देश के बड़े पर्वों में शामिल हुआ 'छठ', देशभर में 38 हजार करोड़ का कारोबार होने का अनुमान
छठ पूजा, जो पहले पूर्वांचल तक सीमित थी, अब राष्ट्रीय पर्व बन गई है। इस बार छठ पूजा की तैयारियों के चलते देशभर में लगभग 38 हजार करोड़ रुपये के व्यापार का अनुमान है। कैट के अनुसार, पिछले साल यह आंकड़ा 31 हजार करोड़ था। दिल्ली में ही लगभग छह हजार करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार होने की उम्मीद है। यह पर्व स्थानीय व्यापारियों और कुटीर उद्योगों को बढ़ावा दे रहा है।
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देश के सबसे बड़े पर्वों में शामिल हुआ छठ।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। सूर्य उपासना के महान पर्व छठ पूजा को पूरे देश में आस्था, श्रद्धा और भव्यता के साथ मनाया जा रहा है। कुछ दशक पहले तक लोक आस्था का यह पर्व पूर्वांचल के लोगों तक सीमित था, अब अन्य राज्यों के लोगों द्वारा भी पूरे भक्तिभाव व उल्लास से मनाया जाने लगा है। इस तरह यह राष्ट्रीय पर्व का रूप लेने लगा है तो कुछ सार्वभौमिक पर्वों की तरह इससे देश के व्यापार को भी गति मिलने लगी है।
एक अनुमान के अनुसार, इस बार पूरे देशभर में छठ पूजा की तैयारियों के मद्देनजर 38 हजार करोड़ रुपये के व्यापार का अनुमान है। कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने यह अनुमान जताते हुए पिछले वर्ष की तुलना में उसमें सात हजार करोड़ रुपये की वृद्धि बताई है। उसके अनुसार, पिछले वर्ष यह आंकड़ा लगभग 31 हजार करोड़ रुपये तथा वर्ष 2023 में करीब 27 हजार करोड़ रुपये था। इस पर्व पर देशभर में करीब 15 करोड़ श्रद्धालु व्रत, स्नान, अर्घ्य और पूजा के पारंपरिक विधान में शामिल हो रहे हैं।
दिल्ली में भी लोक आस्था के इस महापर्व पर लगभग छह हजार करोड़ रुपये से अधिक के व्यापार की उम्मीद है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री व चांदनी चौक से सांसद प्रवीन खंडेलवाल के अनुसार बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, बंगाल, छत्तीसगढ़, दिल्ली, उत्तराखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों में छठ पूजा धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसी तरह, देश के विभिन्न हिस्सों में कामकाज और रोजगार के लिए बसे पूर्वांचली समाज के लोग भी छठ पूजा में पूरी श्रद्धा से सम्मिलित हो रहे हैं।
छठ पूजा से संबंधित प्रमुख वस्तुओं में सुप, दौरा, डलिया, मिट्टी के दीपक, बांस की टोकरी, सूप और सुथनी, फल विशेषकर केला, नारियल, सेब, गन्ना, नींबू, गेहूं और चावल का आटा, मिठाइयां, प्रसाद के लिए ठेकुआ और खजूर, पूजा सामग्री, साड़ी और पारंपरिक वस्त्र, सजावट सामग्री, दूध और घी, पूजा पात्र, टेंट व सजावट के सामान, परिवहन तथा आतिथ्य सेवाएं शामिल हैं।
इसी तरह, पारंपरिक परिधान जैसे साड़ियां, लहंगा-चुन्नी, सलवार-कुर्ता (महिलाओं के लिए) और कुर्ता-पायजामा, धोती (पुरुषों के लिए) की खरीदारी भी बड़े पैमाने पर हो रही है, जिससे स्थानीय व्यापारियों और लघु उद्योगों को सीधा लाभ मिल रहा है। साथ ही, हस्तनिर्मित स्वदेशी वस्तुएं भी बड़ी मात्रा में बिक रही हैं। पूजा में उपयोग की जाने वाली अधिकांश वस्तुएं स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों द्वारा निर्मित होती हैं, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं और कुटीर उद्योग को मजबूती मिल रही है।
प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि छठ पूजा केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है, जो सामाजिक एकता और समर्पण का प्रतीक है। यह पर्व व्यापार को भी प्रोत्साहित करता है और स्थानीय उत्पादकों को सीधा लाभ पहुंचा रहा है। इससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वोकल फार लोकल और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को बल मिल रहा है।

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