली। छठ महापर्व यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की श्रेणी में शामिल हो सकता है। भारत सरकार इस पर्व काे यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल कराने का प्रयास कर रही है। इस प्रस्ताव पर प्रक्रिया चल रही है। इसका उद्देश्य छठ महापर्व की भव्यता और प्रकृति व पर्यावरण संरक्षण के संदेश को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना है।
आगामी आठ दिसंबर से 13 दिसंबर तक लालकिला में होने जा रही बैठक में छठ महापर्व पर चर्चा होगी और पूरी उम्मीद जताई जा रही है कि इस महापर्व को यूनेस्को की सूची में सम्मान के साथ स्थान मिल सकेगा। इससे पहले 2021 में कोलकाता की दुर्गा पूजा को इसी तरह की सूची में शामिल किया गया था। हालांकि दीवाली के त्योहार को भी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल करने के लिए यूनेस्को को एक प्रस्ताव भेजा गया है।
इस बैठक में विश्व के 24 से अधिक देश सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। भारत पहली बार इस बैठक की मेजबानी कर रहा है। जी-20 और विश्व धरोहर समिति के बाद यह तीसरी बैठक है जिसका भारत मेजबानी कर रहा है। इस आयोजन को लेकर लालकिला में विदेशी अतिथियों को मिलाकर करीब 1500 लोगों के जुटने की उम्मीद है।
यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सुरक्षा के लिए अंतरसरकारी समिति की इस बैठक को लेकर लालकिला तैयार हो रहा है। लालकिला में इस समय हर तरफ काम होता दिख रहा है। स्मारक के अलग अलग भाग में संरक्षण कार्य चल रहा है। दीवारों पर फीके पड़ चुके रंग काे फिर से किया जा रहा है। पार्कों को सुंदर बनाया गया है। वर्षों से उपेक्षित किला की मुख्य दीवार के अंदरूनी भाग में भी संरक्षण कार्य शुरू कर दिया गया है।
विश्व धरोहर सूची में शामिल लालकिला दिल्ली का एकमात्र ऐसा स्मारक है जिसमें इस समय बड़े स्तर पर संरक्षण कार्य के साथ-साथ ही इसे सजाने संवारने का काम हो रहा है। इसमें मुख्य रूप से लालकिला के किला के लाहौरी गेट और दिल्ली गेट के आसपास के भाग में काम हो रहा है।
लाहौरी गेट की बात करें तो इस गेट से किला में घुसने पर जब आप मीना बाजार को पार करते हैं तो बाईं ओर की मुख्य दीवार के अंदरूनी भाग में संरक्षण कार्य नजर आने लगता है। यह भाग बहुत बुरी हालत में था। पहले यह भाग देश की सेना के पास था। सेना द्वारा किला को खाली करने के बाद यहां अस्थाई निर्माण खाली पड़े हुए थे। इन्हें करीब सात साल पहले हटाया जा चुका है। मगर इस इलाके काे विकसित नहीं किया जा सका था।
अब किले की मुख्य दीवार के अंदरूनी भाग में 25 मीटर की ऊंचाई तक संरक्षण कार्य शुरू किया गया है। इस दीवार में बनी आर्च की दशा सुधारी जा रही है। 50 से अधिक आर्च पर ऊंचे लोहे के जालीदार गेट लगाने पर भी काम किया गया है। एक गेट का वजन 10 टन से अधिक है। इसकी ऊंचाई 17 फीट और चाैड़ाई 12 फीट से अधिक है।
इसी तरह किला के दिल्ली गेट के भाग में भी मुख्य दीवार के साथ बनी सभी आर्च को खोल दिया गया है और संरक्षण कार्य कराया गया है। भविष्य में यहां कर भी आर्च में गेट लगाए जाने की योजना है। इसके अलावा पार्क बेहतर किए गए हैं, शौचालयों की दशा सुधारी गई है, पीन के पानी का इंतजाम बेहतर किया गया है। नौबतखाना को चमकाया जा चुका है।

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