Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दिल्ली नगर निगम में भाजपा में ही रार, अधिकारियों पर भी वार; स्थायी समिति को बाइपास करने पर कटा बवाल

    Updated: Sat, 06 Dec 2025 01:33 PM (IST)

    स्थायी समिति की अध्यक्ष सत्या शर्मा ने एमसीडी अधिकारियों पर समिति को कमजोर करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि उनके ओएसडी को बिना मंजूरी के हटा दिय ...और पढ़ें

    Hero Image
    MCD-1764035490368-1764264398222

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। भाजपा शासित नगर निगम में भी आपस में फूट पड़ गई है। स्थायी समिति अध्यक्ष सत्या शर्मा ने निगमायुक्त द्वारा बजट पेश करने के बाद एमसीडी अधिकारियों पर समिति को कमजोर करने का आरोप लगाया है। साथ ही कहा है कि उनके ओएसडी को बिना उनकी मंजूरी के हटा दिया गया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    समिति 15 दिन से बिना ओएसडी के काम कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि बजट में कई ऐसे योजनाओं का उल्लेख किया गया है जो कि स्थायी समिति में चर्चा के लिए आनी चाहिए थी लेकिन वह सीधे सदन में पेश की गई। सत्या शर्मा ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि अगामी बैठक में उन प्रस्तावों की जानकारी दें जो कि स्थायी समिति में आने चाहिए थे लेकिन सदन में सीधे चले गए।

    सत्या शर्मा ने यह बात तब कही है जब कि स्थायी समिति और सदन में भाजपा का ही शासन है। वहां, पर महापौर राजा इकबाल सिंह बैठक की अध्यक्षता करते हैं जबकि नेता सदन प्रवेश वाही प्रस्तावों को पारित कराते हैं। इस पर महापौर ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। जबकि सत्या शर्मा ने यह भी कहा है कि ढाई साल में बड़े संघर्षों के बाद भाजपा स्थायी समिति का गठन हो पाया है।

    ऐसे में स्थायी समिति की अवेहलना नहीं होनी चाहिए। पांच करोड़ से अधिक के प्रस्ताव स्थायी समिति में आने चाहिए। इस प्रक्रिया का लगातार पालन नहीं हो रहा है। अगर,प्रशसानिक स्वीकृति देने का प्रस्ताव है और वह सदन में जा रहा है तो वह भी स्थायी समिति में आना चाहिए क्योंकि रेट एंड एजेंसी (ठेका देने के लिए कंपनी का चयन) का प्रस्ताव हमारे पास ही आएगा।

    हालांकि इस मामले निगमायुक्त अश्वनी कुमार ने कहा कि एमसीडी एक्ट के तहत प्रशासनिक स्वीकृति और एक्सपेंडीचर मंजूरी देने की शक्ति सदन के पास है। इसलिए हम उसकी मंजूरी सदन से लेते हैं और रेट एंड एजेंसी जिस परियोजना की लागत पांच करोड़ रुपये से ऊपर है उसकी मंजूरी स्थायी समिति से ली जाती है।

    ऐसे सभी केस जो इस विधान में पड़ते हैं उन सभी केस की मंजूरी हम स्थायी समिति से लेते हैं।कोई ऐसा केस नहीं हैं रेट एजेंसी का स्थायी समिति को बिना दिखाए सदन में रखा हो।

    यह भी पढ़ें- राजस्थान से तस्करी कर हरियाणा लाया जा रहा विस्फोटक! कहीं फिर न हो जाए दिल्ली ब्लास्ट जैसा आतंकी हमला