बड़ी तैयारी, ASI तीन राज्यों में एक साथ ढूंढेगी महात्मा बुद्ध से संबंधित साक्ष्य; इन जगहों पर होगी खोदाई
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने महात्मा बुद्ध से संबंधित साक्ष्य खोजने के लिए बड़ी तैयारी की है। केंद्र सरकार की सलाह पर एएसआई ने तीन राज्यों में एक साथ महात्मा बुद्ध से संबंधित साक्ष्य ढूंढेगी।

वी के शुक्ला, नई दिल्ली। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) इस साल महात्मा बुद्ध से संबंधित देश भर में तीन राज्यों में एक साथ साक्ष्य ढूंढेगी। अभी तक की किसी एक मुद्दे पर लक्ष्य आधारित यह सबसे बड़ी तैयारी है। केंद्र सरकार की सलाह पर एएसआई ने यह फैसला लिया है।
एएसआई द्वारा इस बार देश में छह स्थानों पर अपनी उत्खनन ब्रांच को खोदाई के लिए दी गई अनुमति में तीन स्थल महात्मा बुद्ध से संबंधित हैं । इनमें ओड़िशा के भुवनेश्वर, गुजरात के बल्लभी व उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में खोदाई होगी, एएसआई यहां बुद्ध से संबंधित साक्ष्य ढूंढेंगी।
127 साल बाद विदेश से लौटी बुद्ध की अस्थियां
वहीं, महाराष्ट्र के प्रकासा, तमिलनाडु और हरियाणा के राखी गढ़ी में भी खोदाई होगी। प्रकासा को दक्षिण की काशी के नाम से भी जाना जाता है। यहां बता दें कि 127 साल बाद बुद्ध की अस्थियां कुछ समय पहले विदेश से वापस लौटी हैं, जो 1898 में खोदाई के बाद ब्रिटिश सरकार ब्रिटेन लेकर चली गई थी।
1898 में ब्रिटिश इंजीनियर विलियम पेप्पे को पिपराहवा में बुद्ध की ये अस्थियां खोदाई में मिली थीं, इस खोदाई में एक बड़े पत्थर के जिस बक्से में भगवान बुद्ध की पवित्र अस्थियां एक कलश में मिली थीं, ब्रिटिश सरकार इन्हें ब्रिटेन में लेकर चली गई थी। यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि अंग्रेज इन अस्थियों को अपने साथ लेकर क्यों गए थे।
ब्रिटेन की सरकार ने इन्हें भारत को वापस करने के बजाय थाईलैंड के राजा को सौंप दिया था। मगर बाद में ये किसी तरह अमेरिका पहुंचीं, ये अमेरिका में एक परिवार के पास थीं जो उसकी निजी संपत्ति बन गई थीं और वह परिवार इस साल इन्हें हांगकांग में एक अंतरराष्ट्रीय नीलामी के माध्यम से बेच रहा था।
जानकारी मिलने पर भारत सरकार ने हस्तक्षेप किया और नीलामी रुकवा दी गई तथा गत जुलाई में सम्मान के साथ ये अस्थियां में भारत वापस लाई गईं। जिन्हें राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा गया है। जिसके बाद से भारत सरकार का महात्मा बुद्ध पर फोकस और बढ़ गया है।
किस प्रस्तावित खोदाई स्थल का क्या है महत्व?
सिद्धार्थ नगर का पिपरहवा
उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थ नगर के पिपरहवा महात्मा बुद्ध से जुड़े प्रमुख स्थलों में से एक है। अंग्रेजों को खोदाई में बुद्ध की अस्थियां इसी स्थान पर 127 साल पहले मिली थीं। 50 साल पहले भी यहां खोदाई हुई थी, जिसमें बुद्ध से जुड़े कई और दस्तावेज मिले थे। अब फिर एएसआई ने इस स्थान पर बुद्ध से जुड़े अन्य प्रमाण ढूंढने के लिए खोदाई करने का फैसला लिया है।
गुजरात का वल्लभी
गुजरात का वल्लभी (अब वलाई) एक प्राचीन शहर था जो 5वीं से 8वीं शताब्दी तक मैत्रक राजवंश की राजधानी था। यह सौराष्ट्र प्रायद्वीप पर भावनगर के पास स्थित एक महत्वपूर्ण बौद्ध और जैन शिक्षा केंद्र था, जिसकी तुलना नालंदा विश्वविद्यालय से की जाती थी। यहां दूसरी जैन परिषद भी आयोजित की गई थी, जहां जैन ग्रंथों को संकलित किया गया था।
ओडिशा का बुद्ध मंदिर
भुवनेश्वर का महात्मा बुद्ध और बौद्ध धर्म के साथ गहरा ऐतिहासिक संबंध रहा है। हालांकि, भगवान बुद्ध ने अपने जीवनकाल में सीधे तौर पर ओडिशा का दौरा नहीं किया था, लेकिन विशेष रूप से मौर्य सम्राट अशोक के कलिंग युद्ध के बाद उनके जीवन की घटनाओं और शिक्षाओं का इस क्षेत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा।
राखीगढ़ी
हरियाणा के हिसार जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण सिंधु घाटी सभ्यता स्थल है, जो भारत में हड़प्पा सभ्यता के सबसे बड़े ज्ञात स्थलों में से एक है। यह स्थल पूर्व-हड़प्पा और परिपक्व हड़प्पा युग दोनों के प्रमाण प्रदान करता है, और यहां से सुनियोजित शहरी व्यवस्था, जल निकासी प्रणाली, आवासीय भवन, मिट्टी के बर्तन, और आभूषण जैसे अवशेष मिले हैं।
महाराष्ट्र का प्रकासा उत्खनन स्थल
प्रकासा उत्खनन स्थल महाराष्ट्र राज्य में नंदुरबार जिले के शाहदा तालुका में तापी नदी के तट पर स्थित एक गांव है। नागपुर से प्रकासा की दूरी लगभग 400 किलोमीटर से अधिक है। प्रकासा को 'दक्षिण काशी' के नाम से भी जाना जाता है और यह अपने ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, साथ ही यहां प्राचीन मंदिर भी हैं। एएसआई द्वारा 1955 में यहां उत्खनन किया गया था, जिसमें विभिन्न कालखंडों के अवशेष मिले थे।
तमिलनाडु में भी होगी खोदाई
तमिलनाडु में पूर्व में हुई खोदाई को लेकर प्रस्तुत की गई रिपोर्ट को अंतिम रूप नहीं दिया जाने को लेकर हुए विवाद के बाद एएसआई इस बार फिर तमिलनाडु में खोदाई कराएगी। इस बार खोदाई स्थल बदला जाएगा। इसे लेकर एएसआई ने अपनी उत्खनन शाखा की मैसूर ब्रांच को खोदाई की मंजूरी दी है। यहां प्राचीन सभ्यता के इतिहास मिलने की प्रचुर संभावना है।
इस बार उत्तखनन शाखा को छह स्थानों पर खोदाई की मंजूरी दी गई है। उसमें महात्मा बुद्ध से जुड़े महत्वपूर्ण तीन स्थान शामिल हैं। यहां पर बुद्ध से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज मिलने की संभावना है। इसे लेकर एएसआई इस बार वहां खोदाई शुरू करेगी।
डॉ. वाइ एस रावत, महानिदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई)

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