बिना चीरे-दर्द के कैंसर का बेहतरीन इलाज, अब इस तकनीक से कम पैसों में बचेगी जान
ब्रेकीथेरेपी प्रोस्टेट कैंसर के इलाज में एक नई उम्मीद है। यह बिना चीरे और दर्द के कैंसर रोगियों के लिए एक प्रभावी विकल्प है। इस तकनीक में कैंसरग्रस्त हिस्से को शरीर के अंदर से विकिरणित किया जाता है। यह सर्जरी की तरह ही प्रभावी है, लेकिन मरीज को जल्दी राहत मिलती है और अस्पताल में कम समय बिताना पड़ता है। दिल्ली एम्स में यह तकनीक उपलब्ध है और किफायती भी है।

अनूप कुमार सिंह, नई दिल्ली। कैंसर विशेष कर प्रोस्टेट कैंसर के उपचार में बिना चीरे और बिना दर्द का उपचार कैंसर ग्रस्त मरीजों के लिए नई उम्मीद बन रहा है। यह तेजी से लोकप्रिय हो रही है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के इस सटीक और कम दर्द वाली तकनीक का नाम है ‘ब्रेकीथेरेपी’।
इसे आंतरिक विकिरण उपचार (इंटरनल रेडिएशन) भी कहा जाता है, यह आंतरिक रेडियोथेरेपी की विधि है, जिसमें कैंसरग्रस्त हिस्से को शरीर के भीतर से ही विकिरण दिया जाता है। इस प्रक्रिया में चीरा नहीं लगाया जाता, जिससे दर्द और संक्रमण की संभावना बेहद कम होती है। सर्जरी की तरह यह भी एक प्रभावी उपचार है। बस अंतर इतना है कि इसमें मरीज को जल्दी राहत मिलती है और अस्पताल में ठहरने की अवधि भी कम रहती है। खर्च भी कम होता है।
कैसे करती है काम
ब्रेकीथेरेपी दो प्रमुख तरीकों से की जाती है। पहला, हाई डोज रेट (एचडीआर) और दूसरा, सीड्स यानी लो डोज रेट (एलडीआर)। एचडीआर विधि में मशीन नियंत्रित रेडियो सक्रिय स्रोत को सुइयों (नीडल) के माध्यम से कुछ मिनटों के लिए कैंसर ग्रस्त हिस्से के भीतर रखा जाता है और फिर बाहर निकाल लिया जाता है। यह प्रक्रिया एक बार में औसतन 15 बार 15 सुइयों के माध्यम से दोहराई जाती है।
सीड्स विधि में सूक्ष्म रेडियो सक्रिय बीज कैंसर ग्रंथि में सुई के माध्यम से प्रत्यारोपित किए जाते हैं जो धीरे-धीरे विकिरण छोड़ते हैं और कुछ सप्ताह में कैंसर ग्रस्त हिस्से को नष्ट कर निष्क्रिय हो जाते हैं। निष्क्रिय होने के बाद यह शरीर में ही रहते हैं पर, कोई नुकसान नहीं करते।
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दिल्ली एम्स में यह तकनीक सुलभ है और वर्ष में इस तकनीकी से डेढ़ हजार से अधिक मरीजों का सफल उपचार किया जाता है। सरकारी अस्पतालों में इस उपचार की लागत लगभग 25 से 40 हजार रुपये तक आती है, जबकि पारंपरिक सर्जरी में डेढ़ लाख तक तक होती है।
ब्रेकीथेरेपी बनाम सर्जरी
ब्रेकीथेरेपी सर्जरी
इलाज का प्रकार भीतर से रेडिएशन, कोई चीरा नहीं, ग्रंथि को हटाकर उपचार
इलाज की अनुमानित लागत (सरकारी अस्पतालों में) 25–40 हजार रुपये, डेढ़ लाख
अस्पताल प्रवास एक से दो दिन (अधिकतम), सात से 10 दिन
सामान्य जीवन में वापसी दो से तीन दिन, पांच से सात सप्ताह
साइड इफेक्ट पांच से 10 प्रतिशत, 30 से 35 प्रतिशत
इलाज के बाद जीवित रहने की दर 95 से 97 प्रतिशत, 85 से 88 प्रतिशत
कैंसर दोबारा न लौटने की संभावना 95 प्रतिशत, 75 प्रतिशत
नोट: वर्तमान में कैंसर विशेषकर प्रोस्टेट कैंसर ग्रसित करीब 75 प्रतिशत मरीज इस विधि को चुन रहे हैं
सफलता और रिकवरी का प्रतिशत
- अब तक के अध्ययनों में 95 प्रतिशत से अधिक मरीजों को उत्कृष्ट परिणाम मिले हैं।
- जीवित रहने की दर लगभग 97 प्रतिशत तक पाई गई है।
- मरीजों को दो से तीन में ही सामान्य जीवन में लौटने की सुविधा मिलती है।
- साइड इफेक्ट और संक्रमण की संभावना बहुत कम और दर्द लगभग नगण्य।
ऑपरेशन और ब्रेकीथेरेपी दोनों का स्थान अपनी जगह है। कई बार सर्जरी आवश्यक होती है, लेकिन जहां यह संभव है, वहां ब्रेकीथेरेपी सरल, कम पीड़ादायक और समान रूप से प्रभावी विकल्प बन रही है।’ - प्रो. डा. सुनीता भाष्कर, विभागाध्यक्ष एम्स
‘देखने में आ रहा है कि मरीज अब इस तकनीक को प्राथमिकता दे रहे हैं, क्योंकि इससे वे कम समय में ठीक होकर अपने कामकाज में लौट सकते हैं। सरकारी अस्पतालों में इसकी लागत भी बहुत कम है, जिससे यह अधिक सुलभ बन गई है।’ - प्रो. डा. हरेश केपी, एम्स

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