Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Purana Qila Excavation: फिर हुई शुरू इंद्रप्रस्थ की खोज, पुराने किले में खोदाई कराएगा ASI

    By V K ShuklaEdited By: Abhishek Tiwari
    Updated: Tue, 17 Jan 2023 08:37 AM (IST)

    सोमवार को एएसआइ के निदेशक वसंत स्वर्णकार ने इस स्थल का निरीक्षण किया। उनके नेतृत्व में तीसरी बार यह खोदाई होने जा रही है। वर्ष 2017-18 में हुई खोदाई के बंद होने के दौरान तक मौर्य काल से पहले की परतों के प्रमाण मिले थे।

    Hero Image
    Purana Qila Excavation: फिर हुई शुरू इंद्रप्रस्थ की खोज, पुराने किले में खोदाई कराएगा ASI

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। पुराना किला में इंदप्रस्थ ढूंढने के लिए होने जा रही खोदाई में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) इस बार ईसा पूर्व 900 वर्षों से आगे बढ़ेगा। इसके लिए फिर से उन्हीं गड्ढों से मिट्टी निकालने का काम सोमवार से शुरू कर दिया गया है जिन गड्ढों को वर्ष 2017-18 में हुई खोदाई के बाद संरक्षित कर दिया गया था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इंद्रप्रस्थ की तलाश में अब 3100 वर्ष से आगे बढ़ेगा एएसआइ

    एएसआइ की योजना इन्हीं गड्ढों की तह तक जाकर आगे की खोदाई जारी रखना है। बता दें कि ये वही गड्ढे हैं, जिनकी खोदाई में 3,100 वर्ष पहले तक का इतिहास मिल चुका है। इसके अलावा इनके आसपास नए गड्ढे भी खोदे जाएंगे और इस खोदाई कार्य को विस्तार दिया जाएगा। साथ ही किले में दूसरे स्थानों पर भी गड्ढे खोदने पर विचार चल रहा है, लेकिन एएसआइ को सबसे अधिक संभावना उन पुराने गड्ढों और उसके आसपास के इलाके से ही है।

    सोमवार को एएसआइ के निदेशक वसंत स्वर्णकार ने इस स्थल का निरीक्षण किया। उनके नेतृत्व में तीसरी बार यह खोदाई होने जा रही है। वर्ष 2017-18 में हुई खोदाई के बंद होने के दौरान तक मौर्य काल से पहले की परतों के प्रमाण मिले थे। एएसआइ का कहना है कि इस बार की खोदाई के दौरान उन चित्रित मृदभांड से संबंधित कार्य को पूरा करने पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिसे पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ के समय के होने के रूप में पहचाना गया है।

    निवास स्थान होने के मिल चुके हैं प्रमाण

    पुराना किला में पहले की खोदाई में 2,500 वर्ष का एक निरंतर निवास स्थान होने के प्रमाण मिल चुके हैं। इसमें ईसा पूर्व 900 वर्ष पहले के चित्रित मृदभांड, मौर्य से लेकर शुंग, कुषाण, गुप्त, राजपूत, सल्तनत और मुगल काल तक के मिट्टी के बर्तनों का क्रम शामिल है। उत्खनित कलाकृतियों, जैसे- दरांती, टेराकोटा के खिलौने, भट्ठा-जली ईंटें, मनके, टेराकोटा की मूर्तियां, सील आदि पहले खोदाई में मिले थे, जिन्हें किले के परिसर के अंदर पुरातत्व संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया है। जो शेष हैं, उन्हें भी अब यहां प्रदशित किया जाएगा।

    Delhi History Timeline: इंद्रप्रस्थ से नई दिल्ली बनने तक की कहानी, प्वाइंट्स में जानें समय की जुबानी