दिल्ली बार काउंसिल में युवक ने किया फर्जीवाड़ा, बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी से ली थी नकली डिग्री; आरोपी की जमानत रद
दिल्ली के साकेत कोर्ट ने फर्जी डिग्री का इस्तेमाल करके बार काउंसिल में पंजीकरण कराने के आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। आरोपी के खिलाफ हौज ख ...और पढ़ें

कोर्ट ने फर्जी डिग्री का इस्तेमाल करके बार काउंसिल में पंजीकरण कराने के आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, दक्षिण दिल्ली। साकेत कोर्ट की एडिशनल सेशंस जज (ASJ) शुनाली गुप्ता ने दिल्ली बार काउंसिल (BCD) में फर्जी डिग्री का इस्तेमाल करके वकील के तौर पर रजिस्ट्रेशन कराने के आरोपी एक युवक की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। युवक के खिलाफ 8 अक्टूबर, 2025 को हौज खास पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की गई थी। आरोपी तब से फरार है।
कोर्ट में पेश किए गए मामले के अनुसार, आरोपी जे. वनसंथन ने 2024 में खुद को दिल्ली बार काउंसिल में एक वकील के तौर पर रजिस्टर कराया था। रजिस्ट्रेशन के समय, आरोपी ने बार काउंसिल ऑफिस में जमा किए गए एप्लीकेशन फॉर्म के साथ बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी द्वारा जारी लॉ डिग्री और मार्कशीट लगाई थी। जब बार काउंसिल ने डिग्री को वेरिफिकेशन के लिए बुंदेलखंड लॉ यूनिवर्सिटी भेजा, तो उन्होंने इसे फर्जी बताया।
लॉ यूनिवर्सिटी से वेरिफिकेशन रिपोर्ट बार काउंसिल ऑफिस पहुंचने के बाद, हौज खास पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की गई। 8 अक्टूबर, 2025 को पुलिस ने जे. वनसंथन के खिलाफ अलग-अलग धाराओं के तहत मामला दर्ज किया और उसे गिरफ्तार करने की कोशिशें शुरू कर दीं। आरोपी फरार है। आरोपी की ओर से वकील के. राजन और कार्तिक चेट्टियाव ने ASJ शुनाली गुप्ता की कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की।
दोनों वकीलों ने कोर्ट में दलील दी कि उनके क्लाइंट ने अपनी LLB की पढ़ाई उत्तर प्रदेश की एक यूनिवर्सिटी, भारतीय शिक्षा परिषद से पूरी की है। उन्होंने बुंदेलखंड लॉ यूनिवर्सिटी में पढ़ाई नहीं की थी और न ही वहां से कोई डॉक्यूमेंट जमा किए थे। एक व्यक्ति ने उनके क्लाइंट से 95,000 रुपये कैश लिए थे, यह वादा करके कि वह उनका रजिस्ट्रेशन करवा देगा। वकीलों ने दलील दी कि इस बिचौलिए ने उनके क्लाइंट की जानकारी के बिना फर्जी डॉक्यूमेंट्स का इस्तेमाल करके उनका रजिस्ट्रेशन करवाया था।
इस बीच, याचिका की सुनवाई करते हुए, ASJ ने टिप्पणी की कि आरोपी पर गंभीर आरोप हैं। उसकी गिरफ्तारी बहुत ज़रूरी है। उसकी गिरफ्तारी के बाद ही यह पता चल पाएगा कि फर्जी डॉक्यूमेंट्स का इस्तेमाल करके बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन कराने के इस रैकेट में कौन-कौन शामिल है और इस सिंडिकेट में कौन-कौन लोग हैं।

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