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    पुराणों में भी मिलता है छठ की महिमा का वर्णन

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 24 Oct 2017 09:21 PM (IST)

    संजय सलिल, बाहरी दिल्ली कठोर तप व साधना का महापर्व छठ विश्व के सबसे पुराने व्रतों में है।

    पुराणों में भी मिलता है छठ की महिमा का वर्णन

    संजय सलिल, बाहरी दिल्ली

    कठोर तप व साधना का महापर्व छठ विश्व के सबसे पुराने व्रतों में है। षष्ठी सूर्य उपासना के इस पर्व की महिमा का वर्णन विभिन्न पुराणों में भी है, लेकिन आम लोग पुराणों की भाषा को समझ नहीं सकते हैं। ऐसे में छठ की महिमा के बारे में आम लोग भी आनुष्ठानिक विधियों का अनुपालन कर अपने लिए मंगल कामना कर सकें, इसी मकसद से वजीरपुर जेजे कॉलोनी स्थित श्री शिव दुर्गा धाम के पंडित व रामचरित मानस कथाकार पंडित आनंद चतुर्वेदी ने सरल भाषा में पुस्तक लिखी है। ।

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    पंडित आनंद चतुर्वेदी बताते हैं कि सनातन धर्म के अस्तित्व में आने के बाद छठ से पहले एकमात्र व्रत पयोव्रत का विवरण मिलता है। यह व्रत कश्यप ऋषि के कहने पर माता अदिति ने किया था। इसमें उन्होंने केवल दूध का सेवन किया था। इस व्रत के उपरांत ही माता अदिति के गर्भ से वामन भगवान ने अवतार लिया था। इस व्रत का उल्लेख श्रीमद्भागवत पुराण में है। यह पहला व्रत था, लेकिन इसके बाद दूसरे व्रत के रूप में छठ का ही उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है।

    स्कंद पुराण में छठी मैया की महिमा का वर्णन एक कथा के रूप में विस्तार से किया गया है। कथा के अनुसार राजा स्वयंभू मनु के दूसरे पुत्र प्रियव्रत को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही थी। संतान की प्राप्ति के लिए उन्होंने कठोर तप किया तो उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति तो हुई, लेकिन वह मृत था। ऐसे में प्रियव्रत जोर-जोर से विलाप करने लगे। उनके विलाप को सुनकर आसमान से ¨सहासन पर सवार एक देवी उनके पास आई और उस देवी के आशीर्वाद से मृत शिशु जीवित हो उठा। इस पर प्रियव्रत ने दोनों हाथ जोड़कर उस देवी की आराधना की और पूछा कि आप कौन हैं तो जवाब में उस देवी ने कहा कि मैं छठ माता हूं, मैं नि:संतान दंपती को संतान होने का आशीर्वाद देती हूं और जिनके संतान हैं, मैं उसकी रक्षा करती हूं। स्कंद पुराण में छठ पर्व करने की विधियों के बारे में भी विस्तार से बताया गया है।

    आम तौर पर यह पर्व बिहार, झारखंड व उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में ही ज्यादा प्रचलित हैं, लेकिन मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश समेत अन्य कई राज्यों में भी इसे मनाया जाता है। इन राज्यों में इस पर्व को ललही छठ के रूप में जाना जाता है, जिसे भादों माह के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है।