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    बैंकों के पास फर्जी दस्तावेज गिरवी रखकर लिया था 50 लाख का लोन, 15 साल से फरार आरोपी राजस्थान से गिरफ्तार

    Updated: Thu, 20 Nov 2025 03:14 PM (IST)

    दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने धीरज कुमार को गिरफ्तार किया, जो 50 लाख रुपये के बैंक लोन घोटाले में शामिल था। उस पर नकली दस्तावेजों के आधार पर दो बैंकों को धोखा देने का आरोप है। 15 साल से फरार धीरज ने पहचान बदलकर लोन लिया था। पुलिस ने उसे भरतपुर, राजस्थान से गिरफ्तार किया।

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    सांकेतिक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने दो बैंकों को करीब 50 लाख रुपये का चूना लगाने वाले धीरज कुमार उर्फ प्रवेश शर्मा को गिरफ्तार किया है। वह डबल मार्गेजिंग, जाली सेल डीड और नकली पहचान का इस्तेमाल कर एक प्रॉपर्टी के फर्जी दस्तावेज बनाकर दो बैंकों से लोन लेने के मामले में मुख्य साजिशकर्ता है।

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    मुकदमा दर्ज होने के बाद पिछले 15 सालों से वह अपना नाम और पता बदलकर फरार चल रहा था। एडिशनल पुलिस कमिश्नर आर्थिक अपराध शाखा अमृता गुगुलोथ के मुताबिक ओरिएंटल बैंक आफ कामर्स (अब पीएनबी) के सीनियर मैनेजर सुपिंदर पाल सिंह की शिकायत पर 15 मार्च 2019 को एफआईआर दर्ज की गई थी।

    दो राष्ट्रीय बैंकों के पास गिरवी रखी थी प्रॉपर्टी

    यह मामला सोची-समझी साजिश से जुड़ा था, जिसमें आरोपितों ने प्रवेश शर्मा के तौर पर नकली पहचान बनाकर पॉकेट-12, सेक्टर-20, रोहिणी की एक प्रॉपर्टी का नकली दस्तावेज बनवाकर धोखे से उसे दो राष्ट्रीय बैंकों के पास गिरवी रखकर 50 लाख रुपये लोन ले लिया था। उसे ढूंढने के लिए काफी कोशिश की गई।

    धीरज सिंह ने आधार कार्ड में कई बार अपना नाम बदलकर प्रवेश शर्मा कर लिया था और जालसाजी के बाद उसने फिर से अपना नाम धीरज सिंह कर लिया था। इस लीड से एक अहम कामयाबी मिली और इन्वेस्टिगेटर टेक्निकल सर्विलांस, बैकग्राउंड वेरिफिकेशन और सर्विलांस इनपुट्स के जरिए पुलिस टीम आरोपित की लोकेशन का पता लगा लिया।

    लगातार डिजिटल मॉनिटरिंग और फिजिकल सर्विलांस के बाद आखिरकार उसे भरतपुर, राजस्थान से गिरफ्तार कर लिया गया। धीरज कुमार, विजय नगर, भरतपुर, राजस्थान का रहने वाला है। वह 2007 में कंप्यूटर डिप्लोमा कोर्स के लिए दिल्ली आया था। यहां वह अलग-अलग जगहों पर किराए के घरों में रहा।

    2009-2010 में पैसे की दिक्कत होने पर वह कुछ लोगों के संपर्क में आया, जिन्होंने उसे गैर-कानूनी बैंक लोन के कामों के लिए नकली कागजात इस्तेमाल करने के बारे में बताया। इस नकली पहचान के तहत, आरोपित ने नकली सेल डीड बनवाई, पॉकेट-12, सेक्टर-20, रोहिणी में मौजूद प्रॉपर्टी के लिए नकली टाइटल चेन बनाई, उसने नकली नाम से बैंक अकाउंट खोले, लोन लिया, और दूसरे साजिश करने वालों की मदद की।