CBSE का बड़ा फैसला, अब छठी से आठवीं क्लास तक स्किल एजुकेशन जरूरी
सीबीएसई ने सभी संबद्ध स्कूलों में कक्षा 6 से 8 तक कौशल शिक्षा को अनिवार्य कर दिया है। छात्रों को अब वास्तविक जीवन के कौशल सीखने पर ध्यान देना होगा, जैसे पौधों की देखभाल और बुनियादी यांत्रिक कार्य। एनसीईआरटी द्वारा विकसित 'स्किल बोध' श्रृंखला की पुस्तकें लागू की गई हैं, जिसमें छात्रों को विभिन्न कार्य-आधारित परियोजनाएं करनी होंगी। मूल्यांकन में पारंपरिक परीक्षाओं के साथ-साथ व्यावहारिक कार्यों को भी महत्व दिया जाएगा।

सीबीएसई ने सभी संबद्ध स्कूलों में कक्षा 6 से 8 तक कौशल शिक्षा को अनिवार्य कर दिया है। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) ने सभी एफिलिएटेड स्कूलों में क्लास 6th से 8th तक स्किल एजुकेशन को एक जरूरी सब्जेक्ट के तौर पर लागू कर दिया है। इन क्लास के स्टूडेंट्स अब सिर्फ़ किताबों, नोटबुक और एग्जाम तक ही सीमित नहीं रहेंगे। वे असल ज़िंदगी के काम सीखेंगे, जैसे पौधों और जानवरों की देखभाल से लेकर बेसिक मैकेनिकल स्किल्स और ह्यूमन सर्विस तक।
CBSE अधिकारियों के मुताबिक, स्कूलों को अब स्किल-बेस्ड एजुकेशन को मेनस्ट्रीम एजुकेशन का हिस्सा बनाना चाहिए, न कि एक ऑप्शन। बोर्ड ने इस सेमेस्टर में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के तहत NCERT द्वारा डेवलप की गई स्किल बोध सीरीज़ की किताबों को लागू करना जरूरी कर दिया है। ये किताबें प्रिंट और डिजिटल दोनों फ़ॉर्मेट में उपलब्ध हैं।
नई सीरीज में, स्टूडेंट्स को तीन तरह के काम पर आधारित प्रोजेक्ट पूरे करने होंगे
- जीवों के साथ काम
- मशीनों और मटीरियल से जुड़े काम
- इंसानों की सर्विस से जुड़े काम
सालाना तीन प्रोजेक्ट पूरे करने होंगे
स्टूडेंट्स को तीन साल में, यानी ग्रेड 6, 7 और 8 में कुल नौ प्रोजेक्ट पूरे करने होंगे, जिसमें कुल मिलाकर लगभग 270 घंटे का प्रैक्टिकल काम होगा। इसका मकसद यह है कि स्टूडेंट्स न सिर्फ़ इस आधार पर आगे बढ़ें कि वे क्या पढ़ते हैं, बल्कि इस आधार पर भी कि वे क्या करते हैं और कैसे सीखते हैं।
स्कूलों को अपना टाइमटेबल बदलना होगा
- हर साल 110 घंटे (160 पीरियड) सिर्फ़ स्किल्स एजुकेशन के लिए होंगे।
- हर हफ्ते लगातार दो पीरियड इस सब्जेक्ट के लिए होंगे।
- किताब में दिए गए छह प्रोजेक्ट में से, स्कूल अपनी लोकल जरूरतों और रिसोर्स के आधार पर तीन प्रोजेक्ट चुनेंगे।
टीचरों को भी अब नई स्किल्स सीखनी होंगी
स्किल्स अवेयरनेस पहल को लागू करने के लिए, CBSE, NCERT और PSSIVE मिलकर बड़े पैमाने पर टीचर ट्रेनिंग करेंगे। एकेडमिक ईयर के आखिर में स्कूलों में एक स्किल्स फेयर लगाया जाएगा। स्टूडेंट्स अपने प्रोजेक्ट्स, मॉडल्स और एक्सपीरियंस प्रेजेंट करेंगे। यह फेयर स्कूलों के लिए एक नए तरह का सालाना इवेंट होगा, जहाँ पेरेंट्स भी देख सकते हैं कि उनके बच्चे किताबों के अलावा दुनिया के बारे में कितना सीख रहे हैं।
स्किल्स एजुकेशन के लिए इवैल्यूएशन भी ट्रेडिशनल नहीं होगा। इसमें रिटन एग्जाम के लिए 10 परसेंट मार्क्स, वाइवा या प्रेजेंटेशन के लिए 30 परसेंट, एक्टिविटी बुक के लिए 30 परसेंट, पोर्टफोलियो के लिए 10 परसेंट और टीचर ऑब्जर्वेशन के लिए 20 परसेंट मार्क्स शामिल होंगे।

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