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    दिल्ली में चल रहा है अवैध खनन का काला करोबार

    By Amit MishraEdited By:
    Updated: Sat, 14 Nov 2015 03:04 PM (IST)

    सोनिया विहार इलाके में यमुना के घाटों से रेत के अवैध खनन का काला कारोबार जोरों पर चल रहा है। हाल के कुछ महीनों में इस इलाके में ट्रक और डंपरो की आवाजाही में इजाफा हुआ है। अवैध खनन का काला कारोबार यहां पिछले कई वर्षों से लगातार जारी है।

    पूर्वी दिल्ली [स्वदेश कुमार]। सोनिया विहार इलाके में यमुना के घाटों से रेत के अवैध खनन का काला कारोबार जोरों पर चल रहा है। हाल के कुछ महीनों में इस इलाके में ट्रक और डंपरो की आवाजाही में इजाफा हुआ है। अवैध खनन का काला कारोबार यहां पिछले कई वर्षों से लगातार जारी है। बता दें कि एनजीटी के आदेशों के अनुसार यमुना नदी के तट से रेत का खनन अवैध है।

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    सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक हाल के दिनों में खनन माफिया बड़ी मशीनों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। मशीनें 20 फीट की गहराई तक रेत निकाल लेती है। फिलहाल पुलिस ने इस तरह की किसी भी शिकायत से साफ इन्कार किया है।

    नाम न बताने की शर्त पर स्थानीय लोगों ने बताया कि लाखों क्यूबिक मीटर रेत अवैध खनन कर सभापुर और सोनिया विहार के आसपास खाली खेतों और फार्म हाउसों में एकत्रित की गई है। इनही जगहों से रेत को अलग-अलग इलाकों में पहुंचाया जाता है।

    सूत्रों का कहना है कि खनन के अवैध कारोबार में सबंधित विभागों की मिलीभगत होने के कारण माफिया बेखौफ इस गैरकानूनी कारोबार को अंजाम दे रहे हैं। खनन के काले कारोबार की शिकायत कई बार सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण विभाग और स्थानीय एसडीएम से की गई, संबंध में पुलिस को कार्रवाई के लिए पत्र भी लिखा गया लेकिन पुलिस की उदासीनता के कारण अवैध खनन जारी है।

    खनन पर है पाबंदी

    एनजीटी द्वारा यमुना से रेत खनन पर पाबंदी है। इस पर रोकथाम के लिए कई विभाग की जिम्मेदारी भी तय की गई है। पुलिस को निर्देश जारी हैं कि खनन करने वाले वाहनों को पकड़कर एसडीएम के समक्ष पेश करें। एसडीएम जुर्माना लगाते हैं और चेतावनी के बाद ही वाहन को छोड़ा जाता है। बार-बार नियम तोड़ने वाले के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का भी प्रावधान है।

    अवैध खनन का प्रभाव

    यमुना के जिस हिस्से से रेत खनन किया जा रहा है, वहां वजीराबाद जलशोधक संयंत्र के लिए पानी एकत्रित किया जाता है। इस पानी से दिल्ली की बड़ी आबादी को पेयजल की आपूर्ति की जाती है। यमुना के किनारे अब कई इलाके भी बस गए हैं। रेत हट जाने से बड़ी आबादी के समक्ष बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो जाएगा।

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