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    दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ा रहा ब्रेन स्ट्रोक का खतरा, हर साल करीब नौ हजार लोगों की जा रही जान

    Updated: Wed, 29 Oct 2025 08:29 AM (IST)

    दिल्ली में वायु प्रदूषण ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ा रहा है। अध्ययनों से पता चला है कि पीएम-2.5 की मात्रा बढ़ने पर ब्रेन स्ट्रोक के मामले बढ़ जाते हैं। भारत में हर साल लगभग 18 लाख लोग ब्रेन स्ट्रोक से प्रभावित होते हैं, जिनमें से लगभग 9.4 लाख की मृत्यु हो जाती है। प्रदूषण वाले क्षेत्रों में स्ट्रोक की घटनाएं अधिक हैं, इसलिए प्रदूषण से बचाव के उपाय करना आवश्यक है।

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    सांकेतिक तस्वीर

    अनूप कुमार सिंह, नई दिल्ली। वायु प्रदूषण सिर्फ फेफड़ों का ही दम नहीं घोंटता, बल्कि यह ब्रेन स्ट्रोक की भी बड़ी वजह बन रहा है। यह बात विश्व स्तर पर और देश की राजधानी दिल्ली में हुए अध्ययनों में साबित हुई है। दिल्ली में पीएम-2.5 की मात्रा बढ़ने के दौरान ब्रेन स्ट्रोक के मामले 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ जाते हैं।

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    यही नहीं, दिल्ली में वायु प्रदूषण के जो हॉट स्पॉट हैं। वहां भी इस तरह के मामले अधिक मिले हैं। द लैंसेट व ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (जीबीडी) ने इसे लेकर वैश्विक स्तर पर अध्ययन किया है। इसमें ब्रेन स्ट्रोक से होने वाली कुल मौतों के लगभग 15 प्रतिशत के लिए पीएम 2.5 को जिम्मेदार माना है। इसमें भारत को ‘अत्यधिक जोखिम वाले देशों’ की श्रेणी में रखा गया है।

    दिल्ली में मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज ने 2018-2020 के बीच एक अध्ययन किया। इसमें ब्रेन स्ट्रोक से संबंधित आंकड़े मौलाना आजाद मेडिकल कालेज, लोक नायक अस्पताल और जीबी पंत संस्थान से एकत्र किए गए थे। यह रिपोर्ट ‘इम्पैक्ट आन एयर पाल्युशन इन दिल्ली एंड इनसिडेंस आफ स्ट्रोक इन ए टर्शियरी हॉस्पिटल: ए रेट्रोस्पेक्टिव एनालिसिस’ शीर्षक से प्रकाशित हुई।

    जीबीडी की तरह इस अध्ययन में भी पाया गया कि हवा में सूक्ष्म कण पीएम-2.5 की अधिकता और ब्रेन स्ट्रोक के बीच महत्वपूर्ण संबंध है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का भी यही कहना है कि वायु प्रदूषण अब केवल पर्यावरणीय नहीं, बल्कि स्वास्थ्य संकट का भी रूप ले चुका है।

    विशेषज्ञों के मुताबिक, ब्रेन स्ट्रोक के जो मामले आते हैं, उनमें से औसतन 40-45 प्रतिशत में मृत्यु या स्थायी शारीरिक अक्षमता देखी जाती है। प्रदूषण से उत्पन्न सूक्ष्म कण मस्तिष्क की रक्तवाहिनियों में सूजन और ब्लड क्लाट बनने का खतरा बढ़ा देते हैं, जो मस्तिष्काघात की वजह बन सकता है।

    ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज की 2021 की रिपोर्ट के प्रमुख तथ्य

    1. भारत में हर साल लगभग 18 लाख लोग ब्रेन स्ट्रोक से प्रभावित होते हैं।
    2. इनमें से लगभग 9.4 लाख लोगों की मृत्यु स्ट्रोक से होती है।
    3. ब्रेन स्ट्रोक भारत में मृत्यु का चौथा प्रमुख कारण बन चुका है।
    4. देश में प्रति एक लाख आबादी पर 152 नए स्ट्रोक मामले दर्ज किए जाते हैं।
    5. प्रदूषण (बाहरी और घरेलू) से होने वाली स्ट्रोक से मौतों का हिस्सा 41 प्रतिशत है।

    जागरण सुझाव

    • सुबह और शाम के समय जब वायु प्रदूषण अधिक होता है, तब बाहर व्यायाम करने से बचें।
    • घर में स्वच्छ हवा का पूरा इंतजाम करें। बंद कमरे में धुआं नहीं करें।
    • रोजाना कम से कम आठ गिलास पानी पीएं, ताकि रक्त गाढ़ा नहीं हो।
    • उच्च रक्तचाप, शुगर और कोलेस्ट्राल की नियमित जांच कराते रहें।
    • तले या अत्यधिक नमकीन भोजन से बचें, फल-सब्जियां अधिक खाएं।
    • सिर दर्द, बोलने में कठिनाई, हाथ-पैर में अचानक कमजोरी जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत अस्पताल जाएं।

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