दिल्ली में भी कार्बाइड गन से आई इंजरी के मामले, AIIMS में अब तक नौ मरीज भर्ती; बच्चे भी शामिल
दिल्ली में दीवाली के दौरान कार्बाइड गन के इस्तेमाल से आंखों में चोट लगने के मामले सामने आए हैं। एम्स में अब तक नौ मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें बच्चे भी शामिल हैं। कई मरीजों को धुंधला दिखाई दे रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, इंटरनेट पर रील बनाने के चक्कर में लोग इस तरह के खतरनाक जुगाड़ का इस्तेमाल कर रहे हैं। आईसीएमआर ने पहले ही कार्बाइड गन के खतरे को लेकर चेतावनी जारी की थी।

दीवाली से अब तक आई इंजरी के 200 से ज्यादा मरीज एम्स आ चुके हैं।
मुहम्मद रईस, दक्षिणी दिल्ली। इंटरनेट मीडिया पर रील के चक्कर में सस्ता जुगाड़ लोगों को जीवनभर का दर्द दे रहा है। दीवाली पर जुगाड़ गन यानी कार्बाइड गन का दिल्ली में भी धड़ल्ले से लोगों ने इस्तेमाल किया। एम्स दिल्ली में अब तक कार्बाइड गन से आंखों की इंजरी के कुल नौ केस आ चुके हैं। इनमें से चार ही बच्चे हैं, जबकि आधे से ज्यादा वयस्क हैं।
दीवाली से अब तक आई इंजरी के 200 से ज्यादा मरीज एम्स के डॉ. राजेंद्र प्रसाद नेत्र विज्ञान केंद्र में आ चुके हैं, जिनमें 50 से ज्यादा की सर्जरी की गई। ज्यादातर मामलों में लोग पटाखों के चलते घायल हुए हैं।
इंटरनेट मीडिया पर चल रहे ट्रेंड के चलते दिल्ली में भी लोगों ने रील बनाने के लिए पटाखों की बजाय कार्बाइड गन चलाया। एम्स पहुंचे नौ मरीजों में से करीब आधे मरीजों को फिलहाल कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। आंखों के सामने केवल वार्म व्हाइट लाइट का गोला ही नजर आ रहा है।
नेत्र रोग विशेषज्ञों के मुताबिक एमनियोटिक मेम्ब्रेन इम्प्लांट और टिशू ग्राफ्टिंग जैसी प्रक्रिया से आंखों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। कुछ मामलों में कार्निया ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है। एम्स के डा. राजेंद्र प्रसाद नेत्र विज्ञान केंद्र प्रमुख डा. राधिका टंडन ने बताया कि सामान्य दिनों में प्रतिदिन आई इंजरी के एक या दो मामले ही आते हैं।
दीवाली के तीन दिन पहले से ही रोजाना 15 से 20 मरीज आने लगे। वहीं दीवाली के दिन यानी 20 अक्टूबर को यह संख्या बढ़कर 100 तक पहुंच गई। वहीं 21 अक्टूबर को 50 और 22 अक्टूबर को 30 मरीज आई इंजरी के साथ पहुंचे। सेंटर में 20, 21 और 22 अक्टूबर को क्रमश: 19, 18 और 16 मरीजों के आंखों की सर्जरी की गई। कार्बाइड गन से घायलों के आंखों की भी जल्द सर्जरी की जाएगी।
आरपी सेंटर में आई इंजरी के साथ पहुंचे मरीज
| दिनांक | घायलों की संख्या |
|---|---|
| 17 अक्टूबर | 18 |
| 18 अक्टूबर | 15 |
| 19 अक्टूबर | 20 |
| 20 अक्टूबर | 100 |
| 21 अक्टूबर | 50 |
| 22 अक्टूबर | 30 |
(स्रोत-आरपी सेंटर, एम्स)
आइसीएमआर ने पहले ही दी थी चेतावनी
कार्बाइड गन को इंटरनेट मीडिया पर बंदर भगाने के देसी जुगाड़ के रूप में वायरल किया गया था। इस जुगाड़ सिस्टम को लेकर 2023 में आइसीएमआर (इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च) ने चेतावनी दी थी। संस्थान के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में बताया था कि कैल्शियम कार्बाइड और पानी के केमिकल रिएक्शन से बनने वाली गैस ''एसिटिलीन'' आग लगने पर ''माइक्रो-एक्सप्लोजन'' यानी सूक्ष्म विस्फोट करती है, जो सीधे आंखों को नुकसान पहुंचाता है।
यह स्टडी इंडियन जर्नल आफ आप्थेलमोलाजी में प्रकाशित भी हुई थी। रिसर्च छह मरीजों पर की गई थी। इसमें सामने आया कि इस गन ने कार्निया तक को झुलसा दिया था। दो मरीजों की आंखों की पलकें और त्वचा जल गईं। वहीं एक मरीज में कार्नियल परफोरेशन यानी आंख की परत फटने की स्थिति बन गई थी।

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