'नागरिकों के छोटे-छोटे संकल्पों से समाज और देश बढ़ेगा आगे...', अणुव्रत दिवस पर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिया संदेश
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अणुव्रत दिवस पर कहा कि आचार्य तुलसी का अणुव्रत आंदोलन जीवन जीने की एक दिशा है। उन्होंने नागरिकों से स्वच्छता, ईमानदारी जैसे छोटे संकल्प लेने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश का उत्थान तभी संभव है जब प्रत्येक नागरिक अपनी जिम्मेदारी समझे और देश के विकास में योगदान दे। उन्होंने आचार्य तुलसी जी के विचारों को अपनाने पर जोर दिया।

आचार्य श्री तुलसी जी की 112वीं जयंती के उपलक्ष्य आयोजित अणुव्रत दिवस कार्यक्रम में सीएम रेखा गुप्ता। जागरण
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा है कि आचार्य तुलसी जी का अणुव्रत आंदोलन केवल उपदेश नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक दिशा है। यदि प्रत्येक व्यक्ति उनके दिखाए मार्ग पर चले तो समाज में स्थायी और नैतिक परिवर्तन संभव है।
मुख्यमंत्री ने यह विचार अणुव्रत समिति ट्रस्ट द्वारा आचार्य श्री तुलसी जी की 112वीं जयंती के उपलक्ष्य आयोजित अणुव्रत दिवस कार्यक्रम में व्यक्त किए। उनके अनुसार आचार्य तुलसी जी ने यह भी सिखाया कि परिवर्तन की शुरुआत व्यक्ति से होती है।
जब प्रत्येक नागरिक अपनी जिम्मेदारी समझेगा और अपने जीवन में अनुशासन, स्वच्छता तथा ईमानदारी जैसे छोटे-छोटे नियम अपनाएगा, तभी समाज और देश सही मायनों में आगे बढ़ सकेंगे।
एमसीडी मुख्यालय सिविक सेंटर के केदारनाथ साहनी ऑडिटोरियम में आयोजित इस कार्यक्रम में दिल्ली के महापौर राजा इकबाल, अणुव्रत अनुयायी सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने उपस्थित नागरिकों से आग्रह किया कि हर व्यक्ति अपने जीवन में एक छोटा-सा ‘अणुव्रत’ अवश्य अपनाए, जैसे प्लास्टिक का उपयोग न करना, सड़कों पर गंदगी न फैलाना, गौशालाओं में गो-सेवा को प्राथमिकता देना और स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना। उन्होंने कहा कि ये छोटे-छोटे संकल्प ही आचार्य तुलसी जी के विचारों का सार हैं, जो व्यक्ति और समाज दोनों को नई दिशा दे सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने आचार्य तुलसी जी के चरणों में नमन करते हुए कहा कि देश का सुधार केवल सरकारों के प्रयासों से संभव नहीं है। जब देश के 140 करोड़ नागरिक यह भावना अपने भीतर लाएंगे कि यह देश उनका है और उसकी जिम्मेदारी भी उनकी है, तभी सच्चा परिवर्तन संभव होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि यद्यपि हम सभी इतने तपस्वी नहीं हो सकते, जितने हमारे गुरुजन रहे हैं, लेकिन उनके दिखाए मार्ग पर चलने का प्रयास अवश्य कर सकते हैं। छोटे संकल्प और छोटे प्रयास ही एक बड़े सामाजिक परिवर्तन की नींव रखते हैं।

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